पॉजिटिव सोच के बल राष्ट्र व जन के सरोकारों को समर्पित ‘प्लस अप्रोच फाउंडेशन’ का दसवां वार्षिक सम्मेलन-2024 सम्पन्न
सी एम पपनैं
नई दिल्ली। राष्ट्र निर्माण में पाजिटिव, इंस्पायर्ड और इम्पावर्ड के नारों को प्रधानता के साथ आगे बढ़ा रही ‘प्लस अप्रोच फाउंडेशन’ के दसवें वार्षिक सम्मेलन-2024 का आयोजन 14 सितंबर को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, सी डी देशमुख सभागार में देश के विभिन्न संस्थानों के शीर्ष अधिकारियों, पत्रकारों, समाज के विभिन्न वर्गो के प्रमुख प्रबुद्ध जनों, उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों से आए श्रमिकों की गरिमामयी उपस्थिति में आयोजित किया गया।
आयोजित स्थापना दिवस समारोह का श्रीगणेश फाउंडेशन प्रमुख डाॅ.आशुतोष कर्नाटक, फाउंडेशन चेयरमैन आर पी गुप्ता, मैनेजिंग ट्रस्टी विदुषी कर्नाटक तथा फाउंडेशन ट्रस्टियों व पदाधिकारियों में प्रमुख विनोद तिवारी, हेम पन्त, अशोक कुमार, माधुरी कश्यप, धीरेंद्र पंत तथा डॉ.हरिवंश चतुर्वेदी द्वारा दीप प्रज्वलित कर व सामूहिक रूप से गाए गीत ‘हम होंगे कामयाब एक दिन…। गाकर किया गया।
फाउंडेशन चेयरमैन आर पी गुप्ता द्वारा सभागार में उपस्थित प्रमुख वक्ताओं व अन्य सभी प्रबुद्ध जनों का स्वागत अभिनंदन कर अवगत कराया गया, कृत संकल्प होकर ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए किए जा रहे कार्यो व मिल रही सफलता व राष्ट्र निर्माण में योगदान देने हेतु फाउंडेशन अपने उद्देश्यों के तहत निरंतर प्रयत्नशील है। सकारात्मक सोच और व्यक्तियों और विशेष रूप से युवाओं के बीच सकारात्मकता का प्रसार तथा संसाधनों व उर्जा और पर्यावरण को बचाना तथा गांवो के सर्वांगीण विकास हेतु फाउंडेशन की मुख्य सोच रही है। सर्वशिक्षा, सर्व ऊर्जा, सर्व सकारात्मक सोच परियोजना कार्यो के बारे में सेमिनार और कार्यशालाओं का आयोजन कर राष्ट्र निर्माण में निरन्तर सहयोग दिया जा रहा है। सकारात्मक ऊर्जा, समाज के वंचित व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की प्राथमिक जरूरतों को पूरा कर रही है। जिनकी परिकल्पना समाज के गरीब वर्ग के सतत विकास के लिए सकारात्मक प्रभाव लाने के लिए की गई है। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों मे अचीवर्स जो सकारात्मक के पथ प्रदर्शक रहे, विभिन्न पुरूष्कारों से सम्मानित करना फाउंडेशन अपना कर्तव्य समझता है। व्यक्त किया गया, ‘सोच बदलो, अपने को बदलो, आदत बदलो।’ पर फाउंडेशन कार्य कर रहा है। अच्छी सोच से ही सारी चीजे बदली जा सकती हैं। राष्ट्र का उत्थान किया जा सकता है।
