माता श्री राजेश्वरी देवी की जयंती पर जनकल्याण सत्संग समारोह में उमड़ा भक्तों का सैलाब
नई दिल्ली, 8 अप्रैल। परमपूज्य श्री भोले जी महाराज एवं माताश्री मंगला जी के सानिध्य में महान आध्यात्मिक विभूति माता श्री राजेश्वरी देवी की पावन जयंती पर श्री हंसलोक आश्रम, दिल्ली में दो दिवसीय जनकल्याण सत्संग समारोह सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। श्री हंसलोक जनकल्याण समिति द्वारा आयोजित समारोह में नेपाल, अमेरिका तथा देश के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु-भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा।
इस मौके पर माता श्री मंगला जी ने कहा कि भगवान का सच्चा नाम ज्योति के रूप में हम सबके ह्रदय में मौजूद हैं। वही नाम हिन्दु, मुसलमान, सिख, इसाई आदि सभी लोगों के प्राणों का आधार है। उन्होंने कहा कि जिस तरह हमें भौतिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए अध्यापक की जरूरत होती है, उसी तरह भगवान के सच्चे नाम को जानने के लिए हमें समय के सदगुरु महाराज की खोज करनी होगी। प्रभु के सच्चे नाम को जानने के लिए मनुष्य के अंदर प्रेम, श्रद्धा और समर्पण होना जरूरी है।
माताश्री मंगला जी ने कहा कि शिष्य एवं भक्त को जीवन में कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए क्योंकि काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार भक्ति मार्ग में पतन के कारण हैं। उन्होंने कहा कि प्रभु की असीम कृपा से हमें मनुष्य शरीर मिला है, इसमें भजन करना चाहिए। सत्संग, सेवा और भजन की कमाई ही अंत समय में साथ जायेंगी।
माताश्री राजेश्वरी देवी जी का भावपूर्ण स्मरण करते हुए माता श्री मंगला जी ने कहा मुझे बहुत से उनकी सेवा करने का सौभाग्य मिला। माता राजेश्वरी देवी गरीब, असहाय तथा दीनदुखियों के लिए वरदान बनकर धरती पर आई थीं। उन्होंने माताश्री राजेश्वरी देवी के चरणों में नतमस्तक होकर प्रार्थना करते हुए कहा कि वे हमें भक्ति दें, शक्ति दें तथा आशीर्वाद दें ताकि हम उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ते रहें।
इस मौके पर श्री भोले जी महाराज और माता श्री मंगला जी के मार्गदर्शन में द हंस फाउंडेशन द्वारा देश भर में किये जा रहे मानव सेवा तथा जनकल्याण से जुड़े कार्यों की डोक्युमेंटरी दिखाई। समारोह में द हंस फाउंडेशन द्वारा लगाये गये निशुल्क चिकित्सा शिविर से हजारों लोगों ने स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया।
भजन गायक महेश लखेड़ा, श्री चिंटू सेवक, प्रकाश प्रधान, रजनी सुंदास एवं रामविलास सैनी आदि ने माताश्री राजेश्वरी देवी की महिमा तथा भक्ति भाव से जुड़े भजन प्रस्तुत कर भक्तों को आनंदित किया।