मोदी सरकार की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है जीएसटी दरों में बदलाव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि 400 से अधिक वस्तुओं की जीएसटी दरों में बदलाव का लाभ देश के 140 करोड़ लोगों तक पहुंचे,
लेखक (महाबीर सिंह — वरिष्ठ पत्रकार)
इस साल के बजट में 12 लाख रूपये सालाना तक की व्यक्तिगत आय को कर मुक्त करने का चैंका देने वाला कदम उठाने के बाद मोदी सरकार ने अब जीएसटी दरों में बड़े बदलाव का कदम उठाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के इन कदमों को घरेलू अर्थव्यवस्था को गति देने वाला माना जा रहा है। सरकार ने पहले 2025-26 के बजट में जहां एक तरफ औसतन एक लाख रूपये महीने की व्यक्तिगत आय को कर मुक्त कर दिया वहीं आयकर ढांचे को भी काफी सरल बना दिया जिसमें चार लाख रूपये तक की सालाना आय पर कोई कर नहीं, वहीं, 24 लाख रूपये से अधिक की वार्षिक आय पर 30 प्रतिशत की दर रखी गई। जबकि पुरानी कर प्रणाली में 10 लाख रूपये से अधिक की वार्षिक आय पर ही 30 प्रतिशत आयकर लगता है। वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाले एक लाख रूपये तक के ब्याज पर टीडीएस कटौती नहीं। वहीं, छह लाख रूपये तक की किराया आय को भी टीडीएस कटौती से छूट दी गई। बजट में ऐसे ही अनेक उपाय किये गये जिससे लोगों की जेब में अधिक पैसा बचे।
यानि एक तरह से देखा जाये तो मोदी सरकार ने सोची समझी रणनीति के तहत काम करते हुये पहले आयकर दरों को सरल बनाकर लोगों की जेब में अधिक धन उपलब्ध कराने का काम किया और अब जीएसटी दरों में कमी लाकर माल एवं सेवाओं को सस्ता बनाने का काम किया है। सेवाओं के मामले में व्यक्तिगत जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा को सेवाकर से छूट दे दी गई। अब तक इनके प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता रहा है। हालांकि, बीमा प्रीमियम पर जीएसटी शून्य करने के बाद कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इससे वास्तव में बीमा कंपनियों की लागत बढ़ सकती है, क्योंकि अब तक कंपनियां जिन सेवाओं पर खुद जीएसटी का भुगतान करती थीं उन्हें वह बीमा प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी में समायोजित कर एक प्रकार से इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ ले लेती थी जो कि इस बदलाव के बाद नहीं मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2025 को लालकिले की प्राचीर से देश के नाम अपने संबोधन में जीएसटी दरों में सुधार कर जनता को दिवाली का तोहफा देने की घोषणा की। दरअसल, केन्द्र सरकार ने जीएसटी की चार मुख्य दरों के बदले केवल दो दरें (पांच और 18 प्रतिशत) रखने का प्रस्ताव किया। इस प्रस्ताव को पहले जीएसटी काउंसिल की मंत्री समूह की बैठक में रखा गया जिसे उसने मंजूरी दे दी। उसके बाद तीन सितंबर को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई जीएसटी परिषद की पूर्ण बैठक में इस पर अंतिम मुहर लग गई और गुटखा, तंबाकू जैसी अहितकर वस्तुओं को छोड़कर अन्य सभी पर 22 सितंबर 2025 से नई दरें लागू करने का फैसला कर दिया गया।
