भारत हाइड्रोजन ऊर्जा की ओर बढ़ा बड़ा कदम – परमाणु ऊर्जा विभाग ने किया नया संयंत्र शुरू
भारत ने स्वच्छ और हरित भविष्य की दिशा में एक और मजबूत कदम उठाया है। परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत आने वाले भारी पानी बोर्ड (Heavy Water Board) ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के सहयोग से हाइड्रोजन उत्पादन के लिए एक खास तकनीक पर आधारित नया संयंत्र बनाना शुरू किया है।
यह संयंत्र मुंबई के चेंबूर इलाके में स्थित आरसीएफ परिसर में बनाया जा रहा है। इसमें आयोडीन-सल्फर प्रक्रिया (Iodine-Sulphur Process) का उपयोग किया जाएगा, जिससे पानी को गर्म करके थर्मो-केमिकल तरीके से हाइड्रोजन गैस बनाई जाएगी।
भविष्य की ईंधन: हाइड्रोजन
हाइड्रोजन एक ऐसा ईंधन है जो जलने पर कोई प्रदूषण नहीं करता और इसमें ऊर्जा देने की बहुत ज्यादा क्षमता होती है। यह पेट्रोल और डीज़ल जैसे पारंपरिक ईंधनों का एक बेहतर और साफ विकल्प बन सकता है। खास बात यह है कि इस संयंत्र में हाइड्रोजन उत्पादन के लिए बिजली नहीं, बल्कि गर्मी का इस्तेमाल किया जाएगा – जो इसे ज्यादा किफायती और पर्यावरण के अनुकूल बनाता है।
शिलान्यास समारोह में शामिल हुए प्रमुख वैज्ञानिक और अधिकारी
इस परियोजना का भूमिपूजन समारोह 3 मार्च 2025 को हुआ, जिसमें देश के शीर्ष वैज्ञानिक और अधिकारी शामिल हुए:
- डॉ. अजीत कुमार मोहंती, सचिव, परमाणु ऊर्जा विभाग और अध्यक्ष, परमाणु ऊर्जा आयोग
- श्री विवेक भसीन, निदेशक, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र
- श्री एस. सत्यकुमार, अध्यक्ष और सीईओ, भारी पानी बोर्ड
- श्री एस.सी. मुदगेरिकर, अध्यक्ष और एमडी, आरसीएफ
इन सभी ने इस परियोजना को देश के ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम बताया।
क्या है आयोडीन-सल्फर प्रक्रिया?
यह एक वैज्ञानिक तरीका है जिसमें गर्मी की मदद से पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित किया जाता है। इसमें बिजली की जरूरत नहीं पड़ती और इसे परमाणु संयंत्रों से जुड़ी गर्मी से भी चलाया जा सकता है। यह तरीका हाइड्रोजन बनाने के सबसे सुरक्षित और टिकाऊ विकल्पों में से एक माना जाता है।
भारत को मिलेगा फायदा
इस संयंत्र के शुरू होने से भारत हाइड्रोजन ऊर्जा तकनीक में उन गिने-चुने देशों की सूची में आ गया है जो इस दिशा में नवाचार और नेतृत्व कर रहे हैं। यह परियोजना भारत को:
- प्रदूषण कम करने
- पेट्रोलियम पर निर्भरता घटाने
- नई नौकरियाँ और तकनीकी विकास
- ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता
जैसे कई बड़े फायदे दे सकती है।
परमाणु ऊर्जा विभाग और भारी पानी बोर्ड की यह पहल न सिर्फ विज्ञान और तकनीक का शानदार उदाहरण है, बल्कि स्वच्छ भारत और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक प्रभावशाली कदम भी है। आने वाले समय में भारत हाइड्रोजन ऊर्जा में अग्रणी देशों में शामिल होगा, यह अब दूर नहीं।