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‘महिला उत्तरजन सोसाइटी’ द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित प्रेरणादाई संगोष्ठी संपन्न 

सी एम पपनैं

 

नई दिल्ली। दिल्ली प्रवास में उत्तराखंड की प्रवासी प्रबुद्ध महिलाओं द्वारा गठित सामाजिक संस्था ‘महिला उत्तरजन सोसाइटी’ द्वारा दूसरी बार ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ के पावन अवसर पर आठ मार्च को चाणक्यपुरी स्थित उत्तराखंड सदन में एक भव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता उमा घिल्डियाल अध्यक्षा महिला उत्तरजन श्रीनगर तथा मुख्य अतिथि मीना कंडवाल निर्देशक राज्यसभा सचिवालय तथा डॉ.राजेश्वर कापड़ी निर्देशक आई जे आई के सानिध्य तथा मुख्य वक्ता सुषमा जुगरान ध्यानी वरिष्ठ पत्रकार मंचासीनों की प्रभावी उपस्थिति में ‘दिल्ली में उत्तराखंडी महिलाओं के एक जुट होने की आवश्यकता’ विषय पर बौद्धिक विमर्श हेतु आयोजित की गई।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित संगोष्ठी का श्रीगणेश मंचासीन मातृ शक्ति द्वारा दीप प्रज्वलित कर तथा सीमा नेगी भैंसोड़ा, गोदांबरी बुड़ाकोटी, लता उप्रेती इत्यादि इत्यादि द्वारा सामूहिक चेतना गीत- “हजार साल बाद बोलने लगी हैं लड़कियां….।” व अंकिता जोशी तथा पूजा कैंथूरा द्वारा प्रभावशाली नृत्य प्रस्तुति द्वारा की गई। आयोजकों द्वारा मंचासीन प्रबुद्ध महिलाओं को स्मृतिचिन्ह प्रदान कर स्वागत अभिनन्दन किया गया।

संगोष्ठी मुख्य संयोजक निधि उनियाल डंगवाल द्वारा उत्तराखंड सदन मुख्य सभाकक्ष में उपस्थित सभी प्रबुद्ध महिलाओं व विशेष तौर पर आमंत्रित कुछ विशिष्ट प्रबुद्ध जनों का स्वागत अभिनन्दन कर गठित सामाजिक संस्था के उद्देश्यों तथा विगत वर्ष में संस्था के कार्यों तथा मिली सफलता के बाबत स-विस्तार अवगत कराया गया। व्यक्त किया गया, संगठन का मुख्य उद्देश्य, समाज के विभिन्न क्षेत्रों मे कार्यरत प्रतिभाशाली प्रबुद्ध महिलाओं को इकट्ठा कर महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कार्य कर जरूरतमंद महिलाओं व समाज को सशक्त बनाना तथा उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यो हेतु उन्हें सम्मान का अधिकारी बना सम्मानित करना रहा है।

मुख्य संयोजक निधि उनियाल डंगवाल द्वारा व्यक्त किया गया, महिलाओं के प्रति इस दिवस को वे गौरवपूर्ण क्षण मानती हैं। समाज कल्याण के लिए कार्य करने वाली हर उस महिला को सम्मान मिले, गठित संस्था का मुख्य उद्देश्य है। अवगत कराया गया, उत्तराखंड की महिलाओं के परिपेक्ष में महिला विमर्श, महिला उत्कर्ष, महिला पक्षधरता, महिला एकजुटता, महिला सहभागिता तथा महिला जागरूकता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर बौद्धिक चर्चा करना समय की मांग है। कहा गया, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उक्त विषयों पर बौद्धिक चर्चा करना हमारी संस्था से जुड़ी महिलाओं का मान वर्धन करेगी, आशा की जा सकती है। अवगत कराया गया, समाज सेवी लोकेश नवानी की सोच पर ही संस्था का गठन किया गया है, संगोष्ठी का आयोजन किया गया है।

 

गठित संस्था से जुड़ी उद्यमी लक्ष्मी पंवार द्वारा स्वागत संबोधन तथा गठित संस्था के उद्देश्यों के बाबत अवगत कराया गया। कहा गया, गठित संस्था विचार आधारित संगठन है। महिलाओं की चेतना जगाने के लिए संकल्प रत है।

 

आयोजित संगोष्ठी अतिथि मीना कंडवाल निर्देशक राज्यसभा सचिवालय द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण के बाबत महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए गए। कहा गया, पुरुष और महिलाएं दोनों मिश्रित पार्ट हैं। उत्तराखंडी समाज विकासवादी व विस्तारवादी रहा है, देवभूमि के लोगों की सोच बड़ी रही है। विरासत को साथ लेकर चलना है। ‘उत्तराखंड मेरी मातृ भूमि, पितृ भूमि….।’ जनगीत गाकर देवभूमि तथा अंचल के लोगों के प्रति रही भावनाओं को मीना कंडवाल द्वारा उत्साह पूर्वक उजागर किया गया।

 

संगोष्ठी अतिथि राजेश्वरी कापड़ी सेवानिवृत उप निर्देशक शिक्षा विभाग दिल्ली सरकार द्वारा कहा गया, महिला दिवस पर अधिकार नहीं बराबरी का अधिकार चाहती हैं महिलाए। कहा गया, महिलाओं के काम की कोई सीमा नहीं है। प्रवास में निवासरत महिलाओं को अपने हिस्से का पहाड़ अपने घर में जीना होगा, अंचल की विभिन्न समृद्ध परंपराओं को अपना कर। अंचल की प्रतिबद्ध रही महिलाओं को प्रोत्साहन देने हेतु सम्मानित करना भी जरूरी है।

