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उत्तराखंड मे कोरोना वायरस का जनमानस पर प्रभाव

रानीखेत/भतरोज। देश मे कोरोना वायरस संक्रमण की महादहशत व संक्रमित लोगों की दिन पर दिन बढ़ती दुविधा, दुनिया के समर्थ देशों की कोरोना वायरस के सामने बेबसी तथा प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध मे भी इतनी संख्या मे लोगों का प्रभावित न होना, इन सब तथ्यो व प्रमाणों का अवलोकन कर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गूढ़ चिंतन-मनन कर उन्नीस मार्च की रात्रि आठ बजे देश के जनमानस को टेलीविजन प्रसारण के द्वारा संबोधित कर अवगत कराना पड़ा, मानव जाति कोरोना के बढ़ते संक्रमण से संकट में है। बाइस मार्च सुबह सात बजे से रात्रि नों बजे तक देशवासी जनता कर्फ्यू का पालन करे। व्यक्त किया, यह प्रयास हमारे आत्म संयम, देश हित में कर्तव्य पालन संकल्प का एक प्रतीक होगा। यह अनुभव हमे आने वाली चुनोतियों के लिए भी तैयार करेगा। देश के जनमानस को परखने के लिए प्रधानमंत्री ने यह भी ऐलान किया, सांय पांच बजे घर के दरबाजे, खिड़कियों व बालकोनियो मे खड़े होकर पांच मिनट तक शंख, घंट, थाली इत्यादि बजाकर एक दूजे का आभार भी व्यक्त करे। देश का जनमानस एक मत प्रधानमंत्री का कहा मान, कसौटी पर खरा उतरा।

देश मे प्रतिदिन कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते दुष्परिणामो पर अंकुश लगाने हेतु, जनमानस पर पूर्ण भरोसा व उनके जीवन की खैरियत चाहने हेतु प्रधानमंत्री को देश व जनमानस के हित मे पांच दिन बाद ही दूसरी बार चौबीस मार्च पुनः टेलीविजन प्रसारण के द्वारा जनमानस को संबोधित कर आदेश देना पडा, मंगलवार रात्रि 12 बजे से 14 अप्रेल कुल 21 दिन तक समस्त देश के 130 करोड़ से अधिक की जनसंख्या वाले देश के जनमानस को संकल्प और संयम के साथ पूर्ण कर्फ्यू व लाकडाउन का पालन करना होगा। करोना मरीजों के उपचार हेतु पंद्रह हजार करोड़ रुपयो के प्रावधान के बारे भी अवगत कराया गया। प्रधानमंत्री के इस आदेश से देश का समस्त जनमानस अपने घरों की चारदीवारी तक सिमट गया। यह एक ऐसा आदेश रहा, जो विश्व के बहुआबादी वाले राष्ट्र चीन ने तक कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए नही दिया।

देश मे संपूर्ण लाकडाऊन लागू होने से वे लोग जो यात्रा पर थे या फिर निचले आर्थिक तबके के लोग जो अपने मूल घरो से बाहर रोजगार की तलाश में देश के अन्य शहरो मे भटक रहे थे या शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, जहां-तहां फस गए। मुश्किल हालातों में भटक रहे लोग कोरोना के खिलाफ जंग में स्यापा बनते नजर आए। जनमानस को आने वाली स्थिति का अंदाजा होता या उन्हे इस बारे बता दिया जाता तो लोग अपने गंतब्य तक समय से पूर्व पहुच जाते। भुक्तभोगियों के कथनानुसार, यह आपदा विगत दो माह से मुंह बाएखड़ी रही। जिस पर पहले कोई चिंता व्यक्त नही की गई। अचानक लिए गए फैसले से लोग जहां-तहां फंस गए। लोगों के लिए यह लाकडाउन एक नई तरह की आपदा बन कर खड़ी हो गई। साधनहीन लोग बेबस हो गए।

अचानक हुए लाकडाउन की वजह से देश के विभिन्न प्रांतों से दिल्ली पहुचे उत्तराखंड के करीब 120 युवा तब असमंजस मे पड़ गए जब उन्हे रेलवे स्टेशनो व बस अड्डो पर मुसीबत का सामना करना पड़ा। गाजीपुर रैनबसेरो मे मुसीबत मे दिन-रात गुजारने पड़े। अनेकों मस्कतो व परेशानियों के बाद तथा सरकार व प्रशासन के चुस्त-दुरुस्त मेडिकल परीक्षण के बाद ही उत्तराखंड के दिल्ली प्रवासी संस्थाओं से जुड़े परोपकारियों की मदद से अपने मूल गांवो को लौटने का रास्ता सुलभ कर पाए।

माना जा सकता है, 21 दिनों के लंबे अंतराल के लाकडाउन मे सरकार व प्रशासन की जिम्मेवारिया देश के नागरिको के प्रति ज्यादा बढ़ गई हैं। ऐसे हालातों में सामाजिक सुरक्षा, अभावग्रस्तों तथा रोज के खाने-कमाने वालों के भरण-पोषण तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था का मानवीयता के नाते ख्याल रखना सरकार व प्रशासन की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए थी, इसी पर मंथन कर केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने 26 मार्च को 1.70 करोड़ रुपयों की मदद का ऐलान गरीब कल्याण योजना के तहत किया। रास्तों मे फसे लोगों तथा मित्रो, नातेदारों तथा दोस्तों के घर गुजर बसर कर मुसीबत मे फंसे हुए लोगों को उनके गंतव्य या घरों तक पहुचाने मे प्रशासन का मानवीयता के नाते कर्तव्य बनता था, इस हेतु उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर दिल्ली में फंसे उत्तराखंड के ऐसे लोगों को 26 मार्च को दिल्ली व उत्तराखंड की सरकारो की मदद से चार बसों द्वारा हल्द्वानी, रामनगर, पिथौरागढ़ व देहरादून के लिए डॉक्टरी चैकअप के बाद रवाना किया गया।

