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जंतर मंतर पर उत्तराखंड में सख्त भू कानून की मांग को लेकर सांकेतिक धरने पर बैठे कांग्रेसी

अमर चंद्र दिल्ली। देवभूमि उत्तराखंड के 13 जिलों के साथ-साथ प्रवासी उत्तराखंड वासियों द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से भू कानून की मांग बड़े जोर शोर पर उठाई जा रही है

पिछले कई वर्षों से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय वन अधिकार की मांग को लेकर कई गांव गांव जाकर इस अभियान को जोर-शोर से उठा रहे हैं , प्रदेश वन संपदा एवं वन अधिकार या पुश्तैनी हक हकूक की क्षेत्रीय गांव वासियों को पूरा हक दिया जाए

उत्तराखंड में सख्त भू कानून की मांग को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के नेतृत्व में संसद की चौखट के सामने जंतर मंतर पर आज सख्त भू कानून की मांग को लेकर सांकेतिक धरना दिया गया ।

इस मौके पर किशोर उपाध्याय ने कहा कि हम लोग संसद की चौखट पर इसलिए बैठे हैं कि केंद्र की मोदी सरकार को ज्ञापन देकर उत्तराखंड प्रदेश को मजबूत भू कानून मिल सके।

उन्होंने कहा कि हम शांति प्रिया ढंग से यहां बैठकर केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि उत्तराखंड प्रदेश में शीघ्र सख्त भू कानून लाकर प्रदेश को भू माफियाओं से बचाया जाए।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार लोगों को यदि पर पेड के हिसाब से कुछ पैसे दे तो युवाओं को रोजगार भी मिलेगा, और देश व प्रदेश को शुद्ध पर्यावरण भी मिलेगा, जिससे कि स्वस्थ जीवन जीने के लिए देश को शुद्ध हवा देवभूमि उत्तराखंड से मिलेगी।भू कानून की मांग को लेकर उनके साथ इस मौके पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संयुक्त सचिव एवं उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी हरिपाल रावत ने भी केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार से उत्तराखंड में शीघ्र सख्त भू कानून लाने कि माँग की।
उन्होंने कहा उत्तराखंड में पहले बाहरी लोगों को 200गंज तक जमीन खरीदने की इजाजत सरकार द्वारा दी गई थी, लेकिन जैसे ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई तो उन्होंने उस कानून को रद्द कर पाबंदी हटा दी, अब प्रदेश मे बड़े-बड़े उद्योगपतियों होटल व्यवसायियों भू माफिया जमीन खरीद रहे हैं, आने वाले समय में देव भूमि उत्तराखंड की संस्कृति को भी उस से खतरा पैदा हो सकता है।
उत्तराखण्ड के लिये भू-क़ानून बनाने और वनों पर उत्तराखण्डियों के पुश्तैनी हक़-हकूक बहाल करने के लिये, केन्द्र सरकार के ध्यानाकर्षण हेतु दिल्ली के जन्तर-मंतर पर धरना दिया गया।
थरने बैठे सभी ने एक स्वर में कहा कि उत्तराखण्डवासी सिर्फ 15-20% भूमि में ही अपनी आजीविका चलाते हैं बाकी करीब 80-85% भूमि तो देश की रक्षार्थ और पर्यावरण संतुलन बनाये रखने के लिए उपयोग होती है। हमारी माँग है कि अन्य हिमालयी राज्यों हिमाचल प्रदेश,नागालैण्ड, कश्मीर की तरह उत्तराखण्ड की भूमि और वनों को बचाने के लिए हमारे व्यक्तिगत अधिकार हेतु भू-कानून 1950 और हमारी पुश्तैनी विरासत वनाधिकार कानून 2006 को प्रदेश में लागू किया जाए,
इस मौके पर उनके साथ धरने पर बैठे वरिष्ठ समाजसेवी अनिल पंत, वरिष्ठ नेता राजेंद्र भंडारी, राजेंद्र राणा, वरिष्ठ समाजसेवी प्रताप थलवाल, वरिष्ठ समाजसेवी अजय बिष्ट वरिष्ठ कांग्रेसी उमा जोशी समाजसेवी मंजू रतूड़ी, राधा आर्य, रजनी जोशी ढौंढियाल, राकेश नेगी अजय शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार रमेश चंद घिल्डियाल, वरिष्ठ पत्रकार हरीश अस्वाल ,पत्रकार कृष्णा जी पी एस रावत आदि मौजूद रहे इस मौके पर सभी ने सख्त भू कानून लेकर रहेंगे भू कानून लेकर रहेंगे नारे भी लगाए।

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