गढ़वाली, कुमाउनी भाषायें संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होनी चाहिए—तीरथ सिंह रावत
नई दिल्ली। उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली के संयोजक दिनेश ध्यानी के नेतृत्व में भाषा प्रेमियों तथा साहित्यकारों के एक प्रतिनिधि मण्डल ने पूर्व मुख्यमंत्री व गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के सांसद तीरथ सिंह रावत से उनके दिल्ली आवास पर भेंट की। प्रतिनिधि मण्डल ने श्री रावत द्वारा विगत 14 दिसम्बर, 2022 को लोक सभा में गढ़वाली, कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किये जाने की मांग को शून्यकाल के दौरान उठाये जाने हेतु एक आभार पत्र सौंपा तथा उत्तराखण्ड कि टोपी पहनाकर श्री रावत का सम्मान किया। इस मौके पर तीरथ सिंह रावत से भविष्य में भी भाषा आन्दोलन को और अधिक कारगार ढंग से उठाने के हेतु अनुरोध किया।
सांसद तीरथ सिंह रावत ने कहा कि गढ़वाली, कुमाउनी भाषायें संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होनी चाहिए। इसके लिए भविष्य में भी उनकी तरफ से हर संभव कोशिश की जायेगी।
ज्ञातव्य हो कि उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच दिल्ली लगातार कई साल से भाषा आन्दोलन चला रहा है। नई पीढी को गढ़वाली, कुमाउनी में शिक्षा देकर अपनी भाषा के प्रति सजग कर रहा है। तथा गढ़वाली, कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु लगातार सेमिनार, भाषा गोष्ठी व ज्ञापन आदि के माध्यम से केन्द्र सरकार तक अपनी बात पहुंचा रहा है।
प्रतिनिधि मण्डल में वरिष्ठ साहित्यकार रमेश चन्द्र घिल्डियाल, दर्शन सिंह रावत, जगमोहन सिंह रावत जगमोरा, अनिल पन्त, प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल, दिनेश ध्यानी, गिरधारी सिंह रावत, रमेश हितैषी व पंकज बड्थ्वाल आदि शामिल थे। इस अवसर पर साहित्यकारों ने तीरथ सिंह रावत को अपनी पुस्तकें आदि भी भेंट की।
इस अवसर पर श्री रावत से प्रतिनिधि मण्डल ने उत्तराखण्ड में सुवर, बंदरों एवं बाघ व गुलदार के आतंक पर भी बातचीत की व सांसद महोदय से अनुरोध किया कि सरकार की तरफ से उत्तराखण्ड के लोगों को इस जटिल समस्या से मुक्ति दिलाने हेतु पहल होनी चाहिए।