मेक इन इंडिया से मेक फॉर द वर्ल्ड तक: सावली संयंत्र बना भारतीय रेलवे का वैश्विक गौरव
केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने वडोदरा स्थित एल्सटॉम संयंत्र का दौरा कर विनिर्माण उत्कृष्टता की सराहना की
Amar sandesh दिल्ली/वडोदरा।केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज वडोदरा जिले के सावली स्थित एल्सटॉम संयंत्र का दौरा किया, जो भारत में रेलवे वाहनों के निर्माण का एक प्रमुख केंद्र है। मंत्री ने संयंत्र के संचालन, रखरखाव प्रक्रियाओं और उत्पादन तकनीकों का गहन मूल्यांकन किया तथा एल्सटॉम की ऑर्डर-विशिष्ट निर्माण पद्धति की सराहना की। उन्होंने सुझाव दिया कि भारतीय रेलवे की सभी उत्पादन इकाइयों के महाप्रबंधक इस संयंत्र का प्रशिक्षण और अध्ययन दौरा करें ताकि यहां अपनाए गए नवाचारों से वे लाभान्वित हो सकें।
दौरे के दौरान श्री वैष्णव ने गति शक्ति विश्वविद्यालय के साथ एल्सटॉम द्वारा संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करने का प्रस्ताव रखा, जिससे भारतीय इंजीनियरों और तकनीशियनों को अत्याधुनिक तकनीक और रखरखाव के नए मानकों का लाभ मिल सके। उन्होंने निवारक रखरखाव में सेंसर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग पर भी चर्चा की और इसे रेलवे के लिए भविष्य की आवश्यकता बताया।
सावली संयंत्र वर्तमान में मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतों पर चलते हुए, लंबी दूरी की यात्री ट्रेनों और आधुनिक मेट्रो कोच का निर्माण कर रहा है। यहां के 3,400 से अधिक भारतीय इंजीनियर दुनिया भर में 21 एल्सटॉम संयंत्रों के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं। 2016 से अब तक, भारत ने विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए 1,002 रेल कारों का सफल निर्यात किया है, जिनमें से 450 रेल कारें सावली संयंत्र से ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए भेजी गई हैं।
इसके अलावा, इस संयंत्र ने जर्मनी, मिस्र, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील जैसे देशों को 3,800 से अधिक बोगियां, वियना (ऑस्ट्रिया) को 4,000 से अधिक फ्लैटपैक मॉड्यूल, तथा मनेजा इकाई से 5,000 से अधिक संचालन शक्ति प्रणालियां विभिन्न देशों को आपूर्ति की हैं। भारत से मेट्रो कोच ऑस्ट्रेलिया और कनाडा, यात्री कोच मोजाम्बिक, बांग्लादेश और श्रीलंका, तथा इंजन मोजाम्बिक, सेनेगल, श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश और गिनी गणराज्य को निर्यात किए गए हैं।