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बुद्ध पूर्णिमा 2025: वरियान और रवि योग में होगा भगवान बुद्ध का जन्मोत्सव, जानें स्नान-दान और शुभ संयोगों का महत्व

Amar sandesh नई दिल्ली। बुद्ध पूर्णिमा का पर्व हर साल वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह दिन न केवल भगवान गौतम बुद्ध के जन्म का प्रतीक है, बल्कि इसी दिन उन्होंने बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे कठोर तपस्या के बाद सत्य का ज्ञान प्राप्त किया था। यही कारण है कि इसे वैशाख पूर्णिमा भी कहा जाता है।

बुद्ध पूर्णिमा 2025 की तिथि और समय: पंचांग के अनुसार, इस वर्ष वैशाख पूर्णिमा तिथि की शुरुआत रविवार, 11 मई को रात 8:01 बजे से हो रही है, और इसका समापन सोमवार, 12 मई को रात 10:25 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार, बुद्ध पूर्णिमा का पर्व सोमवार, 12 मई 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान बुद्ध की 2587वीं जयंती मनाई जाएगी।

शुभ संयोग और योग: इस बार बुद्ध पूर्णिमा के दिन वरियान योग और रवि योग जैसे दो विशेष संयोग बन रहे हैं।

रवि योग: सुबह 5:32 बजे से 6:17 बजे तक

भद्रावास: सुबह 9:14 बजे तक

इन शुभ योगों में किया गया स्नान, दान और जप-अनुष्ठान विशेष फलदायी माना जाता है। वरियान योग को भी शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है।

स्नान-दान का महत्व: बुद्ध पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान या किसी पवित्र नदी में स्नान कर दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, छाता, जल पात्र और पंखा दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। इसके साथ ही भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का चिंतन और उनके उपदेशों को जीवन में अपनाने का भी महत्व है।

इस दिन गंगा व नदियों में स्नान कर भगवान विष्णु और भगवान बुद्ध की पूजा करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है।

गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु के नौवें अवतार के रूप में देखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा का दिन आध्यात्मिक जागरूकता और मानवता के सेवा की प्रेरणा देता है। इस दिन ध्यान, साधना, और करुणा के साथ भगवान बुद्ध की पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है और जीवन की परेशानियों से उबरने में मदद मिलती है।

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