दिल्ली में प्रवासरत अनेकों परिवार उत्तराखंड स्थित अपने नाते-रिश्तेदारों के घरों मे लाकडाउन के कारण बेबस फंसे हुए हैं, सरकार व प्रशासन का कर्तव्य बनता है, उन परिवारों को भी दिल्ली पहुचाने मे प्रशासनिक मदद प्रदान कर राहत दे।

अफवाह फैलाने वालों पर सख्ती तथा कालाबाजारी कर जनमानस पर कहर बरसा रहे व्यापारियो पर लगाम लगा, उन्हे दंडित करना भी प्रशासन की मुख्य जिम्मेवारी होनी चाहिए।

कोरोना वायरस की दहशत से उत्तराखंड का जनमानस हिला हुआ है। प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों व प्रधानों को आदेश दिए गए हैं, गांव मे देश-विदेश से पहुचने वालों के बारे सम्बंधित विभाग को सूचित किया जाय। इस बावत नैनीताल जिले स्थित कस्बा भतरोजखान, ग्राम भतरोज, च्योनी की आशा वर्कर कमला भट्ट ने अवगत कराया गांव मे देश-विदेश से पहुचने वालों के बावत प्रशासन को अवगत कराया जा रहा है। प्रशासन उक्त जनों की जांच करवा कर ग्रामीण जनमानस को आशंकित होने से बचा रहा है। गांवो मे उड़ रही अफवाहों के बावजूद पुलिस प्रशासन तुरंत अफवाहबाजो के खिलाफ कार्यवाही कर रहा है।

उत्तराखंड स्वास्थ विभाग के हैल्थ बुलेटिन के मुताबिक प्रदेश में कुल 237 कोविड-19 की जांच हेतु सैम्पल भेजे गए, जिनमे 26 मार्च तक प्राप्त 30 की रिपोर्ट मे मात्र एक पॉजिटिव निकला। राज्य में पांचवा कोरोना पॉजिटिव केश सामने आया है। अल्मोड़ा जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया के मुताबिक अल्मोड़ा मे कोरोना संक्रमित जांच रिपोर्ट मे जो हल्द्वानी भेजे गए थे, तीनों निगेटिव पाए गए।

श्रीनगर उपायुक्त डॉ शाहिद इकबाल चौधरी की नगरानी मे कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सुनिशचित किया जा रहा है कि प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम ठीक तरह से लागू हो। इसी निगरानी के तहत श्रीनगर में 90 मे से 40 सुविधा केंद्रों में बाहरी देशों से हाल में लौटने वाले कुल 1750 लोगो को क्वारनटाइन करके रखा गया है। संदिग्धों हेतु कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। चार सौ से ज्यादा ऐसे लोगों की शिकायत मिली है, जो विदेश से लौट अपनी ट्रैवल हिस्ट्री छिपा रहे हैं। उनकी छानबीन की जा रही है। पिछले हफ्ते ही श्रीनगर मे ही पहला कोरोना केश मिला था।

सुखद खबर है, उत्तराखंड में 167 चिकित्सको की कोविड-19 संक्रमण के लिए चयन किया गया है। 500-500 बैड़ो के निर्माण की योजना हल्द्वानी व देहरादून में बनाने पर मंथन किया जा रहा है। पतंजलि योगपीठ द्वारा हल्द्वानी मेडिकल कालेज को एक आरटी पीसीआर मशीन भेट की गई है।

मीडिया सैल पुलिस मुख्यालय, उत्तराखंड के मुताबिक कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव हेतु प्रदेश मे लाकडाउन का उल्लंघन करने पर अभियोग पंजीकृत किए जा रहे हैं। गिरफ्तारी की जा रही है। प्रदेश में 26 मार्च तक 225 अभियोगों 1265 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है। इसके साथ ही एमवी एक्ट के अंतर्गत कुल 5181 बहनों का चालान, 1447बाहन सीज एवं 2092300 रुपये संयोजन शुल्क वसूला जा चुका है। उक्त कार्यवाहियों से प्रदेश की चुस्त दुरुस्त पुलिस व्यवस्था को आंका जा सकता है।

सोशल सिक्युरिटी के बिना सोशल डिस्टैनसिंग सम्भव नही फिर भी बिगड़ते हालातों में उत्तराखंड के लोकगायक जनमानस को जागरूक करने हेतु गीतों की रचना व उन्हे गाकर अपना लोकधर्म निभा रहे हैं। उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध गढ़वाली लोकगायक गढरत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने सोशल मीडिया के द्वारा जनमानस को अपने गीत के बोलो से लोगो को चेताया है-
“भोंत जरुरी ना हो घर से बाहर न आना।
प्रधानमंत्री जी का संदेश गम्भीरता से ल्यावा।
कोरोना की महामारी जड़ से मिटाई घावा”।

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