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‘साथी समाज उत्थान वैलफेयर सोसाइटी’ द्वारा नाटक तथा लोकनृत्यों का सफल मंचन 

सी एम पपनैं

 

नई दिल्ली। उत्तराखंड के प्रबुद्ध प्रवासी जनों द्वारा गठित सांस्कृतिक संस्था ‘साथी समाज उत्थान वैलफेयर सोसाइटी’ द्वारा 3 नवंबर की सायं पावन व पवित्र पर्व भैया दूज के सु-अवसर पर गोल मार्किट स्थित बंगा संस्कृति भवन के मुक्तधारा सभागार में शोमैन प्रोडक्शन द्वारा प्रस्तुत तथा राजेंद्र बिष्ट द्वारा रचित व निर्देशित हिंदी नाटक ‘कर भला तो हो भला’ का सफल मंचन तथा देश के विभिन्न अंचलों के लोकनृत्यों का मनोहारी मंचन किया गया।

मंचित नाटक का शुभारंभ विशिष्ट अतिथियों में प्रमुख दिनेश मोहन घिल्डियाल, व्योमेश जुगरान, चारु तिवारी, चंद्र मोहन पपनैं, चंद्र सिंह रावत, गौरव बिष्ट, यू एस बन्दूनी, कुंदन सिंह रावत, दिनेश जोशी, विनोद नेगी, सुधीर अधिकारी, किशन गुसाई, सिद्धार्थ बिष्ट, आनंद पटवाल इत्यादि द्वारा दीप प्रज्वलन की रस्म निर्वाह कर किया गया।

सवा घंटे की अवधि में मंचित अति रोचक नाटक का कथासार दो ठगों द्वारा एक परोपकारी दानी व्यक्ति को ठगने की कहानी पर आधारित था। बिल्ला और फकीरा नामक दो ठग कुछ लोगों को अलग-अलग जन कल्याण के कार्यों के शुभारंभ हेतु धन दान प्राप्ति हेतु परोपकारी व दानी सेठ कल्याण चंद के पास भेजते रहते हैं। दानी सेठ कल्याण चंद किसी को निराश नहीं करता। सभी को उनके द्वारा मांगी गई नकद राशि एक निश्चित दिन की तारीख व निश्चित समय पर दान स्वरुप देने की बात कह सबको आने को करता है। सेठ जी द्वारा दी गई दान की तारीख के दिन जब सब लोग सेठ कल्याण चंद के घर दान प्राप्ति हेतु पहुंचते हैं तो घर के नौकर से अवगत होता है सेठ जी धन दौलत छोड़ चले गए हैं। सभी ठग रोते, चीखते बिलखते नौकर की बात सुन दान की रकम प्राप्ति हेतु नौकर को गवाह बना पुलिस थाने पहुंच दान प्राप्ति हेतु गुहार लगाते हैं।

सूझबूझ और रणनीति के आधार पर सेठ कल्याण चंद स्वयं भी थाने पहुंच सभी को अचंभित कर देता है। पुलिस कुख्यात ठगों बिल्ला और फकीरा को पकड़ कर उनकी ठगी की चाल का पर्दाफांस कर अन्य सभी ठगों को भी गिरफ्तार कर सबक सिखाती है। सेठ कल्याण चंद सभी ठगों को पुलिस गिरफ्त से मुक्त करा कर उन्हें सुधरने की राह दिखाता हैं। अपने उदारवादी व आदर्श वचनों से उक्त ठगों को जन के प्रति एक निष्ठावान व जागरूक नागरिक बनने का मार्ग प्रशस्त करने की राह दिखाता है। सेठ कल्याण चंद के उक्त संदेश के साथ ही मंचित नाटक समाप्त होता है।

बिल्ला और फकीरा की भूमिका में क्रमशः मनीष गंगानी तथा राजेंद्र बिष्ट, नौकर की भूमिका में ठाकुर वीरेंद्र प्रताप सिंह तथा अन्य पात्रों में अवधेश गौड़, पूनम लखेड़ा, साम्या दीक्षित, जगत कुमाऊनी तथा आशु, कमल, मोहित दीपांशु, सिमरन द्वारा दर्शकों के मध्य अभिनय और व्यक्त संवादों के द्वारा यादगार छाप छोड़ी गई।

मंचित नाटक ‘कर भला तो हो भला’ में सभी पात्रों का अभिनय व व्यक्त संवाद हास्य व मनोरंजन से भरपूर थे। नाटक में पिरोया गया रिकार्डेड गीत-संगीत तथा वस्त्र सज्जा नाटक पात्रों के अनुकूल थी। विरेन्द्र कुमार द्वारा की गई किरदारों की रूप सज्जा प्रभावशाली थी। मंचित नाटक में लाइट तथा सैट व्यवस्था में व्यवधान दृष्टिगत था। राजेंद्र बिष्ट का निर्देशन ठीक-ठाक था। निष्कर्ष स्वरुप रचित व मंचित नाटक एक सफल प्रयास कहा जा सकता है।

 

मंचित नाटक समाप्ति पश्चात ‘धरोहर सामाजिक सांस्कृतिक फाउण्डेशन’ से जुड़े नर्तकों पूनम लखेड़ा, शंपा, कनिका, रिषिका ,अवधेश गौड़, हरीश कुमार, दीपक जोशी, चंदन बोरा, वीरेंद्र, किशन बिष्ट इत्यादि द्वारा उत्तराखंड कुमाऊं व गढ़वाल अंचल के साथ-साथ हरियाणा एवं राजस्थान के रिकॉर्डेड लोकगीतों में मनभावन लोक नृत्यों का प्रभावशाली मंचन किया गया। उक्त मंचित कार्यक्रम का मंच संचालन राजेंद्र बिष्ट द्वारा बखूबी किया गया।

‘साथी समाज उत्थान वैलफेयर सोसाइटी’ संस्थापक राजेन्द्र बिष्ट उत्तराखंड आंचलिक लघु फिल्म निर्माता तथा नाट्य विधा में एक विलक्षण प्रतिभा के रूप में विगत चार दशकों से अपनी पहचान बनाए हुए हैं। पूर्व में मंचित व निर्देशित विभिन्न विषयों से जुड़े गीत-संगीत के नृत्य-नाटक व निर्मित लघु फ़िल्मों ने राजेन्द्र बिष्ट को सफलता का मुकाम हासिल करवाया है। उत्तराखंड की पारंपरिक समृद्ध लोक सांस्कृतिक धरोहर के प्रचार-प्रसार के एक कुशल ध्वज वाहक के रूप में राजेंद्र बिष्ट अपनी भूमिका का निर्वाह करते रहे हैं जो अति सराहनीय कहा जा सकता है।

 

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