स्थापना दिवस के इस अवसर पर फाउंडेशन सलाहकार मधुमिता तिवारी द्वारा फाउंडेशन के कार्यों के बावत स-विस्तार अवगत कराया गया। विगत वर्षो में फाउंडेशन द्वारा उत्तराखण्ड के दूरस्थ ग्रामीण अंचल में किए गए कार्यों तथा विभिन्न क्षेत्रों में किए जा रहे प्रयासों तथा फाउंडेशन के उद्देश्यों को निर्मित प्रभावशाली डाक्युमैंन्ट्री के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। सभागार में उपस्थित सभी श्रोताओं को मंच संचालिका द्वारा सामूहिक रूप से सकारात्मक सोच पर शपथ भी दिलवाई गई।
उत्तराखंड के गांव पाई मटेला (शीतलाखेत) से सम्मेलन में आए गजेंद्र कुमार पाठक फाउंडेशन मेंटर द्वारा अवगत कराया गया, विगत चार वर्षों से निरंतर ‘प्लस अप्रोच फाउंडेशन’ अभाव ग्रस्त व ज़रूरत मंद ग्रामीणों की मदद कर रहा है। सकारात्मक सोच के बावत ग्रामीणों को सिखाया जाता है। गांव को विकास की दौड़ में फाउंडेशन द्वारा आगे बढ़ाने का भरसक प्रयास किया जा रहा है। कहा गया, ग्रामीण जन अभावग्रस्त जीवन जी रहे हैं। गांवों की आबादी घट रही है। जो गांवों में बचे हैं उनके पास आजीविका चलाने हेतु कोई भी संसाधन नहीं हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही अटल योजना के मानक बहुत जटिल हैं।
गजेंद्र कुमार पाठक द्वारा अवगत कराया गया, फाउंडेशन द्वारा कोरोना काल में उत्तराखंड के चौदह हजार गांवों में से एक गांव छांटा गया था ‘मटेला’। फाउंडेशन द्वारा चार गांव के सौ बच्चों को शिक्षा, महिलाओ को विभिन्न प्रकार की मदद, टूटे मकानों की मरम्मत व नए मकानों का निर्माण तथा स्वास्थ के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार से मदद की जा रही है।
अल्मोड़ा जिले के गांव से फाउंडेशन कार्यक्रम में पहुंची विनीता बिष्ट ग्राम मटेला, छात्र अंकित बिष्ट ग्राम मटेला, रोशनी फिरमाल ग्राम स्याही देवी तथा सोनिया बिष्ट ग्राम खरकिया द्वारा
अन्य ग्रामीण सहयोगियों पूजा आर्य ग्राम नौला, आशा परिहार ग्राम सूरी, रुचि पाठक ग्राम बरसीला, सुमन नेगी ग्राम गड़सारी तथा गोपाल सिंह बिष्ट ग्राम मटेला के सानिध्य में अवगत कराया गया, फाउंडेशन द्वारा गांव में बच्चों की शिक्षा हेतु कक्षाएं चलाई जा रही हैं। अच्छी किताबें पढ़ाई जाती हैं। बच्चे मेहनत करते हैं लेकिन संसाधनों की कमी है। बच्चों में विश्वास जग रहा है। उन्हें संस्कारवान बनाया जा रहा है। उचित प्लेट फार्म नहीं मिलने से निराशा है। अंकित बिष्ट द्वारा बताया गया, फाउंडेशन द्वारा पढ़ने-लिखने हेतु दी गई मदद के बल ही दसवी कक्षा में उनके नब्बे फीसदी अंक आए हैं।
ग्रामीणों द्वारा प्रतिष्ठत मंच से कहा गया, फाउंडेशन प्रमुख डॉ.आशुतोष कर्नाटक बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, पालन-पोषण के साथ-साथ अभावग्रस्त परिवारों की लड़कियों के व्याह में भी भरपूर आर्थिक मदद करते रहते हैं। महिलाओं को सिलाई-कढाई-बुनाई हेतु मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं।