इस निर्णय के बाद समाचार पत्रों में बड़े बड़े विज्ञापन छपने लगे हैं। एक सरकारी विज्ञापन के अनुसार अल्ट्रा हाई टेम्परेचर (यूएचटी) दूध, पैकिंग और लेबल वाले छेना या पनीर, खाखरा, चपाती अथवा रोटी पर जीएसटी पांच प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है। पैकिंग में बिकने वाले भारतीय ब्रेड यानी रोटी परांठा, परोट्टा पर 18 से घटाकर शून्य, चाॅकलेट, आइसक्रीम, काॅफी, चाय, कार्न फ्लेक्स, पेस्ट्री, केक और बिस्कुट पर 18 से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी प्रकार मक्खन, घी, डेयरी स्प्रेड्स, चीज, मेवे और सूखे मेवे जैसे बादाम, पिस्ता, मूंगफली, काजू पर 12 से घटाकर पांच प्रतिशत, पहले से पैकिंग और लेबल लगे नमकीन, भूजिया और मिक्सचर, जैम, जैली, साॅस, मेयोनीज और सलाद ड्रेसिंग, फलों/सब्जियों के जूस, नारियल पानी तथा दूध से बने पेय पदार्थ सभी पर जीएसटी को 12 से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। छोटी कारों, 350सीसी तक मोटर साइकिलों, बस, आटो सभी पर जीएसटी घटाया गया है। अनेक कार कंपनियों ने दाम घटाने की घोषणा भी कर डाली है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चैहान तो तमाम कृषि उपकरणों के दाम में आने वाली कमी के बारे में खुद पूरी जानकारी दे चुके हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि 400 से अधिक वस्तुओं की जीएसटी दरों में बदलाव का लाभ देश के 140 करोड़ लोगों तक पहुंचे, सरकारी इसकी निगरानी करेगी। राजस्व संबंधी चिंता पर उन्होंने कहा कि इस बदलाव से यदि राज्यों के राजस्व में कमी आती है तो केन्द्र के राजस्व पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। यदि जीएसटी बढ़ता है तो केन्द्र और राज्य दोनों मिलकर बांटेंगे और नुकसान होता है तो दोनों सहेंगे। वित्त मंत्री का मानना है कि वित्त वर्ष 2023-24 पैटर्न के आधार पर जीएसटी दरों में कमी से 48,000 करोड़ रूपये के राजस्व का नुकसान हो सकता है, लेकिन इस साल 12 लाख रूपये तक की आय पर छूट है ऐसे में जनता बाजार में क्या रूख अपनाती है यह देखने की बात है। जनता आने वाले महीनों में अच्छी खरीदारी कर सकती है जो कि दिसंबर तक जारी रहेगी। ृवह कहती हैं कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
वहीं, केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जीएसटी सुधारों से अर्थव्यवस्था में 20 लाख करोड़ रूपये की अतिरिक्त खपत की उम्मीद है। उन्होंने कहा 22 सितंबर 2025 का दिन देश की 140 करोड़ जनता के लिये नई खुशियां लेकर आयेगा। वैष्णव ने कहा कि देश की जीडीपी 330 करोड़ रूपये है, जिसमें 202 लाख करोड़ रूपये माल एवं सेवाओं की खपत का हिस्सा है। जीएसटी दरों में कटौती से यदि वस्तुओं और सेवाओं की खपत में 10 प्रतिशत भी वृद्धि होती है तो कुल 20 लाख करोड़ रूपये की खपत बढ़ेगी। इससे उत्पादन तो बढ़ेगा ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और देश की जीडीपी भी बढ़ेगी।
ऐसा लगता है कि सरकार ने पूरी तैयारी के साथ जीएसटी दरों में बदलाव का कदम उठाया है। किसी भी बदलाव के बाद मन में उठने वाले सामान्य सवालों के जवाब देने के साथ ही सरकार ने अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों के बाद उपभोक्ताओं के लिये एक नई वेबसाइट एचटीटीपी// सेविंग्सविदजीएसटी डाॅट इन शुरू की है। इस साइट पर उपभोक्ता विभिन्न वस्तुओं की कीमतों की जांच और उसमें आये अंतर की जानकारी देख सकते हैं। मायजीओवी इंडिया ने एक्स पोस्ट पर नई वेबसाइट की जानकारी देते हुये कहा है कि उपभोक्ता अपनी पसंद की वस्तुओं पर होने वाली बचत की जानकारी खुद ले सकते हैं। ग्राहक क्यूआर कोड स्कैन करके भी वस्तुओं की कीमत में अंतर की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
ज्एसटी की नई दरों में अब केवल पांच और 18 प्रतिशत की दो मुख्य दर होंगी। जबकि अहितकर वस्तुओं के लिये 40 प्रतिशत की विशेष दर लागू होगी। हालांकि, सोना, चांदी के आभूषणों पर 3 प्रतिशत और उनके मेकिंग चार्ज पर 5 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है।