गढ़वाल अध्ययन प्रतिष्ठान द्वारा शास्त्रीय गायिका स्व.पंडित मीरा गैरोला की पावन स्मृति में आयोजित संगीत समारोह सम्पन्न
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सी एम पपनैं नई दिल्ली। उत्तराखंड की सु-विख्यात शास्त्रीय गायिका व संगीतज्ञ स्व.मीरा गैरोला की पावन स्मृति मे गढ़वाल अध्ययन प्रतिष्ठान द्वारा 26 अक्टूबर को आई पी एक्सटैंसन स्थित मयूर पब्लिक स्कूल सभागार मे प्रभावशाली शास्त्रीय संगीत समारोह का आयोजन प्रतिष्ठान अध्यक्ष रमेश घिल्डियाल की अध्यक्षता मे आयोजित किया गया।
आयोजित शास्त्रीय संगीत समारोह का शुभारंभ प्रतिष्ठान पदाधिकारियों व अन्य उपस्थित प्रबुद्धजनो मे प्रमुख रमेश घिल्डियाल, एम एस रावत, उदय शर्मा, रमेश कांडपाल, पूजा शर्मा, एम एस गौड़, कुसुम भट्ट, उषा ममगाई, चंद्र मोहन पपनैं व शर्मीला दत्त अमोला द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। सभागार में उपस्थित उत्तराखंड की अनेको सांस्कृतिक व सामाजिक संस्थाओं से जुड़े संस्था प्रतिनिधियों तथा साहित्यकारो, पत्रकारो, रंगकर्मियों व समाज सेवियो द्वारा स्व.पंडित मीरा गैरोला के चित्र पर गुलाब की पंखुड़ियां अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।
आयोजित शास्त्रीय संगीत समारोह शुभारंभ से पूर्व गढ़वाल अध्ययन प्रतिष्ठान अध्यक्ष रमेश घिल्डियाल द्वारा सभागार मे उपस्थित अतिथियों व श्रोताओ का स्वागत अभिनंदन कर अवगत कराया गया, सु-विख्यात शास्त्रीय गायिका व संगीतज्ञ स्व.मीरा गैरोला मात्र पैंतालीस वर्ष की उम्र तक जीवित रही। इतनी कम उम्र में ही इस गायिका द्वारा संगीत की ऊचाईयों को छू कर ख्याति अर्जित कर ली गई थी। शास्त्रीय गायन के साथ-साथ वे एक लेखिका भी थी। उनके द्वारा रचित उपन्यास ‘एक कलाकार की दास्तान’ तथा दूसरी पुस्तक ‘मीरा’ जो इस गायिका की स्वयं के जीवन की दास्तान पर रचित थी, उक्त दोनों प्रकाशित पुस्तकों का पठन-पाठन कर इस गायिका के जीवन दर्शन को समझा जा सकता है।
प्रतिष्ठान अध्यक्ष द्वारा कहा गया, स्व.मीरा गैरोला अनेकों प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजी गई थी। शास्त्रीय गायन मे ग्वालियर घराने से सबद्ध रही यह गायिका पौड़ी गढ़वाल के मैठाणी परिवार मे जन्मी थी। विनम्र व सरल व्यक्तित्व की धनी यह गायिका महर्षि महाविद्यालय मे संगीत अध्यापिका थी। जीवन की कठिनाइयों को पहचान कर भी संगीत के लिए वे जीना चाहती थी। जटिलताओं को इस सु-विख्यात गायिका ने अपने ऊपर कभी हावी नही होने दिया। सदैव संघर्ष किया, पर टूटी नही। उनके कर्णप्रिय गायन व गीतों की बारीकियों मे दर्द झलकता था, जो आज भी कानों मे गूंज कर उनकी याद दिलाता रहता है।
अवगत कराया गया, स्व.मीरा गैरोला द्वारा संस्कृत मे गाई नंदा राजजात की रिकार्डिंग उनकी मृत्यु से चंद दिनों पहले ही समाप्त हुई थी। विमोचन होना बाकी था। इस गायिका के संपूर्ण जीवन का अवलोकन कर, उससे प्रेरणा ले, कहा जा सकता है, राग-द्वैष से मुक्त शास्त्रीय गायिका स्व.मीरा गैरोला एक दिव्य आत्मा थी।
