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जादू, मिशन और परिवार: एक अनोखी गाथा

लेखक -डॉ. के सी पांडेय

बरेली, कन्नौज, फ़िरोज़ाबाद और बनारस जैसे शहर अपने खास नामों से जाने जाते हैं – झुमका, इत्र, चूड़ियाँ और बनारसी साड़ियाँ। लेकिन जब बात जादू की आती है, तो एक ही नाम जेहन में उभरता है: शहंशाह-ए-जादूगर ओ.पी. शर्मा। वह नाम सिर्फ एक जादूगर का नहीं, बल्कि जादू का ही दूसरा नाम है। ओ.पी. शर्मा और उनके बेटे, ओ.पी. शर्मा जूनियर, दोनों ही इस कला के पर्याय हैं।जूनियर ओपी शर्मा के मुताबिक पिछले 50 सालों से जादू की दुनिया में अपना लोहा मनवा चुके ओ.पी. शर्मा ने देश-विदेश में 41,500 से ज्यादा हाउसफुल शो करके एक विश्व रिकॉर्ड बनाया है। उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें “शहंशाह-ए-जादू” की महान उपाधि और 2001 का नेशनल मैजिक अवार्ड भी मिला है।
ओ.पी. शर्मा जूनियर के शो की तैयारी भी उतनी ही भव्य होती है। 110 लोगों का उनका काफिला, जिसमें सहायक कलाकार, संगीतकार, मेकअप आर्टिस्ट, और लाइट टेक्नीशियन शामिल होते हैं, जादू की दुनिया को जीवंत कर देता है। जादू का सारा सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए लगभग 16 से ज्यादा ट्रकों की जरूरत पड़ती है, जो उनके शो की विशालता को दर्शाता है। यह दिखाता है कि जादूगर ओ.पी. शर्मा का नाम सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि जादू के एक विशाल और रोमांचक साम्राज्य का प्रतीक है।ओ.पी. शर्मा के जीवन और जादुई सफर ने भारतीय जादू कला को एक नई पहचान दी है। बलिया, उत्तर प्रदेश में जन्मे और कानपुर को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले ओ.पी. शर्मा को बचपन से ही जादू का शौक था। उन्होंने अपने बड़े भाई स्वर्गीय देवतानंद शर्मा जी से जादू के शुरुआती गुर सीखे। अपनी लगन और मेहनत से उन्होंने जादू को न सिर्फ एक कला बल्कि एक पूरा शो बना दिया।ओ.पी. शर्मा ने 1971 में मुंबई में अपना पहला व्यावसायिक शो किया और 15 अक्टूबर 2022 को अपने निधन तक लगातार सक्रिय रहे। उन्होंने मुंबई में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान फिल्म जगत से मेकअप, लाइटिंग, साउंड और स्टेज मैनेजमेंट की बारीकियों को समझा और अपने जादुई शोज में उनका इस्तेमाल कर उन्हें और भी भव्य बनाया।
ओ.पी. शर्मा सिर्फ एक जादूगर नहीं थे, बल्कि जादू की दुनिया के सच्चे महानायक थे। जब भारतीय जादू कला विलुप्त होने की कगार पर थी, तब उन्होंने इसे आधुनिक उपकरणों के साथ फिर से जीवंत किया। उन्होंने अपने हैरतअंगेज कारनामों से करोड़ों लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया और अपनी कला से लोगों को अंधविश्वास से दूर रहने के लिए प्रेरित किया। उनके प्रदर्शनों ने न केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों में भी लोगों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी।उन्होंने चार अंतर्राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाए और जादू के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान के लिए इंडियन मैजिक मीडिया सर्कल ने उन्हें नेशनल मैजिक अवार्ड 2001 और शहंशाह-ए-जादू की उपाधि से सम्मानित किया।
ओ.पी. शर्मा की जादुई विरासत को उनके दूसरे बेटे सत्य प्रकाश शर्मा आगे बढ़ा रहे हैं, जिन्हें लोग “जादूगर ओ.पी. शर्मा जूनियर” के नाम से जानते हैं। पिता की तरह ही हावभाव और प्रदर्शन में समानता होने के कारण उन्हें यह नाम मिला। उन्होंने 1990 में अपना पहला पेशेवर शो किया और अब वे अपने पिता की विरासत को संजोने और इसे आम लोगों तक पहुँचाने का महान कार्य कर रहे हैं। इस पिता-पुत्र की जोड़ी ने जादू की कला को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और इसे अमर बना दिया।महान जादूगर ओ.पी. शर्मा की अद्भुत यात्रा:

जादूगर ओ.पी. शर्मा, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया में हुआ और कानपुर उनकी कर्मभूमि बनी, एक ऐसे कलाकार थे जिन्हें बचपन से ही जादू से गहरा लगाव था। उन्होंने दूसरी कक्षा में ही अपने बड़े भाई, स्वर्गीय देवतानंद शर्मा, से जादू के शुरुआती गुर सीखे। अपनी लगन, मेहनत और अथक प्रयासों से उन्होंने इस कला को इतना निखारा कि वह जादू की दुनिया के पर्याय बन गए।

