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एलपीजी वितरण और सब्सिडी में पारदर्शिता व दक्षता लाने के लिए सरकार के सतत प्रयास — हरदीप सिंह पुरी

Amar sandesh नई दिल्ली। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री  हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में बताया कि सरकार घरेलू एलपीजी उपभोक्ताओं के लिए एलपीजी वितरण और सब्सिडी हस्तांतरण को कुशल, पारदर्शी और समावेशी बनाने के लिए निरंतर कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि ‘पहल’ (डीबीटीएल) योजना, आधार आधारित सत्यापन, बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण और अयोग्य या फर्जी कनेक्शनों को समाप्त करने जैसे उपायों के चलते लक्षित सब्सिडी हस्तांतरण प्रणाली और भी मज़बूत हुई है।

श्री पुरी ने बताया कि उपभोक्ता सशक्तिकरण और सेवा पारदर्शिता में सुधार के लिए देशभर में सभी एलपीजी वितरकों में आईवीआरएस और एसएमएस आधारित रिफिल बुकिंग प्रणाली लागू की गई है। इसके तहत उपभोक्ताओं को रिफिल बुकिंग से लेकर कैश मेमो जनरेशन और डिलीवरी तक हर चरण की जानकारी एसएमएस के माध्यम से दी जाती है। इससे उपभोक्ता अपने लेन-देन को ट्रैक कर सकते हैं और किसी भी गड़बड़ी की स्थिति में तत्काल शिकायत दर्ज करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि तेल विपणन कंपनियों ने ‘डिलीवरी ऑथेंटिकेशन कोड’ (डीएसी) की व्यवस्था भी शुरू की है, जिसके तहत उपभोक्ता को कैश मेमो बनने पर एक कोड भेजा जाता है और डिलीवरी लेते समय इसे डिलीवरी कर्मी को बताना होता है। इससे डिलीवरी की प्रामाणिकता सुनिश्चित होती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तेल विपणन कंपनियों के क्षेत्रीय अधिकारी नियमित और औचक निरीक्षण करते हैं। इनके साथ मिलावट-रोधी, गुणवत्ता आश्वासन और सतर्कता विभाग के अधिकारी भी वितरकों के गोदामों, शोरूमों और वितरण स्थलों पर अचानक जांच करते हैं, ताकि एलपीजी का दुरुपयोग रोका जा सके।श्री पुरी ने बताया कि जनवरी 2015 से लागू ‘पहल’ योजना के तहत सभी घरेलू एलपीजी सिलेंडर गैर-सब्सिडी वाले मूल्य पर बेचे जाते हैं और लागू सब्सिडी सीधे उपभोक्ताओं के बैंक खातों में भेजी जाती है। इस योजना ने फर्जी, बहु-कनेक्शन और निष्क्रिय कनेक्शन की पहचान कर उन्हें समाप्त करने में अहम भूमिका निभाई है, जिससे वाणिज्यिक उपयोग के लिए सब्सिडी वाले एलपीजी के दुरुपयोग पर रोक लगी है।

सरकार ने कॉमन एलपीजी डेटाबेस प्लेटफॉर्म (सीएलडीपी) तैयार किया है, जिससे आधार, बैंक खाता, राशन कार्ड, नाम-पता जैसे विवरण के आधार पर डुप्लीकेट कनेक्शनों को हटाया जा रहा है। साथ ही बायोमेट्रिक आधार प्रमाणीकरण को अनिवार्य किया गया है। 1 जुलाई 2025 तक प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के 67% लाभार्थियों का बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण पूरा हो चुका है। सभी नए लाभार्थियों को कनेक्शन जारी होने से पहले यह प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

श्री पुरी ने बताया कि पात्र उपभोक्ताओं को ही लाभ देने के लिए 8.49 लाख निष्क्रिय उज्ज्वला कनेक्शन समाप्त किए गए हैं। इसके अलावा, जनवरी 2025 में जारी एसओपी के तहत, जिन लाभार्थियों ने कनेक्शन मिलने के बाद कभी रिफिल नहीं लिया, उनके लगभग 12,000 कनेक्शन भी बंद कर दिए गए।

आधार अनुपालन बढ़ाने से लेन-देन विफलताओं में कमी आई है। वर्तमान में 92.44% सक्रिय उपभोक्ताओं के आधार नंबर तेल कंपनियों के डेटाबेस से जुड़े हुए हैं। डीबीटीएल के तहत 86.78% उपभोक्ताओं ने आधार लिंकिंग पूरी कर ली है।

श्री पुरी ने बताया कि एलपीजी वितरण को विनियमित करने के लिए “द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस (आपूर्ति एवं वितरण विनियमन) आदेश, 2000” लागू है और तेल कंपनियों ने विपणन अनुशासन दिशानिर्देश तैयार किए हैं। इन दिशानिर्देशों के तहत अनियमितताओं के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाती है।

उन्होंने कहा कि एक तृतीय-पक्ष मूल्यांकन में पाया गया कि 90% से अधिक उपभोक्ता सब्सिडी भुगतान व्यवस्था से संतुष्ट हैं। रिपोर्ट में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों तक ही सब्सिडी सीमित करने और उपभोक्ताओं को स्थानीय भाषा में सुरक्षा संबंधी जागरूकता देने की सिफारिश की गई है।

वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 194 करोड़ एलपीजी रिफिल वितरित किए गए, जिनमें से सिर्फ 0.08% मामलों में शिकायतें दर्ज हुईं। यह इस बात का प्रमाण है कि एलपीजी वितरण प्रणाली सुचारु और प्रभावी है।

उपभोक्ता अपनी शिकायतें टोल-फ्री हेल्पलाइन 1800-2333-555, 1906 (गैस रिसाव/दुर्घटना), तेल कंपनियों की वेबसाइट और मोबाइल एप, सीपीजीआरएएमएस पोर्टल, व्हाट्सएप, सोशल मीडिया या वितरक कार्यालय के माध्यम से दर्ज करा सकते हैं।

श्री पुरी ने कहा कि सरकार एलपीजी उपभोक्ताओं को बेहतर, पारदर्शी और समयबद्ध सेवाएं देने के लिए लगातार प्रयासरत है और भविष्य में भी इन सेवाओं को और मजबूत किया जाएगा।

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