हेमवती नंदन बहुगुणा निर्भीक नेता थे जिन्होंने समाज के गरीब और कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए काम किया – उपराष्ट्रपति
दिल्ली। उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने दआज कहा कि हमारे स्वाधीनता आंदोलन के अनेक नायकों को इतिहास की पुस्तकों में वो सम्मान और स्थान नहीं मिला है जिसके कि वो अधिकारी थे। उन्होंने नई पीढ़ी को इन विभूतियों के त्याग और तपस्या से परिचित कराने का आह्वान किया जिससे नई पीढ़ी देश के निर्माण हेतु उनके पदचिन्हों का अनुसरण कर सके।
आज उपराष्ट्रपति निवास पर आयोजित एक अवसर पर, स्वाधीनता सेनानी तथा राजनेता स्वर्गीय हेमवती नन्दन बहुगुणा की जीवनी का लोकार्पण करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे स्वाधीनता आंदोलन का इतिहास मातृभूमि के लिए असीम प्रेम और निःस्वार्थ त्याग की ऐसी अनगिनत गाथाओं से भरा पड़ा है जिस पर हमें गर्व होना चाहिए। विमोचन के अवसर पर रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, लोकसभा सांसद रीता जोशी बहुगुणा, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी कैबिनेट मंत्री महेंद्र नाथ पांडे राज्यसभा सांसद पवन बंसल लोकसभा सांसद राज लक्ष्मी शाह कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, सौरभ बहुगुणा,कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
“हेमवती नंदन बहुगुणा: भारतीय चेतना के संवाहक” (हिंदी में संशोधित संस्करण) तथा Hemvati Nandan Bahuguna: A Political Crusader (अंग्रेजी संस्करण), ये दोनों पुस्तकें प्रो. रीता बहुगुणा जोशी तथा डॉ. राम नरेश त्रिपाठी द्वारा लिखी गई हैं।
हेमवती नन्दन बहुगुणा को प्रसिद्ध स्वाधीनता सेनानी, राजनेता और कुशल प्रशासक बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने अपना सारा जीवन देश सेवा में अर्पित कर दिया। उपराष्ट्रपति श्री नायडू ने कहा कि जब आप उनकी जीवनी पढ़ते हैं तो पहले पहल बहुगुणा जी विद्रोही प्रतीत होते हैं लेकिन जैसे-जैसे आप आगे पढ़ते जाते हैं, तब समझ आता है कि उनके लिए वस्तुत: राष्ट्र ही सर्वोपरि था।
उन्होंने कहा कि बहुगुणा जी आज़ादी की अवधारणा से निकट से जुड़े रहे। सत्रह वर्ष की किशोरावस्था में ही स्वाधीनता आंदोलन में शामिल हो गए, लेकिन अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए और उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण अनेक प्रताड़ना झेलनी पड़ी। बहुगुणा जी के राष्ट्र समर्पण की सराहना करते हुए, उपराष्ट्रपति ने उनके जीवन का एक वाक्या भी उद्धृत किया जिसमें उन्होंने स्वाधीनता सेनानी कोटे से मिलने वाले जमीन के टुकड़े को लेने से, यह कहते हुए इंकार कर दिया कि उसे किसी अन्य जरूरतमंद स्वतंत्रता सेनानी को आवंटित कर दिया जाये।
बहुगुणा जी को गांधीवादी विचारों से प्रेरित बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने देश में आपातकाल लगाने के विरुद्ध उनके विरोध की सराहना की। छात्र जीवन से ही उनके संवेदनशील स्वभाव की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे स्कूल के दिनों में भी गरीब बच्चों के लिए आवाज उठाते थे और उन्हें मदद करते थे। उनके मुख्यमंत्रित्व काल में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के किसानों को भूमि वितरित करने में, देश भर में उत्तर प्रदेश का पहला स्थान रहा। उनकी उपलब्धि से प्रसन्न होकर विनोबा जी ने उन्हें “मिट्टी नंदन” की उपाधि दी थी।
समाज के कमजोर वर्गों के प्रति बहुगुणा जी की संवेदना का उदाहरण देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे अक्सर युवा लड़कों को एकत्र कर, उन्हें गांव की सफाई अभियान में जोड़ लेते या फिर दूर से पानी लाने में ग्रामीण महिलाओं की सहायता करवाते। इस संदर्भ में श्री नायडु ने सरकार द्वारा जनहित में प्राथमिकता के आधार पर चलाए जा रहे स्वच्छ भारत अभियान जैसे विभिन्न कार्यक्रमों की सराहना की और लोगों से ऐसे कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी करने का आग्रह किया जिससे एक हरे-भरे स्वच्छ भारत का निर्माण हो सके।
प्रसंगवश उपराष्ट्रपति ने 1980 की उस घटना का भी उल्लेख किया जब बहुगुणा जी ने अपनी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था तथा सिद्धांत के आधार पर साथ ही साथ संसद की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया, यद्यपि तब तक दल बदल कानून लागू नहीं हुआ था जिसके तहत उनके इस्तीफे की अनिवार्यता हो। उन्होंने कहा कि बहुगुणा जी सत्ता नहीं बल्कि व्यवस्था में बदलाव चाहते थे।
समकालीन भारतीय राजनीति के प्रमुख राजनेता के जीवन पर विस्तार से शोध की गई ऐसी जीवनी के प्रकाशन के लिए उपराष्ट्रपति ने पुस्तक के लेखकों, प्रो. रीता बहुगुणा जोशी तथा डॉ. राम नरेश त्रिपाठी का अभिनंदन किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ऐसी जीवनियां देश के युवाओं को राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरणा देंगी।मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को नई दिल्ली में ‘स्वर्गीय श्री हेमवती नंदन बहुगुणा जी के जीवन पर आधारित पुस्तक ‘हेमवती नंदन भारतीय जन चेतना के संवाहक’ के विमोचन कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।
इस कार्यक्रम के अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा जी की जीवन यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह बड़े हर्ष का विषय है कि उन्हें स्वर्गीय बहुगुणा जी के जीवन पर लिखित पुस्तक के विमोचन का सौभाग्य मिला।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हिमालय पुत्र हेमवती नंदन बहुगुणा जी के इरादे हिमालय जैसे अटूट थे। उनके द्वारा किए गए कार्य हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे ।उन्होंने अपने विलक्षण बौद्धिक प्रतिभा के बल पर भारतीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्होंने पहाड़ों के विकास हेतु हर सम्भव प्रयास किए।