प्रदर्शनी में आकर्षण का केन्द्र बनी पैरों से बनी पायल साड़ी
नई दिल्ली – नई दिल्ली के छत्तीसगढ़ भवन में लगी छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध बुनकरों द्वारा निर्मित साड़ियों की प्रदर्शनी में पायल साड़ी प्रशंसको के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है । इस साड़ी की कारीगरी इतनी महीन हैं कि इसको बनाने में केवल पैरांे का उपयोग किया जाता है और इसमें 20 से 22 दिन लगते हैं । पायल साड़ी का नाम पायल आभुषण की डिजाईन पर रखा गया है जो महिलाएं पैरांे में पहनती हैं । छत्तीसगढ़ भवन में एक जुलाई से लगी प्रदर्शनी में रायगढ़ और जांजगीर चांपा से आये बुनकरो के स्टाल पर यह साड़ी
उपलब्ध है । छत्तीसगढ़ भवन में लगी इस प्रदर्शनी में बस्तर की खापा डिजाईन , ब्लाक प्रिंट और जाला फेरा साड़ी भी साड़ी प्रेमियों की पसंद बनी हुई है और बड़ी संख्या में इन डिजाईनों का विक्रय भी हुआ हैै । जांजगीर चांपा से आये बुनकर यशवंत ने बताया कि उनके जिले में ब्लाक प्रिंट का कार्य अधिक होता है । उन्होंने बताया कि साड़ी पर प्रिंटिग कार्य के बाद उसे धूप में सुखाया जाता है और उस समय ही उसके सही रंग का पता चलता है । उन्होंने कहा कि यह काफी विशेषज्ञता वाला कार्य है और लंबे समय के अनुभव के बाद इसमें सफलता मिलती है । उन्होंने बताया कि बदलते दौर में इस क्षेत्र में बुनकर कई नये प्रयोग भी कर रहे है और मांग और रूचि के अनुरूप डिजाईनों को आकार भी दे रहे है । उनके द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे सभी रंग प्राकृतिक होते है ।