वीर चंद्रसिंह गढ़वाली की 129वी जयंती पर उत्तराखंड फिल्म एव नाट्य संस्थान का छठा स्थापना दिवस सम्पन्न
सी एम पपनैं
नई दिल्ली। पेशावर कांड 23 अप्रैल 1930 के नायक, सु-विख्यात स्वतंत्रता सेनानी, वीर चंद्रसिंह गढ़वाली की 129वी जयंती पर, उत्तराखंड फिल्म एवं नाट्य संस्थान द्वारा विगत सप्ताह संस्थान संरक्षक कुलदीप भंडारी व प्रैम सिंह रावत (पूर्व प्रशासक) के सानिध्य तथा संस्थान के रंगकर्मियों की उपस्थिति में, विनोद नगर मे संस्थान का छठा स्थापना दिवस आंशिक रूप से मनाया गया।
इस अवसर पर फिल्म एव नाट्य संस्थान अध्यक्षा संयोगिता ध्यानी व संस्थान संरक्षक कुलदीप भंडारी द्वारा वीर चंद्रसिंह गढ़वाली के कृतित्व व व्यक्ततित्व पर प्रकाश डाला गया। व्यक्त किया गया, 23 अप्रैल 1930 को पेशावर मे भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले, निहत्थे पठानों पर गोली चलाने के अंग्रेजो के आदेश की अवहेलना करने वाले नायक तथा देश की आजादी के स्वतंत्रता सेनानी वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली के अमिट योगदान को, कभी नहीं भूला जा सकता। उनके अदम्य साहस व सूझबूझ के द्वारा किए गए कार्य, गौरवशाली रहे। जिन अग्रेजों के आगे कोई आवाज नही उठा सकता था, इस वीर सैनिक ने बहादुरी का परिचय दिया था। अंग्रेजो के आदेश का निडर होकर उल्लघन पर कारावास झेली थी।
व्यक्त किया गया, देश को मिली आजादी के बाद वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली ने साधारण जीवन जिया था। लोगो के बीच, अपने निःस्वार्थ आदर्श विचारो के बल, समाज के लोगो के बीच मान-सम्मान अर्जित किया था। आजीवन उत्तराखंड तथा देश के विकास के लिए चिंतित रहे थे। व्यक्त किया गया, वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली का व्यक्तित्व बहुत ऊँचा था। उनमें त्याग की क्षमता थी। गांधी जी को चन्द्रसिंह गढ़वाली जैसे वीर सपूतो से, अहिंसक आंदोलन चलाने मे बल मिला था। गढ़वाली जी नेता नही, एक विचार की धारा थे, जो हमारी धरोहर है। ऐसी प्रेरणादायी विभूति को याद करना, न सिर्फ उत्तराखंडियों को बल्कि देश के समस्त जनमानस को सकून व प्रेरणा प्रदान करता है।
इस अवसर पर, सु-विख्यात संगीतज्ञ कृपाल सिंह रावत द्वारा तबला वादक सुंदर लाल आर्य के सानिध्य मे कर्णप्रिय गायन-वादन किया गया। संस्थान के गायक कलाकारों गीता बिष्ट, बंदना भट्ट, रंजना बक्सी, महेन्द्र रावत, सुमित्रा किशोर तथा लक्ष्मी नोटियाल द्वारा उत्तराखंड के लोकगीतो का मनमोहक गायन प्रस्तुत किया गया। नाट्य संस्थान सचिव कुसुम चौहान द्वारा महिला सशक्तिकरण पर सारगर्भित विचार व्यक्त किए गए। कार्यक्रम का कुशल संचालन, रंगकर्मी बृज मोहन शर्मा द्वारा किया गया।