Amar sandesh नई दिल्ली। हर माता-पिता की सबसे बड़ी इच्छा होती है कि उनके बच्चे हमेशा स्वस्थ और खुश रहें। आमतौर पर, लोग मानते हैं कि बच्चों की खुशी का मतलब है — अच्छा भोजन और अच्छी शिक्षा। भोजन से शारीरिक स्वास्थ्य और शिक्षा से आर्थिक स्थिरता मिलती है।
लेकिन, अनुभवी काउंसलर उषा ठाकुर का मानना है कि बच्चों की खुशी और जीवन संतुलन सिर्फ इन दो चीजों से पूरा नहीं होता। अपने 9 वर्षों के काउंसलिंग और पेरेंटिंग अनुभव के आधार पर वह बताती हैं कि किसी भी व्यक्ति की असली खुशी पांच प्रकार के स्वास्थ्य से जुड़ी होती है जैसे शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक,स्वास्थ्य,सामाजिकस्वास्थ्य, भावात्मक स्वास्थ्य.,आध्यात्मिक स्वास्थ्य
इन सभी पहलुओं में संतुलन आने पर ही बच्चा जीवनभर खुश और आत्मनिर्भर बन सकता है।
उषा ठाकुर ने माता-पिता से विशेष अपील करते हुए कहा सिर्फ पढ़ाई और खाने पर ध्यान देना पर्याप्त नहीं है। अपने बच्चों के मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें, ताकि वे हर परिस्थिति में खुश और संतुलित रह सकें।”
उनका संदेश है – “खुशहाल बचपन ही सफल और सुखी जीवन की नींव है।”