एमिलियोर फाउंडेशन द्वारा “स्मृति कलश” का भव्य विमोचन समारोह
प्रोफेसर हितनारायण झा की साहित्यिक धरोहर को समर्पित एक भावनात्मक संध्या
Amar chand नई दिल्ली,।— एमिलियोर फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक गरिमामय पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में मैथिली साहित्य के स्तंभ, दिवंगत प्रोफेसर हितनारायण झा को श्रद्धांजलि स्वरूप “स्मृति कलश” पुस्तक का विमोचन किया गया। यह कार्यक्रम सीएसओआई, के.जी. मार्ग में संपन्न हुआ, जिसमें साहित्य, कला और शिक्षा क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने भाग लिया।
इस अवसर पर किताब की लेखिका कुमकुम झा ने “स्मृति कलश” के माध्यम से अपने नानाजी, प्रोफेसर हितनारायण झा को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने अपने विचार साझा करते हुए बताया कि किस प्रकार उनके नानाजी ने उन्हें साहित्य, संस्कृति और शास्त्रीय संगीत के प्रति संवेदनशील बनाया। यह पुस्तक न केवल एक पारिवारिक संस्मरण है, बल्कि मैथिली साहित्य के प्रति प्रोफेसर झा के योगदान की अमूल्य झलक भी प्रस्तुत करती है।
गरिमामयी उपस्थिति: साहित्य एवं संस्कृति के स्तंभ मंच पर
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध लेखक और पूर्व आईएएस अधिकारी मंतरेश्वर झा ने की। मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. शैफालिका वर्मा मौजूद रहीं। सम्मानित अतिथियों में प्रोफेसर राजीव वर्मा तथा शास्त्रीय गायिका व नृत्यांगना डॉ. नलिनी जोशी की उपस्थिति ने आयोजन को विशिष्ट बना दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन से हुई, जिसके बाद बाल कलाकार ‘काव्या’ ने कवि कोकिल विद्यापति के गीत “जय जय भैरवी असुर भयाउनी” पर मोहक शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मुख्य अतिथि डॉ. शैफालिका वर्मा ने भावुक स्मृतियाँ साझा करते हुए प्रो. झा के साथ अपने साहित्यिक रिश्तों और उनकी पुत्री श्रीमती प्रभा झा के साथ सहलेखन के अनुभव को याद किया। उन्होंने एक दुर्लभ पुस्तक भी प्रदर्शित की, जिसमें उनकी और प्रभा झा की कविताएँ सम्मिलित थीं।
डॉ. नलिनी जोशी ने प्रो. झा के साहित्यिक धरोहर को संकलित करने के लिए कुमकुम झा की सराहना की और उनकी लेखनी के साथ-साथ गायन प्रतिभा की भी प्रशंसा की। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने दो सुंदर मैथिली कविताएँ प्रस्तुत कीं।
“स्मृति कलश” और “समय के हस्ताक्षर”: अतीत और वर्तमान का सेतु
प्रो. राजीव वर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि ये दोनों पुस्तकें – स्मृति कलश और समय के हस्ताक्षर – अतीत, वर्तमान और भविष्य के बीच संवाद का माध्यम हैं। उन्होंने लेखिका के गहन समर्पण की सराहना की।
डॉ. अभा झा ने “स्मृति कलश” की गहन समीक्षा करते हुए कहा कि यह ग्रंथ मैथिली साहित्य के शोधार्थियों के लिए एक अमूल्य संदर्भ सिद्ध होगा। उन्होंने चार पीढ़ियों के वंशवृक्ष के समावेश को एक दूरदर्शी प्रयास बताया, जो पारिवारिक और सांस्कृतिक मूल्यों को भावी पीढ़ियों तक पहुँचाने में सहायक होगा।
एमिलियोर फाउंडेशन की प्रतिबद्धता और साहित्यिक दृष्टिकोण
फाउंडेशन के प्रतिनिधि आर.एन. झा ने प्रो. हितनारायण झा की साहित्यिक विरासत को संरक्षित करने के फाउंडेशन के प्रयासों को साझा किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र रूप से पुस्तक प्रकाशित करना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन आवश्यक भी।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि विद्यापति की परंपरा में प्रो. झा की कृतियाँ जैसे “दिग्दर्शन” और “मैथिली साहित्ये निबंधावली” मैथिली साहित्य की उत्कृष्टता को समझने की कुंजी हैं
कार्यक्रम के अंत में प्रो. हितनारायण झा के परिवारजनों ने अपनी भावनाएँ और संस्मरण साझा किए। इस भावनात्मक एवं सांस्कृतिक आयोजन का समापन व्यक्तिगत संवाद और रात्रिभोज के साथ हुआ।
27 अप्रैल 2025 का दिन, स्मृतियों और साहित्यिक श्रद्धांजलि का एक अविस्मरणीय पर्व बन गया। “स्मृति कलश” न केवल एक पुस्तक है, बल्कि एक पीढ़ी का अपनी जड़ों के प्रति प्रेम और साहित्य के प्रति श्रद्धा का प्रतीक बनकर उभरा है।