राष्ट्रीय

ओबीसी संघर्ष संयुक्त समिति 5 फरवरी को करेगा जंतर-मंतर पर प्रचंड विरोध प्रदर्शन

 

ओबीसी समाज को सिर्फ अपना वोट बैंक मात्र समझती है केजरीवाल सरकार-सुनील यादव

नई दिल्ली, 3 फरवरी। ओबीसी संघर्ष संयुक्त समिति के संयोजक सुनील यादव ने आज एक संवाददाता सम्मलेन को सम्बोधित करते हुए कहा कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार पिछले आठ सालों से लगातार ओबीसी समाज को अपने झूठे वायदों का शिकार बना रही है। ओबीसी समाज को केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं से भी वंचित रखा जा रहा है और इसका सबसे बड़ा कारण है कि दिल्ली सरकार ओबीसी सर्टिफिकेट नहीं बनाने दे रही है। उन्होंने अवाहन किया कि 5 फरवरी को दिल्ली में रहने वाले ओबीसी समाज के सभी वंचित दिल्ली सरकार के खिलाफ प्रचंड विरोध प्रदर्शन करेंगे।

श्री यादव ने कहा कि दिल्ली देश की राजधानी है यहां पर देश के अलग-अलग राज्यों से अलग-अलग जाति के लोग समय-समय पर अपने रोजगार या अन्य किसी वजह से दिल्ली में आकर बसते हैं। दिल्ली की आबादी का लगभग 60 फीसदी जनसंख्या ओबीसी समाज का है लेकिन केजरीवाल ने उनका सिर्फ वोट बैंक का इस्तेमाल करने के अलावा कुछ नहीं किया है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार द्वारा अपने घोषणा पत्र में लिखा था कि जब उनकी सरकार बनेगी तब वो दिल्ली में रह रहे ओबीसी समाज के लिये इस 1993 के पहले के प्रमाण पत्र की बाध्यता (शर्त) को खत्म करेंगे और ओबीसी प्रमाण पत्र का सरलीकरण करेंगे।

सुनील यादव ने कहा कि ओबीसी प्रवासी समाज का कोई भी व्यक्ति चाहे वह 30 साल पहले से रह रहा हो, अगर वह दिल्ली सरकार के पास अपना ओबीसी सर्टिफिकेट बनवाने जाता है तो उससे 1993 के पहले का निवास प्रमाण पत्र मांगा जाता है। क्योंकि वह 1993 के बाद दिल्ली में आया है जिस कारण 1993 से पहले का निवास प्रमाण पत्र न होने की वजह से उसका ओबीसी प्रमाण पत्र नहीं बन पाता है। उन्होंने कहा कि आज बच्चों को ओबीसी जाति में होने के बावजूद भी उसको ओबीसी का लाभ नहीं मिल पाता है। न ही उसके बच्चों का कॉलेजों में एडमिशन नहीं हो पाता, न ही उसके बच्चों को नौकरी में कोई लाभ मिल पाता है, न बच्चे नौकरी में ओबीसी कोटे में अप्लाई कर पाते, नौकरी में प्रमोशन में कोई लाभ नहीं मिल पाता जिसकी वजह से 1993 के बाद से देश के अन्य राज्यों से आये ओबीसी समाज के बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है। लेकिन अब इस अन्याय को ओबीसी समाज बर्दास्त नहीं करने वाला है और जंतर-मंतर पर इसके खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन 5 फरवरी को किया जाएगा।

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