देवभूमि उत्तराखंड में स्थित है माता पार्वती की तपोस्थली तपोवन
*द्वारिका चमोली*
वर्षों पूर्व से ही घुम्मकड़ी के लिए लोगों की पहली पसंद भारत ही रहा है, क्योंकि यहाँ अनेकों प्रसिद्ध धार्मिक स्थल होने के साथ साथ प्रकृति की मनमोहक सौंदर्य के छटा देखने के भी अनेकों स्थान हैं, देवभूमि उत्तराखंड में चारों तरफ हरी-भरी हरियाली और मां गंगा की कलकल करती ध्वनि अपने आप में मन को आकर्षित करती रहती है, और हिमालय तो अपने आप में ही बेमिसाल है जिसे हर कोई देखना चाहता है !
भारत का उत्तर भाग हिमालय, पहाड़ों, झीलों व् रहस्मयी तालाबों से घिरा है साथ ही यहाँ की संस्कृति भी लोगों को काफी लुभाती है ! भारत के उत्तर में ही बसा है उत्तराखंड जहाँ देवीय शक्तियों का वास् है ! युगों युगों से साधु महात्माओं के अलावा अवतारित देवों ने स्वयं यहाँ पर हज़ारों वर्षों तक तपस्या कर पूरे उत्तराखंड को लोगों के दिल में पवित्र स्थान के रूप में स्थापित कर दिया है ! इसीलिए इसे देवलोक भी कहा जाता है, अपने आप में प्राकृतिक खजाने से भरपूर यहाँ घूमने व् तीर्थ के लिए आपको एक से बढ़कर एक नैसर्गिक सौंदर्य व् मनमोहक स्थल आपको लुभाते मिल जाएंगे ! उत्तराखंड के चमोली जिले में ऐसा ही एक स्थान है तपोवन !
जोशीमठ से निति मलारी जाने वाले मार्ग पर जोशीमठ से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तपोवन जैसा की नाम से ही विदित हो रहा है कि यह स्थान तप के लिए उपयुक्त था! चारों और से ऊंचीं पहाड़ियों से ढका होने व् हिमशिखरों के बीच यह खूबसूरत स्थान मन को आकर्षित करता है ! कहा जाता है कि भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए माता पार्वती ने इस स्थान पर कठोर तप किया था, उनकी तपस्या से खुश होकर भगवान् शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया तभी से वहां पर गौरी शंकर मंदिर भी स्थापित है जो कि पौराणिक कला पर आधारित है ! तपोवन तप्त कुंडों की वजह से ज्यादा जाना जाता है ! यहाँ पर गंधक युक्त छोटे छोटे तप्त कुंड आपको देखने को मिलेंगे ! लोगों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन तप्त कुंडों में यात्री पोटली में चावल बांधकर उनको पकाते हैं जो कि एक अचंभित करने वाली बात है !
यहीं से एक पैदल मार्ग कुंवारी पास के लिए जाता है तो इसके 3 किलोमीटर आगे रोड मार्ग से सालधार गांव पड़ता है जहाँ से 3 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़कर सुभाई गांव पड़ता है और यहाँ से 2 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ने के बाद आप भविष्य बद्री के दर्शन कर सकते है हालाँकि अभी ये मंदिर दर्शनों के लिए सार्वजानिक नहीं किया गया है इसलिए मंदिर के द्वार बंद ही रहते हैं पर आप बाहर से ही पूजा अर्चना कर सकते हैं ! यहाँ ठहरने के लिए आपको 3-4 आश्रम मिल जायेंगे ! सालधार से ही आप द्रोणागिरी पर्वत के भी दर्शन कर सकते हैं। इसी पर्वत से वीर हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आए थे जिस कारण द्रोणगिरि गांव के लोग आज भी उनसे नाराज हैं! अपने शांत वातावरण व् प्राकृतिक छटा के कारण ये स्थल पर्यटकों को काफी लुभाता है !
यदि आप बद्रीनाथ जा रहे हों तो जोशीमठ में नरसिंह देव के दर्शन कर निति मलारी मार्ग पर तपोवन के लिए जरूर जाएँ ! जोशीमठ से आगे ये पूरा मार्ग ही आपको अपूर्व शांति व् कुछ नया तलाशने के लिए आकर्षित करेगा ! तपोवन के लिए आप ऋषिकेश से रोड मार्ग से टेक्सी या अपनी गाड़ी से जा सकते है ! ऋषिकेश से तपोवन की दूरी लगभग 270 किलोमीटर है!