नई दिल्ली। 19 जुलाई की सायं दिल्ली प्रवास में विगत सैंतीस वर्षों से निरंतर उत्तराखंड की सांस्कृतिक गतिविधियों को संजोई सांस्कृतिक संस्था ‘पर्वतीय लोक कला मंच’ द्वारा उत्तराखंड की धार्मिक देवगाथा पर आधारित संगीतमय कुमाऊनी नाटक ‘बाला गोरिया’ का प्रभावशाली मंचन मुख्य अतिथि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व महाराष्ट्र तथा गोवा के पूर्व राज्यपाल रहे भाजपा नेता भगत सिंह कोश्यारी की प्रभावी उपस्थिति में खचाखच भरे श्री सत्य साईं ऑडिटोरियम लोदी रोड में हेम पंत के निर्देशन और डॉ. कमल कर्नाटक के सह निर्देशन तथा प्रदीप एवं संजय प्रसाद के संगीत निर्देशन में मंचित किया गया।
संगीतमय कुमाऊनी लोक नाटक ‘बाला गोरिया’ मंचन का श्रीगणेश मुख्य अतिथि भगत सिंह कोश्यारी, उद्योग जगत से जुड़े विशिष्ट अतिथियों में प्रमुख नरेंद्र सिंह लडवाल व संजय जोशी, उत्तराखंड मुख्यमंत्री मीडिया कॉर्डिनेटर मदन मोहन सती, दिल्ली सरकार हिंदी अकादमी सचिव संजय गर्ग, डॉ. आशा जोशी, इंद्रा भट्ट व सेवा निवृत आईआरएस हीरा बल्लभ जोशी के कर कमलों दीप प्रज्वलित कर तथा मुख्य व विशिष्ट अतिथियों के साथ-साथ सभागार में उपस्थित अन्य गणमान्य अतिथियों में प्रमुख पर्वतीय कला केंद्र दिल्ली महासचिव चंदन डांगी, साहित्यकारा डॉ. हेमा उनियाल, संगीतकार राजेंद्र चौहान, संस्था अध्यक्ष हीरा बल्लभ कांडपाल, साहित्यकार डॉ. हरिसुमन बिष्ट, देश के सुविख्यात जादूगर डॉ. के सी पांडे, डॉ. दुर्गेश पंत, महेंद्र पांडे, संस्था संयोजक दिनेश फ़ुलारा व खुशहाल सिंह रावत इत्यादि इत्यादि के कर कमलों प्रकाशित ‘श्रृंखला’ नामक स्मारिका का लोकार्पण किया गया। आयोजक संस्था पदाधिकारियों द्वारा मुख्य अतिथि भगत सिंह कोश्यारी का व अन्य विशिष्ट अतिथियों का शाल ओढ़ा, टोपी पहना व पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत अभिनन्दन किया गया।
नाटक मंचन से पूर्व मुख्य अतिथि भगत सिंह कोश्यारी द्वारा कहा गया, मैंने ही कहा था हेम पंत जी से गोल ज्यू पर नाटक का मंचन करो, जिसे आज साकार किया जा रहा है। आयोजक संस्था से जुड़े सभी सदस्यों को आयोजन हेतु बधाई देते हुए मुख्य अतिथि द्वारा कहा गया, उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाल रूप में श्रीराम व उत्तराखंड में बाला गोरिया (गोल ज्यू) की स्थापना हुई है। बाला गोरिया भी राजा था। समाजिक समरसता हेतु न्याय देवता के रूप में गोल ज्यू पूज्यनीय हैं। उनका आशीर्वाद जन समाज को सदा मिलता रहे, कामना करता हूं।
