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उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध पर्यटन नगर रानीखेत में अयोजित हुआ साहित्य समागम

सी एम पपनैं

रानीखेत। छावनी परिषद रानीखेत के बहुद्देशीय सभागार में विगत सप्ताह कविजन हिताय एवं सांस्कृतिक समिति के सौजन्य से साहित्यकार डॉ दिवा भट्ट की अध्यक्षता तथा मुख्य अतिथि कमांडेंट ब्रिगेडियर कुमाऊं रेजिमेंट सेंटर संजय कुमार यादव विशिष्ट सेवा मेडल की भव्य उपस्थिति तथा दिल्ली विश्वविद्यालय सहित विदेशों में विजिटिंग प्रोफेसर रहे डॉ कर्ण सिंह चौहान, डॉ कपिलेश भोज, डॉ दिनेश कर्नाटक, डॉ शैलेय, डॉ वैभव सिंह, डॉ दिनेश कुमार, डॉ पंकज शर्मा के सानिध्य में प्रभावशाली व यादगार साहित्य समागम के अंतर्गत ‘उपन्यास में युवा चिन्तन की दिशा’ विषय पर परिचर्चा एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।

साहित्य समागम का श्रीगणेश कुमाऊं रेजिमेंट सेंटर के कमांडेंट ब्रिगेडियर संजय कुमार यादव तथा देश के विभिन्न प्रदेशों से आए आमंत्रित साहित्यकारों के कर कमलों दीप प्रज्वलित कर किया गया। छावनी इंटर कॉलेज की छात्राओं द्वारा कर्ण प्रिय स्वर में स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। सत्कारकों के रूप में छावनी परिषद सीईओ कुणाल रोहिला, डॉ जया पांडे, डॉ अनिल जोशी, डॉ दीर्घ नारायण, नगर के प्रमुख व्यवसायी अतुल अग्रवाल, एच एस कड़ाकोटी, नरेंद्र रौतेला इत्यादि द्वारा आमंत्रित अतिथि साहित्यकारों का अंग वस्त्र ओढ़ा कर स्वागत अनिनंदन किया गया।

 

साहित्य समागम का प्रभावशाली मंच संचालन करते हुए उत्तराखंड राज्य के वरिष्ठ पत्रकार विमल सती द्वारा स्वागत वक्तव्य में रानीखेत में विगत कालखंडों में जन्में साहित्यकारों का जिक्र करते हुए प्रसिद्ध नाटककार व कथाकार गोविंद बल्लभ पंत की जन्मस्थली रानीखेत में आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न प्रांतों के साहित्यकारों के समागम को गौरव का क्षण बताया।

आयोजित साहित्य समागम के पहले सत्र में ‘उपन्यास में युवा चिन्तन की दिशा’ विषय पर कहानीकार डॉ दीर्घ नारायण के उपन्यास ‘रामघाट में कोरोना’ पर विशद विमर्श उपस्थित साहित्यकारों व समालोचकों द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि ब्रिगेडियर संजय कुमार यादव द्वारा डॉ दीर्घ नारायण को एक संवेदनशील लेखक व अधिकारी बताते हुए अवगत कराया गया, रानीखेत में छावनी अधिशासी अधिकारी के पद पर रहते हुए उन्होंने रानीखेत के बहुमुखी विकास पर बहुत ध्यान दिया, अब एक प्रभावशाली लेखक के रूप में वो सामने आए हैं। ब्रिगेडियर संजय कुमार यादव द्वारा कहा गया, बतौर एक अधिकारी विभागीय कार्यों से वक्त निकाल कर लेखन कार्य करना ध्यान आकर्षित करता है, जो काबिले-तारीफ है।

 

आमंत्रित साहित्यकारों द्वारा किए गए संबोधन में डॉ दीर्घ नारायण के उपन्यास ‘रामघाट में कोरोना’ पर परिचर्चा के दौरान कहा गया, भयावह कोरोना कालखंड की त्रासदी पर लिखा उपन्यास आशावादी दृष्टिकोण से आगे बढ़ता है और इसमें पठनीयता है। वक्ताओं द्वारा कहा गया, कोरोना कालखंड में घटी घटनाओं को सहज और मनोरंजक ढंग से लेखक द्वारा सामने लाया गया है, जिसे पढ़ने पर वह भयावह कालखंड सजीव हो उठता है। कहा गया, रचित उपन्यास में भारतीय जनजीवन को जीवंत रूप में रखा गया है और सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक विद्रूपताओं को विस्तृत तौर पर उजागर किया गया है।

 

रचित उपन्यास में युवा चिंतन की दिशा पर बोलते हुए विशिष्ट वक्ता के तौर पर उपस्थित साहित्यकारों द्वारा कहा गया, उपन्यास में जिस तरह से वैश्विक मुद्दे उठाए गए हैं वह आज के युवाओं की सोच और विजन को इंगित करता नजर आता है। भारतीय राजनीतिक प्रणाली में बदलाव की बात भी युवा कैबिनेट करती है। उपन्यास में युवाओं का सकारात्मक चिंतन है।

 

साहित्य समागम में उपस्थित उपन्यास रचयिता डॉ दीर्घ नारायण द्वारा कहा गया, 832 पेज के इस उपन्यास को पूरा करने में दो वर्ष का समय लगा। दिल्ली विश्वविद्यालय सहित विदेशों में विजिटिंग प्रोफेसर रहे डॉ कर्ण सिंह चौहान द्वारा बतौर मुख्य वक्ता ज्ञानवर्धक व ध्यान आकर्षित करने वाले गूढ़ विचार रखे गए। उत्तराखंड के प्रमुख साहित्यकारों में डॉ कपिलेश भोज, डॉ दिनेश कर्नाटक, डॉ शैलेय, उत्तर प्रदेश से डॉ वैभव सिंह, डॉ दिनेश कुमार, बिहार से डॉ पंकज शर्मा द्वारा भी चिंतन व मनन करने वाले विचार रखे गए।

साहित्य समागम की अध्यक्षता कर रहे साहित्यकार डॉ दिवा भट्ट द्वारा अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में अयोजन व आयोजकों में कविजन हिताय एवं सांस्कृतिक समिति पदाधिकारियों व सदस्यों को भव्य अयोजन आयोजित करने हेतु बधाई दी गई, भविष्य में भी इस तरह के प्रभावशाली अयोजन आयोजित कर साहित्य व संस्कृति के उत्थान पर बल देने की बात कही गई। स्थानीय छावनी परिषद सभासद मोहन नेगी द्वारा सभी उपस्थित प्रबुद्ध जनों के प्रति आभार व्यक्त किया गया।

 

सहभोज के बाद आयोजित दूसरे सत्र की काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता त्रिभुवन गिरी महाराज द्वारा की गई। आयोजित काव्य गोष्ठी में अल्मोड़ा से डॉ दिवा भट्ट, त्रिभुवन गिरी, नवीन बिष्ट, नीरज पंत, कोमल जोशी, रानीखेत से गीता पवार, डॉ विनीता खाती, डॉ रिजवाना सिद्दीकी, ज्योति साह, नरेश कुमार इत्यादि द्वारा प्रभावशाली अंदाज़ में कविता पाठ किया गया। काव्य गोष्ठी का संचालन नीरज पंत द्वारा बखूबी किया गया।

 

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