स्व.मीरा गैरोला के प्रति उद्गार व्यक्त करते हुए कुमांऊनी, गढ़वाली व जौनसारी अकादमी दिल्ली सरकार के पूर्व उपाध्यक्ष व प्रतिष्ठित मयूर पब्लिक स्कूल के चेयरमैन एम एस रावत द्वारा अवगत कराया गया, दिल्ली प्रवास मे आयोजित अनेकों सांस्कृतिक आयोजनों के शुभारंभ मे गणेश व सरस्वती वंदना को शास्त्रीय गायन के द्वारा प्रभावशाली व कर्णप्रिय आवाज मे प्रस्तुत करने वाली तथा नजीबाबाद रेडियो स्टेशन से शास्त्रीय गायन करने वाली सु-विख्यात शास्त्रीय गायिका पंडित मीरा गैरोला का मात्र पैंतालीस वर्ष की उम्र मे किडनी की बीमारी से निधन होना असहनीय रहा, शास्त्रीय संगीत जगत के लिए बड़ा आघात रहा।
आयोजित शास्त्रीय संगीत समारोह का शुभारंभ ममता गौन्याल ग्रुप की कत्थक नृत्यांगना निकिता थपलियाल व यशस्वी शर्मा द्वारा शास्त्रीय गायन मे प्रस्तुत गणेश वंदना से किया गया।
प्रख्यात शास्त्रीय गायिका मधु बेरिया शाह द्वारा-
धरणी धरो… दीनानाथ… देवो सजनवा… देवो सजनवा।
तथा भजन-
सारो सारो देखो रे… जग मोरा…।
जीवन सागर मे जो लेता गहरा गोता है…ये मोती ये फूल, ये सुबह का प्रकाश..।
जानकी नाथ सहाय करे जग…।
अंकित भंडारी द्वारा राग केदार मे-
राम नाम रस पीजे मनवा…।
कबीर भजन-
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको… मेरे राम गाड़ी वाले…।
सीमा भंडारी द्वारा प्रस्तुत शास्त्रीय गायन मे-
पायलिया झलकाऐ मोरी…।
कबीर भजन मे-
दर्द यहां साई को सुनाऐ…।
नीमा गुसाई द्वारा प्रस्तुत भजन-
कृपा करो तुम… श्रीकृष्ण शरण रहिऐ…।
ख्यातिरत गायक व संगीत निर्देशक कृपाल सिंह रावत द्वारा शंकरा राग पर-
भोलेनाथ जय…अमर देवा तेरी जै जै कारा…।
गुणगान करिऐ राम का….।
सरगा…. बरखा कर दे…।
उक्त सभी शास्त्रीय गायको के गायन ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया, तालियों की गड गडाहट से सभागार गूंजता रहा। प्रस्तुत शास्त्रीय गायन मे तबला वादन संगत बनारस घराने से सबद्ध रहे सतीश मिश्र द्वारा प्रभावशाली अंदाज में किया गया। आयोजकों द्वारा सभी शास्त्रीय गायको को पुष्पगुच्छ व मान राशि भैट कर सम्मानित किया गया।
आयोजन के इस अवसर पर स्व.मीरा गैरोला की बेटी संस्कृति गैरोला द्वारा अपनी पूज्य मां को आनलाइन शास्त्रीय गायन का एक मुखड़ा गाकर श्रद्धांसुमन अर्पित किया गया। पति सुरेन्द्र गैरोला द्वारा अवगत कराया गया, पत्नी द्वारा जटिल बीमारी को झेलते हुए भी समारोहों मे शास्त्रीय गायन करना उनकी जीवटता को दर्शा, परिवार व समाज को प्रेरणा देता नजर आता था। व्यक्त किया, समाज के लोगों ने भी उनके उपचार में मदद कर उनके जीवन को बचाने की भरसक कोशिश की थी।
अवगत कराया गया, स्व.मीरा गैरोला द्वारा संस्कृत मे गाई नंदा राजजात की रिकार्डिंग उनकी मृत्यु से चंद दिनों पहले ही समाप्त हुई थी। विमोचन होना बाकी था। इस गायिका के संपूर्ण जीवन का अवलोकन कर, उससे प्रेरणा ले, कहा जा सकता है, राग-द्वैष से मुक्त शास्त्रीय गायिका स्व.मीरा गैरोला एक दिव्य आत्मा थी।
प्रतिष्ठान अध्यक्ष रमेश घिल्डियाल द्वारा आयोजित यादगार शास्त्रीय संगीत समारोह समापन की घोषणा की गई। आयोजित समारोह का मंच संचालन कार्यक्रम संयोजक प्रदीप वेदवाल द्वारा बखूबी प्रभावशाली अंदाज मे किया गया।
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