कोरोना संक्रमण की बढ़ती भयावक स्थिति पर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर बैठकों का दौर प्रारंभ
सी एम पपनैं
कोरोना संक्रमण बढ़ते संकट के कारण 25 मार्च से देशव्यापी लाँकडाउन होने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतिहास मे पहली मर्तबा वीडियो कांफ्रैंनसिंग के जरिये सोमवार को केंद्रीय मंत्रीपरिषद, मंगलवार को केंद्रीय मंत्रीमंडल की अध्यक्षता करेंगे तथा बुधवार को लोकसभा तथा राज्यसभा मे विभिन्न दलों के नेताओं के साथ कोरोना संक्रमण की बढ़ती भयावह स्थित पर संवाद करेंगे।
कोरोना वायरस महामारी पर चर्चा के लिए विश्व निकाय की शीर्ष संस्था संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पहली बैठक अनेक देशों के राजदूतों के अनुरोध पर डोमिनिकन गणराज्य के राजदूत जोस सिंगर की सूचनानुसार माह अप्रैल दूसरे हफ्ते मे आयोजित की जा सकती है। कोरोना महामारी पर इस बैठक के आजतक आयोजित न किए जाने के कारणों में अध्यक्ष पद पर चीन का काबिज रहना मुख्य कारणों में था। 31 मार्च को चीन की अध्यक्षता का कार्यकाल समाप्त हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भी सर्वसम्मति से भारत सहित 188 देशों का समर्थन प्राप्त करने वाले पहले प्रस्ताव कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक एक जुटता को अंगीकार कर लिया है। इस दस्तावेज मे संक्रमण से पूरी दुनिया के जनमानस पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव और अर्थव्यवस्था को पहुचने वाले नुकसान शामिल हैं। साथ ही वैश्विक यात्रा और कारोबार के खतरों तथा लोगों की आजीविका के संकट को भी प्रस्ताव मे शामिल किया गया है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी आनंद विहार में प्रवासी मजदूरों के एकत्र होने और निजामुद्दीन मरकज मे तवलीगी जमात के लोगों के शामिल होने पर चिंता व्यक्त की है। कोरोना संक्रमण के चक्र को तोड़ने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर मरकज मे तवलीगी जमात द्वारा की गई हरकत को धक्का पहुचाने वाला कहा है।
जहां एक ओर पूरा देश डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों जिनकी खुद की जिंदगी कोरोना संक्रमण के लोगों का इलाज कर दाव मे लगी है, देश के प्रबुद्ध जनमानस द्वारा उनके त्याग व सहयोग की सराहना की जा रही है, वही होम क्वारनटाइन मे रखे तवलीगी जमात के लोग स्वास्थ्य कर्मियों व डॉक्टरों से सहयोग नहीं कर रहे हैं उल्लघन कर विरोध में उतर आए है। क्वारनटाइन किए स्थानों से भाग रहे हैं।
राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति ने सभी राज्यो व केंद्रशासित प्रदेशो के राज्यपालों व उपराज्यपालो के साथ वीडियो कांफ्रैंनसिंग के जरिये संवाद कर पुलिस व स्वास्थ्य कर्मियों तथा डॉक्टरों पर हुए हमलों पर चिंता जताई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 205 देश कोरोना विषाणु संक्रमण से प्रभावित हैं। कभी भी किसी बीमारी का भौगोलिक दायरा इतना व्यापक नही रहा है, जितना कोरोना विषाणु संक्रमण का। जिस कारण भारत सहित विश्व के लगभग देशों की अर्थव्यवस्था में बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
वैश्विक बैंक ने इस महामारी से जूझने के लिए विश्व के देशों को आपातकालीन कोष की मंजूरी दी है, जिसके तहत भारत के लिए पहले चरण में एक अरब डॉलर की मंजूरी, बेहतर ढंग से जनमानस की जांच, निजी सुरक्षा उपकरणों की खरीद तथा नई पृथक इकाइयों की स्थापना हेतु जारी की गई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने कोरोना महामारी को मानवता के लिए एक घना अंधेरा करार दे कर कहा है, कोरोना वायरस महामारी के बीच आजीविका बचाने के लिए जरूरी है कि पहले मानव जीवन को बचाया जाए।
