सी.पी. राधाकृष्णन बने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति
Amar chand दिल्ली।देश को नया उपराष्ट्रपति मिल गया है। राष्ट्रपति भवन में आयोजित गरिमामयी समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सी.पी. राधाकृष्णन को भारत के पंद्रहवें उपराष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और तमाम केंद्रीय मंत्री व गणमान्यजन मौजूद रहे। शपथ ग्रहण के साथ ही उच्च सदन राज्यसभा को नया अध्यक्ष मिल गया है और उम्मीद जताई जा रही है कि उनके अनुभव और संयम से सदन की कार्यवाही और अधिक सुचारु होगी।
राधाकृष्णन ने 9 सितंबर को हुए चुनाव में विपक्षी इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार और पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को कड़े मुकाबले में हराया था। इस चुनाव में उन्हें कुल 452 मत मिले जबकि रेड्डी को 300 मत प्राप्त हुए। 767 सांसदों में से 752 मत वैध पाए गए थे। इस तरह वे 152 मतों के अंतर से विजयी बने और देश की दूसरी सबसे ऊंची संवैधानिक कुर्सी पर आसीन हुए।
शपथ ग्रहण से पहले उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दिया, जहां वे पिछले वर्ष से जिम्मेदारी निभा रहे थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके इस्तीफे को स्वीकार करते हुए गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा। इससे पहले राधाकृष्णन झारखंड के राज्यपाल रहे और तेलंगाना व पुडुचेरी का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाल चुके हैं।
तमिलनाडु के तिरुप्पुर में जन्मे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से वैचारिक संस्कार पाए राधाकृष्णन भाजपा के पुराने और समर्पित चेहरे हैं। वे कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में संगठन को नई दिशा दी है। उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत जनसंघ से हुई थी और लंबे समय तक उन्होंने जनता की सेवा को ही अपना ध्येय बनाया।
शपथ के तुरंत बाद उन्होंने राजघाट जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नमन किया और अटल बिहारी वाजपेयी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय तथा चौधरी चरण सिंह की समाधि स्थलों पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि यह जीत राष्ट्रवादी विचारधारा की जीत है और वे देश के विकास तथा जनसेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे।
सी.पी. राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति पद संभालना न केवल राष्ट्रीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि उच्च सदन की गरिमा और परंपरा को और मजबूती देने वाला कदम माना जा रहा है। उनकी साफ छवि, संगठनात्मक अनुभव और वैचारिक प्रतिबद्धता उन्हें उस जिम्मेदारी के लिए विशिष्ट बनाती है, जो अब देश ने उन्हें सौंपी है।