ग्रहणशीलता और प्रमोद भावना का रूप है “मेरे देवदूत” पुस्तक: रामनाथ कोविंद
नई दिल्ली: आज भारत के *पूर्व राष्ट्रपति माननीय श्री रामनाथ कोविंद जी* ने अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास नई दिल्ली के निदेशक, शिक्षाविद *श्री रमेश कांडपाल* द्वारा लिखित पुस्तक मेरे देवदूत का अवलोकन किया। उन्होंने बहुत प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अपने जीवन के सकारात्मक अनुभवों को एकत्रित कर एवं दूसरों के बारे में लिखी गई रोचक कथा है *मेरे देवदूत* । भारतीय संस्कृति, संस्कारों और संवेदनाओं के अनुरूप यह पुस्तक समाज में सकारात्मक विचारों के सतत् संवहन में सहायक होगी। अपने मित्रों व कृपालुओं के प्रति आभार करने का यह सुंदर तरीका है।
रमेश जी के पुत्र जयंत के स्वास्थ्य के संदर्भ में भी पूर्व राष्ट्रपति जी ने जानकारी प्राप्त की एवं शीघ्र स्वस्थ होने की मंगल कामना की।