आईएनएस त्रिकंद : मानवता, बहादुरी और राष्ट्रधर्म की मिसाल बना अरब सागर में
भारतीय नौसेना ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि वह केवल सीमाओं की रक्षक नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता की सेवा में समर्पित एक सशक्त संस्था है। 4 अप्रैल 2025 को, भारतीय नौसेना के स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस त्रिकंद ने मध्य अरब सागर में तैनाती के दौरान साहस और करुणा की एक अनूठी मिसाल पेश की।
⚓ संकट में फंसे पाकिस्तानी नाविक की जान बचाई
ओमान के तट से लगभग 350 समुद्री मील पूर्व में ईरानी मछली पकड़ने वाली नाव अल ओमीदी से एक आपातकालीन कॉल इंटरसेप्ट हुई। जांच करने पर ज्ञात हुआ कि एक नाविक, जो एक पाकिस्तानी (बलूच) नागरिक था, इंजन पर काम करते समय गंभीर रूप से घायल हो गया था और उसे अत्यधिक खून बहने की स्थिति में पास की नाव एफवी अब्दुल रहमान हंज़िया पर स्थानांतरित किया गया।
🚑 बिना समय गंवाए किया रेस्क्यू
आईएनएस त्रिकंद ने अपने मार्ग को तुरंत बदलते हुए आपातकालीन सहायता के लिए आगे बढ़कर “वसुधैव कुटुम्बकम्” – संपूर्ण विश्व को एक परिवार मानने की भारत की प्राचीन संस्कृति का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया।
त्रिकंद के वीर मरीन कमांडो (MARCOS), चिकित्सा अधिकारी और बोर्डिंग टीम ने नाव पर जाकर तीन घंटे तक चले एक जटिल सर्जिकल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। घायल नाविक की उंगलियों पर टांके लगाए गए, खून का बहाव रोका गया और उसकी जान बचाई गई – जिससे गैंग्रीन जैसी गंभीर स्थिति टल गई।
🩺 मानवता की सेवा में सीमा से परे जाकर
जहाज़ के डॉक्टरों ने न केवल प्राथमिक चिकित्सा दी, बल्कि ईरान पहुंचने तक की यात्रा के लिए एंटीबायोटिक्स और जरूरी मेडिकल सप्लाई भी दी। यह घटना न केवल भारतीय नौसेना के उच्चतम पेशेवर मानकों को दर्शाती है, बल्कि भारत के उस विशाल हृदय को भी दर्शाती है जो हर संकटग्रस्त मानव की मदद को तत्पर है – चाहे वह किसी भी देश, धर्म या जाति से हो।
🌍 वसुधैव कुटुम्बकम का जीवंत उदाहरण
यह मिशन “वसुधैव कुटुम्बकम”, “राष्ट्रसेवा” और “साहस” का अद्वितीय संगम था। पाकिस्तानी और ईरानी नाविकों ने भारतीय नौसेना को धन्यवाद देते हुए कहा –
“आपने समय रहते हमारे साथी की जान बचाई, इसके लिए हम हमेशा भारतीय नौसेना के आभारी रहेंगे।”
आईएनएस त्रिकंद की यह कार्रवाई एक बार फिर सिद्ध करती है कि भारतीय नौसेना केवल सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि संवेदनशीलता, सेवा और मानवता की शक्ति भी है। यह उदाहरण युवाओं के लिए प्रेरणा है कि राष्ट्रभक्ति केवल सीमाओं की रक्षा में नहीं, बल्कि मानवता की सेवा में भी निहित है।