शंकराचार्य जी ने कहा कि गाय हमारी ही नहीं अपितु पूरे विश्व कि माता है
दिल्ली, 7 नवम्बर । गत वर्षों की भांति 7 नवम्बर, शनिवार को अखिल भारत गो सेवक समाज के नेतृत्व में देशभर से गो भक्त, सेवक, संत व अनेक धर्माचार्य संसद भवन चौक पर श्रद्धांजलि देने के लिए सम्मिलित हुए । सम्पूर्ण देश में गौ हत्या को पूर्णतः प्रतिबंधित करने की मांग को लेकर चल रहे आन्दोलन को कुचलने के लिए 7 नवम्बर, 1966 में तत्कालीन सरकार ने गो भक्तों पर गोलियां चलवाई, जिसमें अनेक निर्दोष गोभक्त, संत बलिदान हो गए । उन्हीं बलिदानी वीरों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने हेतु एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन प्रातः संसद के सम्मुख किया गया ।
सभा में भारत गोसेवक समाज के महामंत्री महामंडलेश्वर स्वामी श्री भक्त हरि जी महाराज, गोधन के संपादक श्री लोकेश शर्मा व शारदा सर्वज्ञ पीठ, काश्मीर से शंकराचार्य स्वामी श्री अमृतानन्द देव तीर्थ जी महाराज, भारत रक्षा मंच के संयोजक श्री सूर्यकांत केलकर विशेष रूप से उपस्थित रहे । अन्य संगठनों में अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश कौशिक, हिन्दू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता, विश्व हिन्दू पीठ के अध्यक्ष आचार्य मदन व सावरकर टाइम्स के सम्पादक वीर राम नाथ लूथरा और श्रेष्ठ समिति के संयोजक वरिष्ठ अधिवक्ता श्री सत्येन्द्र वशिष्ठ ने भी श्रद्धांजलि कार्यक्रम में अपने कार्यकर्ताओं के साथ भाग लिया ।
श्रद्धांजलि के उपरान्त शंकराचार्य जी ने कहा कि गाय हमारी ही नहीं अपितु पूरे विश्व कि माता है । गो आधारित जैविक कृषि से ही भारत की अर्थव्यवस्था उचाईयों पर पहुँच सकती है और भारत की जी.डी.पी. को पुनः पटरी पर लाया जा सकता है । भारत गो सेवक समाज के महामंत्री स्वामी श्री भक्तहरि जी ने कहा कि आज विश्व माता गाय पुकार-पुकार कर अपने पुत्रों को दूध की याद दिला रही है । हमारा और हमारे देश के यशश्वी प्रधानमंत्री का कर्तव्य है कि गो माँ कि पुकार सुनें और गो हत्या बंदी कानून शीघ्र बनाया जाए जिससे सभी गो भक्तों की दीर्घकालीन मांग पूरी हो और बलिदानी हुतात्माओं कि दिव्यत्माओं को शांति मिल सके ।
भारत रक्षा मंच के श्री सूर्यकांत केलकर ने सरकार से इस विषय पर शीघ्र क़ानून बनाने का अवाहन किया । सभी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने सरकार से गो हत्या बंदी कानून शीघ्र बनाने का आग्रह किया । उपस्थित सभी गौ भक्त कोविड 19 के तहत सरकार के दिशानिर्देशों साथ, उचित दूरी का पालन करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किये ।