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उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, रंगमंच, बोली-भाषा व साहित्य आधारित कार्यशाला सम्पन्न

सी एम पपनैं
उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, बोली-भाषा, रंगमंच व साहित्य आधारित कार्यशाला ‘मेरा स्वाभिमान, बोली-भाषा मेरी पहचान’ का समापन समारोह मुख्य अतिथि डॉ हरि सुमन बिष्ट (पूर्व सचिव हिंदी अकादमी दिल्ली), विशिष्ठ अतिथि पार्षद इंदिरापुरम मीना भंडारी, पार्षद शालीमार गार्डन सुनीता रावत रेड्डी, एन एफ एन ई राष्ट्रीय महासचिव चंद्रमोहन पपनैं व विशिष्ठ प्रबुद्ध साहित्यकारो, पत्रकारों, रंगकर्मियों, सांस्कृतिक संस्थाओं व समाजसेवियों के सानिध्य मे साहिबाबाद (गाजियाबाद) स्थित गायत्री भवन, शालीमार गार्डन मे 2 जून  को भव्य सम्मान समारोह के साथ सम्पन्न हुआ। आयोजित 12 दिवसीय विभिन्न कार्यशालाओं मे उत्तराखंड की विविध सांस्कृतिक विधाओ मे 65 बच्चों ने शिक्षा ग्रहण कर, समापन समारोह के अवसर पर कुमाउंनी-गढ़वाली बोली-भाषा की भाषण प्रतियोगिता, लोकगायन व नृत्य तथा उत्तराखंड के पारंपरिक परिधानों पर फ़ेशन शो मे भाग लेकर उत्तराखंड की सु-विख्यात सांस्कृतिक लोक धरोहर को समृद्ध करने का संकल्प लिया।आयोजित सांस्कृतिक कार्यशाला का शुभारम्भ 26 अप्रैल को हुआ था।
कार्यशाला मे बच्चों को कुंमाउनी-गढ़वाली बोली-भाषा मे पूरन चंद्र कांडपाल, दिनेश ध्यानी, डॉ सतीश कालेश्वरी, डॉ पृथ्वी सिंह केदारखंडी, गिरीश चंद्र ‘भावुक’, ओमप्रकाश आर्य, गिरधारी रावत, जयपाल सिंह रावत ‘छिपड़ दा’, रमेश हितैषी, प्रदीप रावत ‘खुदेड’ व नीरज बवाड़ी द्वारा प्रशिक्षित किया गया। रंगमंच के क्षेत्र मे डॉ सुवर्ण रावत द्वारा। लोकनृत्य व गीतो मे शिवदत्त पंत व डॉ दीपा जोशी द्वारा। फिल्म के क्षेत्र मे मनोज चंदोला, सुशीला रावत, प्रदीप वेदवाल के साथ-साथ गिरीश चंद्र, डी एस बंगारी व भगवती प्रसाद ध्यानी द्वारा उत्साहित बच्चों को विविध विधाओं मे प्रशिक्षित किया गया। कार्यशाला मे भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को स्किल इंडिया भारत सरकार से जुडे गिरीश चंद्र द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को मुख्य अतिथि के हाथों सम्मानित किया गया। भाषण प्रतियोगिता के विजेताओं मे शैलेश गोनियाल प्रथम, इषिका जोशी द्वितीय व ध्रुव देवरानी तृतीय रहे।
मनीषा नैलवाल का लोकगीत- म्यार पहाड़ा, कतुक भोल लागू छ, म्यर पहाड़…
दक्ष बलूनी का गीत- म्यरो जन्म भूमि म्यर पहाड़ा…श्रोताओं को बहुत भाया।