रेटिंग एजेंसी एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के अनुसार कोरोना संक्रमण का चक्र तोड़ने की मंशा से पूरे देश मे पूर्ण बंदी से अर्थव्यवस्था को रोजाना 4.64 अरब डालर का नुकसान हो रहा है। चालू वित्त वर्ष की अप्रेल-जून तिमाही में जीडीपी बृद्धि दर मे 5-6फीसद की गिरावट की आशंका है। सरकारे लोगों को हर चीज उपलब्ध कराने की अपनी बचनबद्धता दोहरा रही है, फिर भी लोगों की मनोदशा प्रभावित होती नजर आ रही है। लोग खुदकशी करने से तक बाज नहीं आ रहे हैं। देश का जनमानस कोरोना संक्रमण के भय से भयभीत है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के अनुसार भारत अन्य देशों के मुकाबले कोरोना संक्रमण के चक्र को तोड़ने के लिए बेहतर कार्य कर रहा है। संक्रमितो की संख्या में पिछले कुछ दिनों में बृद्धि दर्ज की गई है।
शिव नादर विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश के वैज्ञानिक अनुसंधानकर्ताओ का मानना है, देश में 24 मार्च से प्रभावी 21 दिन की बंदी की वजह से कोरोना संक्रमण के संभावित मामलो मे बंद के 20 दिन तक 83 फीसदी कमी लाने में मदद मिल सकती है। बंद न होने पर संक्रमितो की संख्या लगभग 2,70,360 तक पहुच जाती व मृतको की संख्या लगभग 5407 तक पहुच सकती थी।
आकड़ो के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा मधुमेह के 5 करोड़, दिल की बीमारी के 5.4 करोड़, टीवी के 28 लाख मरीज भारत में हैं। कोरोना वायरस सबसे ज्यादा इन बीमारियों वाले मरीजों के लिए खतरनाक सिद्ध हो रहा है।
भारत में पहला कोरोना विषाणु संक्रमण का मामला 30 जनवरी को दर्ज किया गया था। 60 दिनों में यह संख्या एक हजार पहुच चुकी थी। 5 अप्रेल सायं तक कोरोना पॉजिटिव संक्रमितो की संख्या 3577 पर पहुच गई थी, जिनमे 65 विदेशी शामिल थे। कुल मृतको की संख्या 95 हो गई थी तथा 275 लोग ठीक होकर घर चले गए थे। दुनियाभर में संक्रमितो की संख्या 12,25,686 पहुच चुकी है और मृतको की संख्या 66,520 हो चुकी है।
देश में कोरोना विषाणु संक्रमण का संकट बढ़ने से भारतीय सेनाए सतर्क हैं। कोरोना से जंग की नाजुक स्थिति करीब आने पर चिकित्सा से जुड़े साजो सामान लाने ले जाने के लिए वायु सेना के लड़ाकू विमानों का बेड़ा तैयार किया गया है। सेना के 8500 डॉक्टर और स्पोर्ट स्टाफ को नागरिक प्रशासन की मदद हेतु तैयार रखा गया है। सेवानिवर्त स्वास्थ कर्मियों, एनसीसी के 25 हजार कैडिट्स को भी तैयार रखा गया है।
हमारे देश को एक नही, कई स्तरों पर कोरोना महामारी से मुकाबला करना पड़ रहा है, जिसका दूरगामी प्रभाव अर्थव्यवस्था पर ही पड़ना है। वर्तमान में हमारी सरकार सकल घरेलू उत्पाद का एक फीसद से कुछ ज्यादा स्वास्थ सेवाओं के लिए खर्च करती है, जो दुनिया में सबसे कम खर्च करने वाले देशों मे है। कोरोना के बाद का दौर कितना बड़ा आर्थिक संकट लायेगा और हमारी सरकार कैसे उसका मुकाबला किस कुशलता से करेगी, इस मद में सरकार के शीर्ष नेतृत्व की जिम्मेवारी परखने वाली होगी।
विज्ञान एवं तकनीक के इस युग में तीन महीने बीत जाने के बाद भी इस महामारी का वैश्विक फलक पर दवा का ईजाद न होना सवाल खड़ा करता है। साथ ही हमारी सरकार के लिए कोरोना संक्रमण के चक्र को तोड़ने के लिए ठोस रणनीति तय करने की चुनोती आसान नजर नही आ रही है। ऐसे समय में जब निजामुद्दीन मरकज मे तवलीगी जमात से जुड़े मुस्लिम धर्मावलंबियों मे कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले चुनोती बने हुए हैं। इस देशव्यापी भयावह संकट का सामना हमारे राजनेता कैसे करेंगे सवाल खड़े करता है। अगर 21 दिन बाद पुनः प्रधानमंत्री द्वारा लंबी बंदी का एलान दुहराया जाता है, तो जनमानस पर मुसीबत कोरोना संक्रमण से कम, भूखों मरने के डर से ज्यादा द्रष्टिगत होगा। संकट की इस घड़ी में नेतृत्व की असली परीक्षा सम्मुख खड़ी है।