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जमीनी हकीकत से जुडे भाजपा नेता बची सिंह रावत ‘बचदा’ का निधन अपूर्णीय क्षति

सी एम पपनैं

नई दिल्ली। रानीखेत विधान सभा क्षेत्र से दो बार विधायक, अल्मोडा-पिथौरागढ संसदीय क्षेत्र से लगातार चार बार सांसद व उत्तराखंड भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे, बची सिंह रावत ‘बचदा’ का 72 वर्ष की उम्र मे, दिल का दौरा पडने से, ऋषिकेश एम्स मे निधन हो गया है। वे अपने पीछे पत्नी चंपा व पुत्र शशांक को छोड़ गए हैं। कई दशकों तक उत्तराखंड व देश की राजनीति मे सक्रिय भूमिका निभाने वाले, ‘बचदा’ के निधन की खबर सुन, उनके गृह क्षेत्र, रानीखेत व हल्द्वानी सहित समस्त उत्तराखंड मे शोक की लहर व्याप्त हो गई है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत सहित देश-प्रदेश के लगभग सभी भाजपा नेताओ व संगठन कार्यकर्ताओ द्वारा बची सिंह रावत ‘बचदा’ के निधन पर शोक व्यक्त किया गया है।

शनिवार को रात ‘बचदा’ को फेफडो मे संक्रमण होने के कारण हल्द्वानी से एयर एंबुलेंस द्वारा एम्स ऋषिकेश मे भर्ती किया गया था, जहा आईपीडी मे संस्थान के पल्मोनरी मेडिसिन व जनरल मेडिसन के चिकित्सको द्वारा उनका उपचार किया जा रहा था। डाक्टरो के अनुसार, उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव थी। रविवार रात्रि 8.45 पर उन्हे दिल का दोरा पड़ा, उन्होंने प्राण त्याग दिए।

रानीखेत विधान सभा क्षेत्र से, दो बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए विधायक चुने गए, ‘बचदा’ 1992 मे राज्य के राजस्व मंत्री बनाए गए थे। 1996 मे कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत को अल्मोडा-पिथौरागढ संसदीय क्षेत्र से शिकस्त दे, लोकसभा चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने थे। लगातार तीन संसदीय चुनावो 1996, 1998, 1999 मे उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी हरीश रावत को भारी मतों से हरा विजय प्राप्त कर, यश प्राप्त किया था। 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने हरीश रावत की पत्नी को शिकस्त दे, लगातार चौथीबार जीत हासिल ककर, रिकार्ड बनाया था।

‘बचदा’ देश की कई महत्वपूर्ण संसदीय समितियों के सदस्य, 1999 मे पहली बार केन्द्र मे स्थापित अटल सरकार मे रक्षा राज्य मंत्री तथा बाद मे, 1999-2004 तक विज्ञान और तकनीकी केन्द्रीय राज्य मंत्री रहे। 2007 मे भाजपा उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे। ‘बचदा’ के उक्त कार्यकाल मे, भाजपा प्रदेश मे चुनाव जीत, सरकार बनाने मे सफल रही थी। 2012 मे, ‘बचदा’ को प्रदेश चुनाव मे प्लानिग कमेटी चेयरमैन बनाया गया था। पार्टी चुनाव घोषणा पत्र बनाने मे उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

अल्मोडा-पिथौरागढ संसदीय सीट आरक्षित हो जाने के बाद, 15वा लोकसभा चुनाव ‘बचदा’ ने नैनीताल-उधमसिंह नगर से लड़ा था, जहा से चुनाव हार गए थे। 2014 मे हुए लोकसभा चुनाव मे, ‘बचदा’ का टिकट काट दिया गया था। उन्होंने रुष्ट होकर भाजपा के सभी पदो से इस्तिफा दे दिया था। राजनाथ सिंह के आहवान पर बचदा पुन: भाजपा मे लौट आये थे, परंतु पार्टी ने बाद के वर्षो मे उनकी सुध नहीं ली। वर्तमान मे ‘बचदा’ को प्रदेश संगठन की जिम्मेवारी तक, सीमित रखा गया था।

मुरली मनोहर जोशी के करीबी, जमीन से जुडे हुए ‘बचदा’, बेहद सौम्य, सरल व ईमानदार व्यक्ति के तौर पर जाने जाते थे। मूल रूप से रानीखेत के निकट पाली गांव मे 1अगस्त 1949 को जन्मे, बचदा की प्रारंभिक शिक्षा रानीखेत, उच्च शिक्षा व वकालात लखनऊ व आगरा विश्व विद्यालय से पूर्ण हुई थी। रानीखेत जरूरी बाजार के अपने निवास से उन्होंने स्थानीय राजनीति में कदम रख, देश की राजनीति तक यश प्राप्त किया था।

‘बचदा’ की गिनती राज्य के सबसे वरिष्ठ नेताओ मे की जाती थी। प्रदेश के अनेको आंदोलनों मे उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अनेको बार आंदोलनों के दोरान, जेल गए थे। उत्तराखंड राज्य निर्माण में सांसद के नाते, ‘बचदा’ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अटल, अडवानी व मुरली मनोहर जोशी के साथ उत्तराखंड राज्य निर्माण की बैठकों मे, उनकी भूमिका तथा आजीवन जनसरोकारो से जुडे रहे, जमीनी नेता, बची सिंह रावत ‘बचदा’ को भुलाया नहीं जा सकेगा।

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