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फ्लाई ऐश प्रबंधन पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

NTPC CMD गुरदीप सिंह और रेलवे बोर्ड सदस्य हितेंद्र मल्होत्रा की मौजूदगी में सतत उपयोग पर मंथन

Amar sandesh नई दिल्ली।रेल मंत्रालय और एनटीपीसी ने नोएडा स्थित पावर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में फ्लाई ऐश के उपयोग और परिवहन पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस अवसर पर फ्लाई ऐश उत्पादक, उपयोगकर्ता, ट्रांसपोर्टर और नीति निर्माता एक साथ मंच पर आए और भारत में इसके स्थायी प्रबंधन के लिए रणनीति पर चर्चा की।

वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत ने 340.11 मिलियन टन फ्लाई ऐश उत्पन्न की, जिसमें से 332.63 मिलियन टन का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया। रेलवे न केवल हरित और टिकाऊ परिवहन साधन उपलब्ध करा रहा है, बल्कि आकर्षक माल ढुलाई रियायतों के ज़रिए इसे किफायती विकल्प भी बना रहा है। विस्तार की अहम संभावनाओं के साथ, रेलवे इस राष्ट्रीय मिशन में और बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

फ्लाई ऐश का उपयोग सर्वाधिक सड़क और फ्लाईओवर निर्माण (32%) तथा सीमेंट उद्योग (27%) में हुआ। इसके अतिरिक्त, ईंट और टाइल निर्माण (14%), बैकफ़िलिंग (11%), माइन फ़िलिंग (10%) और कृषि व RMC (1-2%) में भी इसका उपयोग किया गया। यह सम्मेलन उन नीतियों के लिहाज़ से विशेष महत्व रखता है, जो निर्माण कार्यों में फ्लाई ऐश के अनिवार्य उपयोग को बढ़ावा देती हैं।

सम्मेलन में प्रमुख रूप से घनश्याम प्रसाद, अध्यक्ष, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA); हितेंद्र मल्होत्रा, सदस्य (संचालन एवं व्यवसाय विकास), रेल मंत्रालय; गुरदीप सिंह, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, NTPC; तथा पीयूष सिंह, अपर सचिव, विद्युत मंत्रालय सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। इस आयोजन और विपणन का नेतृत्व डॉ. मनोज सिंह, अपर सदस्य (विपणन एवं व्यवसाय विकास), रेल मंत्रालय ने किया।

फ्लाई ऐश, ताप विद्युत उत्पादन का प्रमुख उप-उत्पाद होने के नाते, एक चुनौती और अवसर दोनों प्रस्तुत करता है। यह सम्मेलन न केवल इसके सुरक्षित और टिकाऊ प्रबंधन पर केंद्रित रहा, बल्कि इसे एक मूल्यवान संसाधन के रूप में बुनियादी ढाँचे और औद्योगिक विकास में व्यापक उपयोग के अवसरों को भी रेखांकित करता है।

यह पहल भारत की चक्रीय अर्थव्यवस्था, लागत दक्षता और पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को सशक्त बनाती है और भविष्य में स्वच्छ तथा संसाधन-कुशल विकास का मार्ग प्रशस्त करती है।

mar sandesh नई दिल्ली |रेल मंत्रालय और एनटीपीसी ने नोएडा स्थित पावर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में फ्लाई ऐश के उपयोग और परिवहन पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस अवसर पर फ्लाई ऐश उत्पादक, उपयोगकर्ता, ट्रांसपोर्टर और नीति निर्माता एक साथ मंच पर आए और भारत में इसके स्थायी प्रबंधन के लिए रणनीति पर चर्चा की।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत ने 340.11 मिलियन टन फ्लाई ऐश उत्पन्न की, जिसमें से 332.63 मिलियन टन का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया। रेलवे न केवल हरित और टिकाऊ परिवहन साधन उपलब्ध करा रहा है, बल्कि आकर्षक माल ढुलाई रियायतों के ज़रिए इसे किफायती विकल्प भी बना रहा है। विस्तार की अहम संभावनाओं के साथ, रेलवे इस राष्ट्रीय मिशन में और बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
फ्लाई ऐश का उपयोग सर्वाधिक सड़क और फ्लाईओवर निर्माण (32%) तथा सीमेंट उद्योग (27%) में हुआ। इसके अतिरिक्त, ईंट और टाइल निर्माण (14%), बैकफ़िलिंग (11%), माइन फ़िलिंग (10%) और कृषि व RMC (1-2%) में भी इसका उपयोग किया गया। यह सम्मेलन उन नीतियों के लिहाज़ से विशेष महत्व रखता है, जो निर्माण कार्यों में फ्लाई ऐश के अनिवार्य उपयोग को बढ़ावा देती हैं।
सम्मेलन में प्रमुख रूप से घनश्याम प्रसाद, अध्यक्ष, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA); हितेंद्र मल्होत्रा, सदस्य (संचालन एवं व्यवसाय विकास), रेल मंत्रालय; गुरदीप सिंह, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, NTPC; तथा पीयूष सिंह, अपर सचिव, विद्युत मंत्रालय सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। इस आयोजन और विपणन का नेतृत्व डॉ. मनोज सिंह, अपर सदस्य (विपणन एवं व्यवसाय विकास), रेल मंत्रालय ने किया।
फ्लाई ऐश, ताप विद्युत उत्पादन का प्रमुख उप-उत्पाद होने के नाते, एक चुनौती और अवसर दोनों प्रस्तुत करता है। यह सम्मेलन न केवल इसके सुरक्षित और टिकाऊ प्रबंधन पर केंद्रित रहा, बल्कि इसे एक मूल्यवान संसाधन के रूप में बुनियादी ढाँचे और औद्योगिक विकास में व्यापक उपयोग के अवसरों को भी रेखांकित करता है।
यह पहल भारत की चक्रीय अर्थव्यवस्था, लागत दक्षता और पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को सशक्त बनाती है और भविष्य में स्वच्छ तथा संसाधन-कुशल विकास का मार्ग प्रशस्त करती है।
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