अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उत्तराखंड की नारी शक्ति का होगा सम्मान
सी एम पपनैं
नई दिल्ली। ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ के पुनीत अवसर पर, उत्तराखंड की दिल्ली एनसीआर मे प्रवासरत प्रबुद्ध महिलाओ द्वारा गठित, ‘कल्याणी सामाजिक संगठन’ द्वारा उत्तराखंड की विकट परिस्थितियों से लड़कर, जिन प्रबुद्ध महिलाओ द्वारा एक इतिहास रचा गया है, जो लगातार अपने जटिल कार्यो से देश व समाज के लिए प्रेरणादायी बनी हुई हैं। उसी मातृशक्ति के उत्साह में, नई ऊर्जा प्रवाहित करने के लिए, दूसरा ‘कल्याणी सम्मान समारोह 2021’ का भव्य आयोजन, 8 मार्च को, संगठन अध्यक्षा बबीता नेगी की अध्यक्षता मे गढ़वाल भवन, झन्डेवालान दिल्ली मे, आयोजित किया जा रहा है।
उक्त प्रतिष्ठित आयोजन के उद्देश्य पर, संगठन पदाधिकारियों का मानना है, जब एक नारी बखूबी अपने कार्यों को मंजिल तक पहुचाती है, तो वो गुमनाम क्यों? क्यों न, उन सभी मातृशक्ति को, जो आज अपने कार्यों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों मे, अलग पहचान बनाये हुए हैं। उन्हे एक सम्मान का अधिकारी बना, सशक्त किया जाए। उक्त आयोजन व उद्देश्य पूर्ति को, आयोजक संगठन सदस्य, उत्तराखंड की महिलाओं के प्रति सम्मान व इस दिवस को गौरवपूर्ण क्षण मानते हैं।
उक्त संगठन द्वारा, ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’, के इस पुनीत अवसर पर, उत्तराखंड की विभिन्न क्षेत्रों मे, उत्कृष्ट योगदान देने वाली प्रतिभावान, दस प्रबुद्ध महिलाओ को ‘कल्याणी सम्मान 2021’ से नवाजा जायेगा। सम्मानितो के सम्मान मे, सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आयोजन किया जायेगा।
‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ विश्व भर मे, 8 मार्च को महिलाओ के अधिकारों के लिए, आंदोलन का प्रतीक स्वरूप है। वैश्विक फलक पर, ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ का, औपचारिक मान्यता वर्ष, 1975 से माना जाता है, जब संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस को मनाना शुरू किया था। इस दिवस को जोश-ओ-खरोश के साथ मनाने की कवायद के पीछे, मुख्य उद्देश्य, महिलाओं के लिए लैंगिंग समानता के लिए आवाज उठाना तथा महिलाओ को उनके अधिकारों के प्रति, जागरुक करना रहा है। साथ ही, विश्व के विभिन्न देशो में महिलाओ के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए, इस दिन को महिलाओ के आर्थिक,राजनैतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष मे, उत्सव के तौर पर भी देखा जाता रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की ओर से 1996 मे, ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ को एक थीम के साथ मनाया गया था। परंपरानुसार, इस वर्ष 2021 मे ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ की इस थीम को, महिलाओ के नेतृत्व को, समर्पित किया गया है। थीम है, ‘महिला नेतृत्व- कोविड-19 की दुनिया में, एक समान भविष्य को प्राप्त करना।’ यह थीम, महामारी के दोरान, स्वास्थ देखभाल, श्रमिको, अन्वेषको आदि के रूप मे, दुनिया भर में महिलाओ के योगदान को, रेखांकित करती है।