ग्रामीण जनों द्वारा कहा गया, अंचल में अपराध बढ़ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन हो रहा है। जंगलों में लगने वाली आग से पर्यावरण की बहुत हानि हो रही है। तीस महिला मंगल दल क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन हेतु कार्य कर रहे हैं। जंगलों में आग लगे ही ना, इस पर अब ‘ओड दिवस’ मनाया जा रहा है। उक्त दिवस की महत्ता पर प्रयोग स्वरूप कार्य किया जा रहा है।
आयोजित सम्मेलन के दूसरे सत्र में फाउंडेशन प्रमुख डाॅ.आशुतोष कर्नाटक द्वारा प्रमुख वक्ताओं डॉ.हरिवंश चतुर्वेदी (डीजी आईआईएलएम), विनोद अग्निहोत्री (परामर्श संपादक अमर उजाला) तथा अशोक कुमार (वीपी एचआर एचएमईएल) का स्वागत अभिनन्दन शाल ओढ़ा कर व पुष्पगुच्छ प्रदान कर किया गया।
डाॅ.आशुतोष कर्नाटक द्वारा अपने संबोधन में कहा गया, फाउंडेशन अपने उद्देश्यों में सफल हो रहा है। सिद्ध हुआ है, हजार मोमबत्तियां एक मोमबत्ती से जलाई जा सकती हैं। स्थापित फाउंडेशन मशाल के रूप में आ रहा है। सकारात्मक सोच से सब हो सकता है। कहा गया, देश के अलग-अलग राज्यों में भिन्न भिन्न प्रकार के लोग हैं, पॉजिटिव हों तो सब कार्य होते हैं। डॉ.कर्नाटक द्वारा कहा गया, हर किसी को सोचना चाहिए मैंने समाज, संस्था या देश के लिए क्या किया। उन्होंने कहा, सकारात्मकता को लेकर ही अब गांव देहात में संस्था बनाएंगे। आह्वान किया गया, पॉजिटिव रह किसी भी रूप में राष्ट्र व जनसरोकारों हेतु फाउंडेशन से जुड़े।
मुख्य वक्ता डॉ.हरिवंश चतुर्वेदी द्वारा कहा गया, हिंदुस्तान ने आज तक जो भी पाया, पॉजिटिव सोच से ही पाया। स्वतंत्रता सेनानियों की पॉजिटिव सोच से ही देश आजाद हुआ। कहा गया, आजादी से पूर्व महात्मा गांधी ने एक और लड़ाई लड़ी वे लड़ाई जो ‘प्लस अप्रोच फाउंडेशन’ द्वारा डाॅ.आशुतोष कर्नाटक के नेतृत्व में लड़ी जा रही है। कहा गया, महिलाएं भी स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में आगे आई थी। ये सब पॉजिटिव सोच थी। पॉजिटिव सोच लेकर ही तेनजिंग नोर्गे और एडमंड हिलेरी द्वारा एवरेस्ट पर चढ़ने का करिश्मा कर दिखाया था। पॉजिटिव सोच से दुनिया का कोई भी काम आसानी से हो सकता है। कहा गया, दशरथ मांझी की तरह पॉजिटिव सोच बनाकर सुरंग खोद रास्ता निकाला जा सकता है। कोशिश करते रहे, सफलता जरूर मिलेगी। आज का सपना कल हकीकत होगी।
वक्ता विनोद अग्निहोत्री द्वारा हिंदी दिवस पर कहा गया, हिंदी का विकास सकारात्मकता की सोच पर ही हुआ है। सोच भी दो प्रकार की होती है, नकारात्मक और सकारात्मक। सोच सही हो तो क्या नहीं हो सकता है। सकारात्मक सोच से ही व्यक्ति यहां तक पहुंचा है। सारे आविष्कार सकारात्मक सोच से ही संभव हो पाए हैं। सकारात्मक सोच ही व्यक्ति को मौका देती है। सकारात्मकता देश समाज के लिए सकारात्मक अभिव्यक्ति है। नई पीढ़ी अपने जीवन में सकारात्मकता के साथ आगे बढ़े।
