25 नवंबर को हितैषिणी सभा शताब्दी वर्ष पर विरासत कार्यक्रम का भव्य आयोजन करने जा रही है
25नवंबर 2023 को भव्य सांस्कृतिक आयोजन दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित होगा
अमर चंन्द्र दिल्ली।मैं अकेला ही चला था, जानिब ए मंजिल मगरलोग साथ आते गये कारवॉ बनता गया
ये पंक्तियां गढ़वाल हितैषिणी सभा पर बिलकुल सही बैठती हैं। आज यह गौरराजनीतिक समाज सेवी संस्था अपनी स्थापना के 100 गौरवशाली वर्ष पूर्ण करने के उपलक्ष में विगत जनवरी माह से अनेक सांस्कृति तथा वैचारिक कार्यक्रमों की एक श्रृखला आयोजित करता हुआ अपने सफर पर आगे बढ रहा है। पिछली सदी के दूसरे दशक का समय भारत के इतिहास में आजादी के आंदोलन का सबसे ज्यादा संघर्षपूर्ण काल था। आजादी के आंदोलन की कमान राष्ट्रपिता महात्मा गॉंधी संभाले हुए थे। वर्ष 1920 में चले असहयोग आंदोलन में सम्पूर्ण भारत के सभी इलाकों, सम्प्रदायों और वर्गों के लोेग सक्रिय तौर पर शामिल थे। तत्कालीन संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) में शामिल उत्तराखंडी भी इससे अछूता नहीं रहे। उत्तराखंड की इस आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही।
उत्तराखंड के गढ़वाली समाज ने उस काल में आजादी के लिये चलाये जा रहे आंदोलनों में बढ़-चढ़कर भागीदारी की। उस काल में भारत फिरंगियों की दमनकारी हुकूमत के तले सिसकियां लेता हुआ जी रहा था। फिरंगियों की औपनिवेशिक सरकार 6महीने दिल्ली से और 6 महीने शिमला से संचालित होती थी। उस संधर्षशील युग में कुछ जागरूक गढ़वाली समाज के लोगों ने शिमला शहर में गढ़वाल सर्व हितैषणी सभा के नाम से सन् 1923 में रायसाहब पूरनमल धर्मशाला में एक संस्था संगठन की नींव रखी। आगे चल कर यही संगठन दो हिस्सों में विभाजित हो गया। इस संगठन का वो हिस्सा, जो स्व. श्री आनंद सिंह नेगी, स्व. श्री आचार्य जोध सिंह रावत और स्व. गोविन्द राम चंदोला की संयुक्त अगुआई में गढ़वाल हितैषिणी सभा के नाम से वर्ष 1938 में प्रकाश में आया, उसी की एक शाखा कालांतर में (1938 मं ही) राजधानी दिल्ली में स्थापित की गयी। शनैः शनैः ‘‘गढ़वाल हितैषिणी सभा’’ कालांतर में स्थाई रूप से दिल्ली से ही संचालित होने लगी। क्योंकि सभा के अधिकतर सक्रिय सदस्य राजधानी दिल्ली आने पर दिल्ली में ही प्रवासी के रूप में स्थाई रूप से रहने लगे।
दिल्ली में ‘‘गढ़वाल हितैषिणी सभा’’ का वर्तमान मुख्यालय गढ़वाल भवन इस संस्था के गौरवशाली इतिहास तथा पराक्रम का जीवंत मानक है। वर्तमान में विश्व के सबसे विशाल लोकतंत्र भारत की राजधानी दिल्ली में भारत के संसदीय भवन के अतिनिकट स्थिति गढ़वाल भवन केवल गढ़वाली समाज ही नहीं अपितु समूचे मध्य हिमालयी की सामाजिक जागरूकता और समाज सेवा के प्रति समर्पण का गवाह है। औपनिवेशिक भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला से वर्ष 1923 में शुरू हुआ। समाज सेवा का सफर धीरे-धीरे एक करवॉ में तब्दील हो गया। वर्ष 1920-21-22 के दौरान विश्व व्यापी महामारी कोविड काल में ‘‘गढ़वाल हितैषिणी सभा’’ ने जो सराहनीय सहयोग की मिसाल पेश की वह अन्य संस्थाओं तथा संगठनों के लिए भी अनुकरणीय है।
गढ़वाल हितैषिणी सभा’’अपनी स्थापना के गौरवशाली शताब्दी वर्ष में इसी महीने की 25 नवंबर 2023 को राजधानी दिल्ली स्थित तालकटोरा स्टेडियम में भव्य कार्यक्रम विरासत आयोजित करने जा रही है। सभा के वर्तमान अध्यक्ष अजय बिष्ट ने ‘‘अमर संदेश’’ को बताया कि तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित होने जा हरे ‘‘शताब्दी वर्ष महोत्सव‘‘ में सभा के 100 वर्ष के गौरवशाली सफर पर आधारित वृत्तचित्र प्रस्तुत किया जायेगा। स्मारिका का विमोचन करते हुए उत्तराखंडी संस्कृति पर केंद्रित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भव्य प्रस्तुतियां होगी। गढ़रत्न सरु-संगीत सम्राट नरेंद्र सिंह नेगी, स्वर कोकिला रेखा धस्माना, कल्पना चौहान, रमेश शाह, गजेन्द्र राणा, संकल्प खेतवाल, युवा संगीत सनसनी रोहित चौहान, दीपा नगर कोटी,ईन्दर आर्या, पंकज पाण्डेय आदि कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रमों का विशेष आकर्षण रहेंगे। उत्कृष्ट कार्य करनेवाली संस्थाओं को सम्मानित किया जायेगा और अपने-अपने क्षेत्र में अद्वितीय कार्य करने वाल विभूतियों को सभा की ओर से सम्मानित किया जायेगा। इस अवसर पर ‘‘फूट मेला‘‘ भी आयोजित किया गया है, जिसमें उत्तराखंडी भोजन की विशेष व्यवस्था है।
‘‘अमर संदेश‘‘ की सुधी पाठकों को यह जानकर अति हर्ष होगा कि आपका प्रिय समाचार पत्र ‘‘अमर संदेश’’ इस आयोजन में बतौर मीडिया सहयोगी शामिल है।