ग्रेजुएशन अप्रोच’” 19.5 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने की पहल.*
अब राज्य सरकारों के साझेदारी में लागू होगा
नई रणनीति:.छह राज्यों सहित पूर्वोत्तर में होगी लागू – सरकार और साझेदार संस्थानों का संयुक्त प्रयास”
*एम. राजेंद्रंन*
नई दिल्ली, 24 सितम्बर 2025 – भारत सरकार के समावेशी आजीविका और गरीबी उन्मूलन प्रयासों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अब्दुल लतीफ़ जमी़ल पॉवर्टी एक्शन लैब (जे-पाल) साउथ एशिया और द/नज इंस्टीट्यूट ने इंडिया स्केल-अप समिट 2025 में “ग्रेजुएशन अप्रोच” कार्यक्रम को विभिन्न राज्यों में लागू करने की औपचारिक घोषणा की। इस अवसर पर भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव स्मृति शरण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन भी उपस्थित रहे।
यह पहल मुख्यतः असम, त्रिपुरा, मेघालय, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और झारखंड में केंद्रित होगी, जबकि मध्य प्रदेश भी इस मॉडल को अपनाने की तैयारी कर रहा है।
पिछले एक दशक में भारत ने गरीबी घटाने के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। इसके बावजूद, नीति आयोग की 2023 की बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट के अनुसार आज भी लगभग 19.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं। ऐसे में, राज्य सरकारों की सक्रिय भागीदारी के साथ लागू किया जा रहा “ग्रेजुएशन अप्रोच” गरीबी उन्मूलन का एक सशक्त और विस्तार योग्य समाधान बनकर उभर रहा है।
इस मॉडल के तहत परिवारों को दो वर्षों तक एक समग्र सहयोग पैकेज दिया जाएगा, जिसमें उत्पादन हेतु परिसंपत्तियाँ (जैसे पशुधन या छोटे व्यवसाय), तकनीकी प्रशिक्षण, उपभोग सहायता, बचत की सुविधा, नियमित गृह-भ्रमण और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच शामिल है।
कार्यक्रम को स्टेट रूरल लाइवलीहुड मिशन के माध्यम से स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप लागू किया जाएगा।
जे-पाल साउथ एशिया और द/नज इंस्टीट्यूट इस कार्यक्रम को राज्य-स्तरीय जरूरतों के अनुरूप ढालने, क्षमता निर्माण करने और साक्ष्य-आधारित नीतिगत सहयोग प्रदान करने में सक्रिय रूप से जुटे हुए हैं। विशेष रूप से, जे-पाल साउथ एशिया ने 2024 में ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ “इनक्लूसिव लाइवलीहुड्स” पहल के अंतर्गत भागीदारी की थी। यह पहल एएसपायर (ASPIRE) – यानी अलायंस फॉर स्केलिंग पॉलिसी इम्पैक्ट थ्रू रिसर्च एंड एविडेंस – के सहयोग से चल रही है, जिसे जे-पाल साउथ एशिया और वेद्दिस फाउंडेशन ने मिलकर प्रारंभ किया है ताकि बड़े पैमाने पर असरदार बदलाव लाया जा सके।
सम्मेलन में जे-पाल साउथ एशिया की कार्यकारी निदेशक शोभिनी मुखर्जी ने कहा – “उचित सहयोग मिलने पर सबसे गरीब परिवार भी अपने जीवन की बागडोर संभाल सकते हैं। यह मॉडल गरीबी उन्मूलन की दिशा में एक नया मार्ग प्रशस्त करेगा।” वहीं द/नज इंस्टीट्यूट के लिवलीहुड कार्यक्रम प्रमुख जॉन पॉल ने कहा – “इस मॉडल को पूरे भारत में विस्तारित करना हमारी प्राथमिकता है। यह ग्रामीण भारत में गहन और स्थायी परिवर्तन की नींव डालेगा।”