विनोद अग्निहोत्री द्वारा कहा गया, आत्महत्या नकारात्मकता उभारती है। जो बचा हुआ है उसको पाने की कोशिश करनी चाहिए। जन्म से मृत्यु तक ज्ञान प्राप्त किया जाता है, मृत्यु भी ज्ञान है। उसको पाने के लिए सकारात्मकता जरूरी है। कहा गया, हमारी संस्कृति और शास्त्रों में सकारात्मकता है। जीवन में जो भी प्राप्ति होती है सकारात्मकता से ही होती है। सकारात्मक लक्ष्य बना जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है।
वक्ता अशोक कुमार द्वारा कहा गया, रोज एक छोटी सी अच्छी आदत की सोच बनाए। चंद समय में ही पॉजिटिविटी की सोच आदत बन जाएगी। सोच ही है जो लक्ष्य की प्राप्ति करवाए, क्षमता बढ़ाए। क्षमता को चैलेंज स्वरूप लेकर निश्चय ही वह आगे बढ़ेगी। कम्फर्ट जोन से बाहर निकल कर ही यह किया जा सकता है। कहा गया, बदलाव हुआ है, होता रहेगा। हो रहे बदलाव पर अपने आपको बदलना उन्नति है। जो बदलाव हो रहा है, सीखना जरूरी है।
आयोजन के इस अवसर पर मीनाक्षी तथा डॉ. आलोक कुमार मिश्रा द्वारा भी पॉजिटिव सोच पर ज्ञानवर्धक विचार व्यक्त किए गए। फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित स्मारिका 2024 का लोकार्पण मुख्य वक्ताओं तथा फाउंडेशन पदाधिकारियों के कर कमलों किया गया। फाउंडेशन सचिव एस के गुलियानी द्वारा सभागार में बैठे लोगों से सवाल किए गए, सही उत्तर मिलने पर उन्हें इनाम दिए गए।
वैश्विक स्पर्धाओं में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी पैरा एथलीट सुवर्णा राज द्वारा अपनी बंदिशभरी तथा अभावग्रस्थ जीवन गाथा व पॉजिटिव सोच के आधार पर नेशनल अवार्ड प्राप्त करने तथा भविष्य में पॉजिटिव सोच के आधार पर ही पैरालंपिक स्वर्ण पदक जीतने की बात कह, दर्शकों को प्रभावित किया, पॉजिटिव सोच बनाए रखने पर उसके लाभों से अवगत कराया।
आयोजन के इस अवसर पर देश के प्रख्यात हास्य कवि अरुण जैमिनी द्वारा अपनी राष्ट्रीय छवि के अनुरूप सभागार में बैठे श्रोताओं को हास्य की कविताएं व हंसी मजाक से जुड़े हास्य से भरपूर किस्से सुनाकर लोटपोट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। भरे सभागार में गूंजते हंसी के ठहाकों व तालियों की गड़गड़ाहट ने ‘प्लस अप्रोच फाउंडेशन’ के स्थापना दिवस को यादगार बनाया।
स्थापना दिवस के इस अवसर पर ‘प्लस अप्रोच फाउंडेशन’ द्वारा वर्ष 2024 के विभिन्न नामों से विभिन्न विधाओं में निपुण लोगों व संस्थाओं को मुख्य वक्ताओं तथा फाउंडेशन पदाधिकारियों के कर कमलों सम्मान स्वरूप शाल ओढ़ाकर, प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। सम्मान प्राप्त करने वालों में पैरा एथलीट सुवर्णा राज, कुमार पंत, अरूण सिंघल, अंजना तिवारी, सार्थक प्रयास से जुडे विकास नेगी, नेशनल फाउंडेशन ब्लाइंड गर्ल्स, गोपाल सिंह बिष्ट, अनंता मुरारी, प्रदीप हजारिका, प्रीती बिष्ट, किशोर सरेसकर, डॉ.ज्योति, कुसुलेंद्र सिंह तथा नवीन अग्रवाल मुख्य रहे। आयोजन में सम्मानित हुई संस्थाओं को पच्चीस हजार रुपया फाउंडेशन की ओर से सम्मान स्वरूप प्रदान किया गया।