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संसद के पहले दिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम हमले पर गरमाया माहौल

विपक्ष ने उठाए सवाल, पीएम मोदी ने की रचनात्मक चर्चा की अपील

Amar chand नई दिल्ली, 21 जुलाई।संसद का मानसून सत्र सोमवार को आरंभ हुआ, लेकिन जैसे ही लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी दलों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और “ऑपरेशन सिंदूर” पर केंद्र सरकार से जवाब मांगते हुए जोरदार प्रदर्शन और नारेबाजी शुरू कर दी।

सत्र के पहले ही दिन लोकसभा में विपक्षी सांसदों ने नारे लगाए – “प्रधानमंत्री जवाब दो!”, और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे पर सवाल उठाए जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को उन्होंने शांत किया है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शांति की अपील करते हुए कहा “सदन नियमों से चलता है, हंगामे से नहीं। सरकार सभी सवालों के उत्तर देने को तैयार है।”

इसके बावजूद, लगातार शोरगुल और नारेबाजी के कारण सदन की कार्यवाही पहले 12 बजे तक और फिर 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी। विपक्ष ने पहलगाम हमले के अलावा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर भी चर्चा की मांग की।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सवाल उठाया कि“हमले के आतंकी न पकड़े गए, न मारे गए। ट्रंप कह रहे हैं कि उन्होंने जंग रुकवाई और सरकार हमें कुछ नहीं बता रही।”

खरगे ने इस विषय पर तत्काल चर्चा की मांग की, लेकिन हंगामे के चलते राज्यसभा की कार्यवाही भी दोपहर 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।

मानसून सत्र के आरंभ से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया को संबोधित करते हुए सत्र को ‘गौरव और विजय उत्सव’ का प्रतीक बताया और सभी सांसदों से जनहित में रचनात्मक सहयोग की अपील की।

“यह समय है भारत की प्रगति को और गति देने का। संसद में हर विषय पर स्वस्थ चर्चा हो — यही लोकतंत्र की आत्मा है।”

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि इस वर्ष का मानसून कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत लेकर आया है।

संसद के इस मानसून सत्र में कुल 17 प्रमुख विधेयक पेश किए जाएंगे, जिनमें कुछ लंबे समय से लंबित कानून भी शामिल हैं। सरकार का लक्ष्य है कि इस सत्र को “नीति और परिणाम” आधारित बनाया जाए।

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