जादू के बेमिसाल प्रदर्शन:

ओ.पी. शर्मा ने न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर में अपने हैरतअंगेज जादू के शो से करोड़ों लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी प्रतिभा इतनी महान थी कि बड़े-बड़े लेखक भी उनका वर्णन करने में खुद को असमर्थ पाते हैं। जिस समय भारतीय जादू कला विलुप्त होने की कगार पर थी, ओ.पी. शर्मा ने इसे पुनर्जीवित किया और इसे आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों से जोड़कर एक नई पहचान दी। उन्होंने लोगों में जादू के प्रति फिर से रुचि जगाई और इसे मनोरंजन का एक स्वस्थ माध्यम बनाया।

एक कुशल कला और प्रबंधन का संगम:

मुंबई (तत्कालीन बंबई) में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ओ.पी. शर्मा ने फिल्मों की दुनिया से मेकअप, लाइटिंग, साउंड और मंच-सज्जा की बारीकियों को समझा और अपने जादू के शो में उनका बखूबी इस्तेमाल किया। सर्विस के दौरान उन्होंने पेशेवर जादू शो करना शुरू किया, जिससे उन्हें खूब शोहरत और धन दोनों मिला। अपनी कला यात्रा के शुरुआती दिनों में, वह मेलों और प्रदर्शनियों में एक दिन में 15-15 शो करते थे, फिर भी उनकी ऊर्जा और उत्साह में कोई कमी नहीं आती थी। उन्होंने सिर्फ जादू दिखाया ही नहीं, बल्कि इसे पुष्पित, पल्लवित और विकसित करने में भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने हमेशा लोगों को अंधविश्वास से दूर रहने के लिए प्रेरित किया।

सम्मान और परिवार का समर्थन:

अपने महान योगदान के लिए, इंडियन मैजिक मीडिया सर्कल ने उन्हें साल 2001 में ‘नेशनल मैजिक अवार्ड’ और ‘शहंशाह-ए-जादू’ की उपाधि से सम्मानित किया। जादूगर ओ.पी. शर्मा ने अपने व्यस्त पेशेवर जीवन के साथ-साथ परिवार की जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाया। उन्होंने अपने चारों बच्चों को इंजीनियरिंग की शिक्षा दिलाई। उनके बड़े बेटे, प्रेम प्रकाश शर्मा, ने इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग के बाद जादू के शो में कंप्यूटर तकनीक का इस्तेमाल किया। उनके दूसरे बेटे, सत्य प्रकाश शर्मा, मैकेनिकल इंजीनियर हैं और जादू की दुनिया में ‘ओ.पी. शर्मा जूनियर’ के नाम से मशहूर हैं। तीसरे बेटे, पंकज प्रकाश शर्मा, टेक्सटाइल इंजीनियर हैं और कानपुर में उनके मुख्यालय ‘भूत बंगला’ का प्रबंधन संभालते हैं। उनकी बेटी, रेनू शर्मा, ने कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करने के बाद जादू के शो की तकनीकी जिम्मेदारियां निभाईं और अब वह अमेरिका में हैं।

जादूगर ओ.पी. शर्मा जूनियर: जादू की दुनिया के राजकुमार:

महान जादूगर ओ.पी. शर्मा के बेटे, जादूगर ओ.पी. शर्मा जूनियर, जिनका असली नाम सत्य प्रकाश शर्मा है, ने अपने पिता की विरासत को न केवल आगे बढ़ाया है, बल्कि उसमें आधुनिकता का समावेश कर उसे नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया है। बचपन से ही वह अपने पिता के रचनात्मक कार्यों में हाथ बंटाते रहे, जिससे उन्हें जादू की कला की गहरी समझ मिली।
ओ.पी. शर्मा जूनियर ने जादू को एक नीरस कला मानने वाले लोगों की धारणा को बदला। उन्होंने इसमें आधुनिक लाइट्स और डिजिटल साउंड का इस्तेमाल कर इसे जीवंत बना दिया। पिछले 45 सालों से जादू की दुनिया में सक्रिय और 30 साल से पेशेवर शो कर रहे ओ.पी. शर्मा जूनियर आज के युवाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा हैं। उनके नक्शेकदम पर चलकर कई युवा जादू को अपना करियर बना रहे हैं।

भव्य शो और टीम का समर्पण:

ओ.पी. शर्मा जूनियर का लक्ष्य भारत की प्राचीन जादू कला को उसका खोया हुआ गौरव वापस दिलाना है। उनके शो की भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी टीम में 100 से ज़्यादा कलाकार हैं, जिनमें एक दर्जन से ज़्यादा महिला कलाकार शामिल हैं। उनके साथ 10 से ज़्यादा ट्रकों में लगभग 200 टन जादू का सामान चलता है, जो उनके विशाल प्रदर्शनों को संभव बनाता है।

