Amar sandesh नई दिल्ली, 28 जुलाई। ग्रामीण भारत में महिलाओं के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लाने वाली प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) ने पारंपरिक ईंधनों पर निर्भरता को काफी हद तक कम किया है। यह जानकारी पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
श्री गोपी ने बताया कि उज्ज्वला योजना के अंतर्गत एलपीजी कनेक्शन मिलने से ग्रामीण घरों में अब लकड़ी, गोबर और पराली जैसे ठोस ईंधनों के स्थान पर स्वच्छ रसोई गैस का उपयोग बढ़ा है। इससे घरों के भीतर होने वाले वायु प्रदूषण में कमी आई है, जिसका सीधा लाभ महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ा है। परंपरागत चूल्हों से निकलने वाले धुएं के कारण लंबे समय तक सांस की बीमारियों से जूझती रही महिलाएं अब राहत महसूस कर रही हैं।
राज्य मंत्री ने यह भी कहा कि विशेष रूप से दूरदराज़ क्षेत्रों के ग्रामीण परिवार, जो पहले परंपरागत ईंधन जुटाने में दिन का बड़ा हिस्सा खर्च कर देते थे, अब उन्हें न केवल ईंधन की खोज से मुक्ति मिली है बल्कि खाना पकाने में लगने वाला समय भी घटा है। इस प्रकार महिलाओं के पास अब अधिक समय उपलब्ध है, जिसे वे शिक्षा, स्वरोजगार और अन्य आर्थिक गतिविधियों में उपयोग कर सकती हैं। यह बदलाव न केवल उनके आत्मसम्मान को बढ़ाता है बल्कि परिवार की आय में भी योगदान देता है।
उन्होंने बताया कि एलपीजी के उपयोग से जंगलों से लकड़ियां काटने की आवश्यकता में भी कमी आई है, जिससे वनों की कटाई और पारिस्थितिकी तंत्र पर दबाव कम हुआ है। उज्ज्वला योजना ने न केवल महिला सशक्तिकरण को बल दिया है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
बेहतर और सुविधाजनक खाना पकाने की व्यवस्था होने से पोषण स्तर में भी सुधार की संभावना बनी है। अब परिवारों के लिए विविध और पौष्टिक भोजन तैयार करना पहले की तुलना में सरल हो गया है, जिससे समग्र स्वास्थ्य में सुधार देखने को मिल रहा है।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना केवल एक एलपीजी योजना नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक क्रांति है, जिसने गांव-गांव तक स्वच्छता, स्वास्थ्य, सम्मान और सशक्तिकरण का संदेश पहुंचाया है।