पूरे विश्व में ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ अलग-अलग तौर-तरीको से मनाया जाता रहा है। कई देशो मे इस दिन, पूरा व कही, आधे दिन का, अवकाश रहता है। कही मां, बहन, पत्नी इत्यादि को बच्चों व पति द्वारा, फूल व कही गिफ्ट देने का चलन है। भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा, नारी शक्ति पुरुष्कार महिलाओ को सशक्त बनाने के क्षेत्र मे, किए गए असाधारण कार्यो के लिए, व्यक्तियों, समूहों, गैर सरकारी संगठनो या संस्थानों को प्रदान किया जाता है। अवलोकन कर ज्ञात होता है, यह एक ऐसा दिन बन गया है, जिसमें हर समाज में, राजनीति, अर्थव्यवस्था व अन्य अनेको क्षेत्रों मे, महिलाओ की तरक्की का जश्न, मनाया जाता है।
सर्वविदित है, आधी आबादी के तौर पर, महिलाऐ, हमारे समाज-जीवन का मजबूत आधार रही हैं। महिलाओ के बिना, इस दुनिया की कल्पना करना ही, असंभव है। इस दुनिया को खूबसूरत बनाने मे महिलाओ का सर्वाधिक योगदान रहा है। इसके बावजूद, आज भी कई देशो मे महिलाओ को, समानता का अधिकार प्राप्त नहीं है। महिलाऐ शिक्षा व स्वास्थ की दृष्टि से पिछडी हुई हैं। महिलाओ के प्रति हिंसा के मामले भी, बहुतायत मे, आते रहते हैं। नौकरी व पदोंन्नति मे, महिलाओ को, बाधाओ का सामना करना पड़ता है। स्वरोजगार के मामले मे भी, महिलाऐ पिछडी हुई हैं। सुखद रहा, 19वी शताब्दी मे ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ आरंभ होने के बाद, महिलाओ को मतदान के अधिकार के साथ- साथ, समय-समय पर अन्य अनेको अधिकार प्राप्त होते रहे हैं। महिलाओ की एकजुटता व जागरूकता के बल, भविष्य मे वैश्विक फलक पर महिलाओ को पुरुषो के समान अधिकार प्राप्त होंगे, पूर्ण उम्मीद की जा सकती है ।
उत्तराखंड के परिपेक्ष, विभिन्न क्षेत्रों में, नारी शक्ति का अवलोकन कर ज्ञात होता है, उत्तराखंड की नारी को, किसी भी क्षेत्र मे कम कर, नही आंका जा सकता है। उत्तराखंड की जटिल मेहनतकस व निडर नारी का, एक गौरवशाली इतिहास रहा है। कुछ वर्तमान मे भी इतिहास रच रही हैं।
रानी कर्णावती, वीरांगना तीलू रौतेली, जसुली आमा, गौरा देवी, बछेन्द्रीपाल, चंद्रप्रभा एतवाल, ज्योतिराव पांडे, माया टम्टा, आइरिन पंत, शिवानी, मृणाल पांडे, नईमा खान उप्रेती, बसंती बिष्ट, बिशनी देवी शाह इत्यादि का नाम उत्तराखंड की उन सशक्त महिलाओं मे गिना जा सकता है, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में नारी शक्ति का परिचय देकर, उत्तराखंड व देश का नाम रोशन किया। उक्त महिलाओं के कारनामो से प्रेरणा ले, उत्तराखंड के सामाजिक संगठनों व संस्थाओं द्वारा ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ का आयोजन कर, उत्तराखंड की नारी शक्ति को सम्मान देना, न सिर्फ सार्थक कदम है, महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र मे, नेक व परोपकारी कार्य भी है।
विगत कुछ वर्षो से उत्तराखंड के सामाजिक संगठनों व संस्थाओं के लिए भी ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ एक ऐसा दिन बन गया है, जिसमे, इस दिवस पर, महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा, प्यार प्रकट करते हुए, महिलाओं के आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उन्हे, विभिन्न सम्मानों से नवाज कर, प्रोत्साहित किया जाने लगा है। नवनिर्मित ‘कल्याणी सामाजिक संगठन’ भी महिलाओ के इसी उद्देश्य पर प्रयासरत है, जो अति सराहनीय व प्रशंसनीय है। निश्चय ही, इस बल, उत्तराखंड की नारियो को भी बल व प्रोत्साहन मिलेगा। बराबरी का दर्जा हासिल होगा। नारी का सशक्तिकरण होगा, उत्तराखंड की नारियो को ‘अबला’ शब्द से मुक्ति मिलेगी। मातृशक्ति का सम्मान सबसे बड़ा होगा।
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