राजेश्वरी कापड़ी द्वारा व्यक्त किया गया, उत्तराखंड की जागरूक महिलाएं, आज किसी क्षेत्र से अछूती न रहकर अपना परचम लहरा रहीं हैं। विभिन्न क्षेत्रों व विधाओं में कार्य करने वाली सभी महिलाऐ आज सम्मान की पात्र हैं। व्यक्त किया गया, अपनी भाषा व संस्कृति को सदा सम्मान देना चाहिए, उससे जुडाव रखना चाहिए। लक्ष्य सही होगा तो सब ठीक रहेगा। उत्तराखंड की अनेकों महिलाओं द्वारा महिला सशक्तिकरण का परिचय, विभिन्न काल खंडो मे, विभिन्न क्षेत्रों में बड़ा योगदान दिया गया है।

 

संगोष्ठी मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार सुषमा जुगरान ध्यानी द्वारा कहा गया, उत्तराखंड की महिलाओं को एकजुट रहना चाहिए वे अलग से नहीं हैं सब एक ही हैं। संगठन जरूरी है। अंचल की महिलाओं ने सामाजिक, सांस्कृतिक, पर्यावरण इत्यादि इत्यादि विभिन्न क्षेत्रों में सशक्तिकरण के अनेकों उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। वीरता, बुद्धिमता के उदाहरण प्रस्तुत किए हैं।

 

सुषमा जुगरान ध्यानी द्वारा कहा गया, उत्तराखंड आंदोलनों का प्रदेश रहा है। पहाड़ की स्थितियां बहुत जटिल हैं। आगे भी आंदोलन करने पड़ेंगे। महिलाओं का अंचल के आंदोलनों में बड़ा योगदान रहा है। कहा गया, रैणी गांव में गौरा देवी के गांव के अस्तित्व को बचाए। बन अधिनियम महिलाओं के लिए जी का जंजाल बना हुआ है। शराब के बढ़ते प्रचलन से महिलाए बड़े स्तर पर प्रभावित हैं। टिंचरी माई ने इसके विरुद्ध आंदोलन चला कर जनमानस को चेताया था, जागरूक रहने का संदेश दिया था।

 

सुषमा जुगरान ध्यानी द्वारा कहा गया, आज उत्तराखंड में कई संगठन महिलाओं के चल रहे हैं, क्या सब एक जुट नहीं हो सकते हैं? कहा गया उत्तराखंड की आर्थिकी महिलाओं ने ही संभाली थी, पलायन के बाद जटिलताएं, परेशानिया बढ़ी हैं। बोली-भाषा को बचाना जरूरी है। भाषा सीखने के लिए माता पिता को पहले पहल करनी होगी।

 

अन्य महिला वक्ताओं में कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजी जा चुकी प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. हेमा उनियाल द्वारा कहा गया, महिलाओं की एक जुटता जरूरी है। महिलाओं द्वारा बच्चों को किस दिशा में ले जाना है बड़ी जिम्मेदारी है। अन्य महिला वक्ताओं में माधवी बहुगुणा, सुमन गौण, संस्कृति द्वारा भी महिला सशक्तिकरण पर महत्वपूर्ण विचार रखे गए। कुसुम भट्ट द्वारा सभाकक्ष में उपस्थित महिलाओं को महिला सशक्तिकरण हेतु निष्ठा पूर्वक सक्रिय रहने हेतु शपथ दिलवाई गई।

 

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उत्तराखंड सदन सभाकक्ष को चित्रकार सुमन गौण द्वारा स्व-निर्मित चित्रों के माध्यम से देश की प्रेरणादाई महिलाओं के चित्रों को प्रभावशाली अंदाज में सजाया, संवारा गया था।

 

आयोजित संगोष्ठी के इस अवसर पर अल्मोड़ा की पुष्पा पांडे को ‘सामर्थ्य शक्ति सम्मान’ से मंचासीन अतिथियों के कर कमलों नवाजा गया। सभागार में उपस्थित अन्य प्रबुद्ध महिलाओं माधवी बहुगुणा, डॉ. हेमा उनियाल, आशा नेगी, पल्लवी पांथरी, डॉ.शेषाद्री, साक्षी उनियाल, सुमन गौण इत्यादि इत्यादि के साथ-साथ सेवानिवृत सीआईएसएफ शीर्ष अधिकारी एस सी बहुगुणा, वरिष्ठ पत्रकार मदन मोहन सती, योगेश भट्ट तथा चंद्र मोहन पपनै, उद्यमी मयंक व नीरज बवाड़ी को उत्तराखंडी टोपी पहना कर व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।

 

संगोष्ठी अध्यक्षता कर रही उमा घिल्डियाल द्वारा प्रमुख प्रेरक रही महिलाओं के कृतित्व व व्यक्तित्व पर तथा गठित संस्था के उद्देश्यों पर सारगर्भित प्रकाश डाला गया। कहा गया, दिल्ली में प्रवासरत उत्तराखंड की करीब तेरह लाख महिलाओं की आवाज उठनी चाहिए, गूजनी चाहिए। कहा गया, उच्च और आदर्श विचारों से ही विश्व गुरु और धर्म गुरु बन सकेंगे।

 

आयोजित संगोष्ठी समापन की घोषणा मुख्य संयोजक व मंच संचालिका निधि उनियाल डंगवाल द्वारा सभी उपस्थित जनों का आभार व्यक्त कर की गई।

 

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