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महिला गर्भ से कार्यस्थल तक असुरक्षित — गलती किसकी?

पूर्व मुख्य न्यायाधीश एम.एम. कुमार ने POSH कानून पर जागरूकता और सख्ती की मांग की

Amar sandesh नई दिल्ली। महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्यस्थल उनका कानूनी अधिकार है, लेकिन हकीकत में आज भी उन्हें सुरक्षा की गारंटी नहीं मिल पा रही है। यह बात जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) के अध्यक्ष एम.एम. कुमार ने एक कार्यक्रम में कही।उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि एक महिला कर्मचारी ने अपने वरिष्ठ अधिकारी पर शोषण का आरोप लगाते हुए मौखिक शिकायत की थी। साहस दिखाकर आवाज उठाने के कारण ही आरोपी को पद से हटाया गया और POSH अधिनियम के तहत कार्रवाई संभव हो पाई।कार्यक्रम में बताया गया कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए POSH कानून की नींव 1997 में पड़ी, जब सुप्रीम कोर्ट ने दिशानिर्देश जारी किए। लेकिन संसद को इसे कानून बनाने में 16 साल (2013) लग गए और 2025 तक भी यह सिर्फ जागरूकता के स्तर पर है। प्रशासनिक इच्छाशक्ति और क्रियान्वयन की कमी आज भी सबसे बड़ी चुनौती है।

पूर्व एसीपी वीरेंद्र पुंज ने कहा कि महिलाओं के साथ भेदभाव और शोषण घर से ही शुरू हो जाता है—कन्या भ्रूण हत्या, लैंगिक भेदभाव से लेकर स्कूल, परिवहन और कार्यस्थल तक यह जारी रहता है। उन्होंने बताया कि निर्भया कांड के बाद 2013 में CBSE ने स्कूल पाठ्यक्रम में ‘कानूनी शिक्षा’ शामिल की, ताकि बच्चों और महिलाओं के खिलाफ अपराध रोके जा सकें, लेकिन इसे सही तरीके से लागू नहीं किया गया।वरिष्ठ वकील महालक्ष्मी पावनी ने कहा कि जिला अदालतों को भी POSH मामलों के लिए आंतरिक शिकायत समिति (ICC) बनानी चाहिए, ताकि न्याय का संदेश नीचे तक पहुंचे।

आईईएस अधिकारी श्वेता सेतिया ने कहा कि कानून की शिक्षा से विचारों में एकता और महिलाओं का सशक्तिकरण संभव है।कानून विशेषज्ञ डॉ. के.के. सिंह ने कहा कि भारत में कानून न जानना बहाना नहीं है, लेकिन बच्चों को स्कूल में कानून की शिक्षा दिए बिना उन्हें जागरूक बनाना असंभव है।

कार्यक्रम में ‘पिंक एंड ब्लू’ एनजीओ द्वारा POSH पर जागरूकता फैलाने के प्रयासों की सराहना की गई। इस अवसर पर **श्रीमती शिखा रॉय (विधायक, ग्रेटर कैलाश), श्री राजीव रंजन (जेडीयू), मोहम्मद निसार, श्रीमती रेणु, ऋतुराज, निसार अहमद और रंजीत पांडे** ने भी इन प्रयासों की प्रशंसा की। साथ ही प्रशिक्षु और प्रमाणित POSH ट्रेनरों को सम्मानित किया गया।

समाजसेवी अशोक शर्मा ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम लगातार होने चाहिए और समाज की जागरूक हस्तियों को इसमें भाग लेना चाहिए। कार्यक्रम का उद्देश्य साफ था — महिलाओं की सुरक्षा घर से कार्यस्थल तक सुनिश्चित करना और POSH कानून को सख्ती से लागू करना।

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