‘पर्वतीय लोक कला मंच’ संस्थापक अध्यक्ष स्व. गंगादत्त भट्ट को समर्पित मंचित धार्मिक देवगाथा आधारित संगीतमय कुमाऊनी नाटक ‘बाला गोरिया’ उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल और जन समाज के मध्य गोरिल, बाला गोरिया, गोल ज्यू, गौर भैरव व गोलू देवता इत्यादि नामों से न्याय देवता के रूप में अत्यंत ख्यातिरत और जन समाज द्वारा पूज्य रहे हैं। मंचित नाटक द्वारा देवता और मानव के बीच की तारतम्यता को प्रस्तुत करने का सराहनीय प्रयास किया गया। मंचित गाथा कथासार को सूत्रधारों के माध्यम से बड़ी खूबी से विस्तार दिया गया, गाथा बखान किया गया। गाथा बखान के क्रम में ही पौराणिक देवगाथा से जुड़े नाटक के दृश्यों का मंचन अंचल की कुमाऊनी बोली-भाषा में बखूबी किया गया। तालियों की गड़गड़ाहट कर श्रोताओं द्वारा मंचित नाटक के पात्रों का उत्साह वर्धन किया गया।
नाटक के संगीत पक्ष की अगर बात करें तो संगीत विधा से जुड़े रहे स्व. चंचल प्रसाद के पुत्रों प्रदीप एवं संजय प्रसाद द्वारा मंचित आंचलिक कुमाऊनी नाटक को सफल बनाने में वाद्य यंत्रों बांसुरी, की बोर्ड, सितार, हुड़का, ढोलक, झांझ इत्यादि इत्यादि का नाटक में पिरोए गए गीतों में उक्त वाद्यों की धुनों का प्रभावशाली प्रयोग विनय प्रसन्ना, चितकर्ष, रवि शर्मा, भुवन रावत, सतेंद्र सिंह, यमन प्रसाद इत्यादि इत्यादि वादकों के सानिध्य में कर नाटक को गति देने व प्रभावी बनाने में अच्छा योगदान दिया गया। दीपाली प्रसन्ना, चन्द्रकान्ता शर्मा, हरीश रावत, सत्येंद्र परंडियाल व महेंद्र सिंह लटवाल के द्वारा गाए गए गीतों व समूह गानों में प्रयुक्त संगीत की धुनों ने श्रोताओं को अति प्रभावित किया।
मंचित नाटक में पिरोए गए नृत्यों की कोरियोग्राफी लक्ष्मी रावत पटेल द्वारा बखूबी की गई। नाटक के कुछ दृश्यों में प्रकाश व साउंड व्यवस्था में कुछ झोल नजर आए। स्लाइड के माध्यम से मंच परे पर्दे पर प्रदर्शित कुछ दृश्य अति प्रभावशाली व कुछ गाथा कालखंड से मेल खाते नहीं थे। बलवीर सिंह रावत द्वारा की गई पात्रों की रूप सज्जा तथा भूपाल सिंह बिष्ट द्वारा की गई वस्त्र सज्जा नाटक के अनुरूप थी।
मंचित नाटक सूत्रधार हेम पंत व मयंक भट्ट के साथ-साथ अनेकों अन्य मुख्य पात्रों की भूमिकाओं में महेंद्र लटवाल (राजा झालराई), वेदांत कर्नाटक (गोरिया), ममता कर्नाटक (बड़ी रानी), दीपिका पांडे (कालिंका), सुनैना बिष्ट (रति), लक्ष्मी महतो (धींवरी), कमल कर्नाटक (धींवर) तथा अन्य कलाकारों में भूपाल सिंह बिष्ट, के एन पांडे, भगत सिंह, यश भट्ट, शमशेर सिंह, मनोज गौतम, सुभाष कुकरेती, वीरेंद्र सिंह कैंटा, सुधीर पंत, पुष्पा भट्ट, पुष्पा दत्त, हिमानी बिष्ट, गीता गुसाई व पूनम लखेड़ा के प्रभावी अभिनय, व्यक्त संवादों व नृत्य ने श्रोताओं को प्रभावित किया, मंचित कुमाऊनी बोली-भाषा के नाटक ‘बाला गोरिया’ को सफल और यादगार बनाया। ———