सम्मान और ‘मैजिक विद मिशन’:

ओ.पी. शर्मा जूनियर को उनके अद्भुत योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया है। इंडियन मैजिक मीडिया सर्कल ने उन्हें ‘गोल्ड मेडल’ और ‘मैजिक प्रिंस’ की उपाधि से सम्मानित किया है। इसके अलावा, उन्हें ‘ओनरेरी डॉक्टरेट अवार्ड 2022’, ‘जादू शिरोमणि अवार्ड’ और मैजिक अकादमी ऑफ इंडिया द्वारा ‘जादू गौरव’ जैसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

हाल ही में, उनका बहुप्रतीक्षित शो ‘मायाजाल’ दिल्ली के ऐवान-ए-ग़ालिब ऑडिटोरियम में शुरू हुआ। इस शो का उद्घाटन कई गणमान्य व्यक्तियों और प्रसिद्ध जादूगरों की उपस्थिति में हुआ, जिसमें भाजपा पार्षद मनोज कुमार जैन, जादूगर के.सी. पांडेय और जादूगर शंकर सम्राट जैसी हस्तियाँ शामिल थीं।ओ.पी. शर्मा जूनियर का एक खास अभियान है ‘मैजिक विद मिशन’, जिसके तहत वह अपने जादू के शो के माध्यम से लोगों को मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक संदेश भी देते हैं। उनके इस प्रयास की खूब सराहना हुई है, और अतिथियों ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम आज के समय में बहुत ज़रूरी हैं।

जादूगर ओ.पी. शर्मा जूनियर का ‘मायाजाल’:

हैरतअंगेज करतबों की बेमिसाल प्रस्तुति
शो में ओ.पी. शर्मा जूनियर मंच पर अचानक प्रकट होते हैं, और फिर शुरू होता है जादुई करिश्मों का सिलसिला। एवाने गालिब ऑडिटोरियम में उन्होंने ‘माइम मैजिक’ जैसी अनोखी कला का प्रदर्शन किया, जहाँ एक पुतले की खोपड़ी से हवा में बातें करने का दृश्य दर्शकों को हैरान कर गया। एक खाली बक्से से ढेरों फूल और तिरंगा झंडा निकलने का करतब देखकर दर्शक खुशी से झूम उठे।
शो के दौरान ओ.पी. शर्मा जूनियर ने ‘ड्रिल ऑफ़ डेथ’ और ‘पलक झपकते रूप बदलता तिलिस्मी चेहरा’ जैसे खतरनाक जादू दिखाए। इसके अलावा, मिस्र की राजकुमारी का मम्मी से जीवित होकर हवा में उड़ जाना, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का गायब होना जैसे बड़े इल्यूजन भी दर्शकों को बहुत पसंद आए। उनके हर करतब के बाद उनकी पोशाक इतनी तेजी से बदलती थी कि दर्शक आश्चर्यचकित होकर आपस में चर्चा करने लगे कि क्या यह भी जादू का ही हिस्सा है।
मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक संदेश
ओ.पी. शर्मा जूनियर के जादू के हर करतब में अत्याधुनिक संगीत, प्रकाश और ध्वनि का शानदार तालमेल है, जो कि पूरे शो को और भी मनमोहक बना देता है। दो घंटे का यह शो इतना मनोरंजक है कि समय का पता ही नहीं चलता। इनॉग्रल शो के आखिर में कलाकारों ने बच्चों को गुब्बारे बांटे, जिससे बच्चों के साथ-साथ बड़े भी खुशी से झूम उठे।
यह शो सिर्फ मनोरंजन तक ही सीमित नहीं है , बल्कि इसमें कन्या भ्रूण हत्या, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, और ढोंगी बाबाओं से बचने जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश भी दिए गए हैं ।इस तरह, ओ.पी. शर्मा जूनियर ने साबित कर दिया कि जादू को समाज सुधार का एक शक्तिशाली माध्यम भी बनाया जा सकता है।इनॉग्रल शो दर्शकों को यह स्वस्थ और रोचक मनोरंजन बेहद पसंद आया, जिसे वे लंबे समय तक याद रखेंगे। उम्मीद है कि यह शो पूरे महीने सफलतापूर्वक चलेगा।

टिकट और शो का समय:

यदि आप भी इस शानदार शो का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो ‘मायाजाल’ के टिकट magicianopsharma.com, BookMyShow और ऐवान-ए-ग़ालिब ऑडिटोरियम के काउंटर पर उपलब्ध हैं।
शो का समय (12 अक्टूबर तक):
* रोजाना (सोमवार – शनिवार): दोपहर 1 बजे, शाम 4 बजे और शाम 7 बजे।
* रविवार: सुबह 11 बजे, दोपहर 1:30 बजे, शाम 4 बजे और शाम 7 बजे।

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