आयोजकों द्वारा अतिथियों का सम्मान शाल ओढा कर व पुस्तक गुच्छ प्रदान कर किया गया। सम्मान पाने वालों मे मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों के साथ-साथ अनिल पंत, प्रेमा धोनी, आशा बरार, जगमोहन ‘जिज्ञासु’, आर पी शर्मा, हंसादत्त शर्मा मुख्य थे। शिक्षकों व विशेषज्ञयो को शिक्षा सहयोग हेतु प्रमाण पत्र मुख्य अतिथि व अन्य विशिष्ठ अतिथियो के हाथों प्रदान किए गए। मुख्य अतिथि डॉ हरिसुमन बिष्ट ने अपने संबोधन मे प्रवास मे उत्तराखंड की पारम्परिक लोकसंस्कृति, बोली-भाषा, रंगमंच, लोकगायन के संवर्धन, स्मृद्धि तथा उत्थान हेतु आयोजकों व कार्यशाला के शिक्षकों के द्वारा दिए योगदान की प्रशंसा की। कहा जो बच्चे अपनी बोली-भाषा से हट रहे हैं, उन्हे जोड़ने का यह सराहनीय प्रयास है। समाज मे चेतना जगाने के लिए भाषा संस्कृति से जुड़ना जरूरी है। डॉ बिष्ट ने कहा हिंदी मे इतना बड़ा शब्दकोष नही है, जितना बड़ा कुंमाउनी व गढ़वाली मे है। उत्तराखंड के जनमानस के बीच बोले जाने वाले कुछ आम शब्दों का उदाहरण भी उन्होंने दिया। ‘बरकत’ को उन्होंने ‘प्रगति’ से जोड़ अपनी ‘ईजा’ के द्वारा बोले पहाड़ी शब्दों से जोड़ उसका अर्थ उदाहरण देकर सुनाया। सभागार मे बैठै सभी प्रबुद्ध अभिभावकों व श्रोताओं से मुख्य अतिथि ने आग्रह किया कि वे प्रवास मे जहा भी रहे अपनी मूल बोली-भाषा के प्रति बच्चों मे लगाव पैदा करे। लोकसंस्कृति, बोली-भाषा  रीति-रिवाज ही प्रवास मे हमारी उत्तराखंडियों की मुख्य पहचान है।दिल्ली एनसीआर मे कार्यरत उत्तराखंड की अनेको प्रवासी सांस्कृतिक व सामाजिक संस्थाओं से जुडे लोगों की भारी संख्या मे उपस्थिति देखी गई। मुख्य संस्थाओ के प्रतिनिधियों मे पूर्व पार्षद चंद्र भूषण, पवन रेड्डी, वीरेन्द्र रावत, हरीश शर्मा, इंद्रमणी शर्मा, नंदन रावत, खीम सिंह रावत, गिरीश जोशी, सुमन सती, अंजू जुयाल, रमेश बवाड़ी, डॉ डंगवाल, डी के शर्मा, आर पी शर्मा, डिगर सिंह फर्त्याल, राजेंद्र सिंह नेगी, नरेंद्र सिंह नेगी, जितेंद्र रावत, हेमंत भाकुनी, जगत बिष्ट, अर्जुन सिंह, मनोज अधिकारी इत्यादि मुख्य थे।आयोजित सांस्कृतिक कार्यशाला के मुख्य आयोजक ‘वाइस आफ माउंटेन’ के जगमोहन ‘जिज्ञासु’,  ‘सृजन से’ त्रैमासिक पत्रिका की संपादक मीना पांडेय के द्वारा किए आयोजन  की अतिथियो व उपस्थित संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा भूरि-भूरि प्रशंसा की गई। समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ हरिसुमन बिष्ट को  आगामी 7 जून को साहित्य के क्षेत्र मे ‘द्वितीय गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर अंतरराष्ट्रीय साहित्य पुरुस्कार 2019’ जो ग्रीस एथेन्स मे आयोजित 17वे अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मिलन के समारोह के अवसर पर मानपत्र, प्रतीक चिन्ह व 51 हजार रुपया प्रतीक राशि स्वरूप दिया जा रहा है, सभागार मे उपस्थित सभी श्रोताओं व अतिथियो द्वारा डॉ हरिसुमन बिष्ट को मिले सम्मान पर हर्ष व्यक्त कर, तालियों की गड़गड़ाहट व हर्ष ध्वनि के बीच बधाई प्रेषित की गई। आयोजित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यशाला कार्यक्रमो का संचालन कैलाश पांडे, नीरज बवाड़ी, दलवीर सिंह रावत व नरेश देवरानी ने बखूबी निभाया।
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