वित्त मंत्रालय तथा सर्वोच्च न्यायालय के सहयोग से 40 घंटे का मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न
Amar sandesh नई दिल्ली।— वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने सर्वोच्च न्यायालय की मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति (एमसीएमपी) के सहयोग से 24 से 28 सितम्बर 2025 तक सर्वोच्च न्यायालय के अतिरिक्त भवन परिसर में ऋण वसूली न्यायाधिकरणों के पीठासीन अधिकारियों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए 40 घंटे का मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्तमान समय में विवाद समाधान तंत्रों की बढ़ती प्रासंगिकता को ध्यान में रखते हुए संचालित किया गया।
मध्यस्थता को आपसी सहमति से विवादों के निपटारे की एक प्रभावी पद्धति के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है और इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागियों को इसकी गहन समझ प्रदान की गई। प्रशिक्षण में मध्यस्थता की अवधारणा, न्यायिक प्रक्रिया और वैकल्पिक विवाद समाधान उपायों का तुलनात्मक अध्ययन, मध्यस्थ की भूमिका और प्रक्रिया, संवाद तथा सौदेबाजी की विधियों पर विस्तार से चर्चा की गई। इसके साथ ही मध्यस्थता से जुड़े हितधारकों जैसे रेफरल न्यायाधीशों, वकीलों और पक्षकारों की भूमिका पर भी विचार किया गया।
विशेष रूप से ऋण वसूली एवं दिवालियापन (आरडीबी) अधिनियम, 1993 और एसएआरएफएईएसआई अधिनियम, 2002 के अंतर्गत ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में विचारित मामलों पर केंद्रित प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिससे इन मामलों में मध्यस्थता को और अधिक प्रभावी रूप से अपनाया जा सके। प्रतिभागियों ने इस आयोजन के दौरान शामिल विषयों की व्यापक श्रृंखला पर संतोष व्यक्त किया और इस प्रशिक्षण के सफल आयोजन के लिए वित्तीय सेवा विभाग तथा सर्वोच्च न्यायालय की मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति के प्रति आभार प्रकट किया।
यह कार्यक्रम विवाद समाधान की प्रक्रिया को और अधिक तीव्र एवं प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जिससे ऋण वसूली एवं दिवालियापन से जुड़े मामलों में लंबी कानूनी प्रक्रिया से आम नागरिकों को राहत मिलने की संभावना बढ़ेगी।