उत्तराखण्डदिल्लीराष्ट्रीय

दिल्ली-एनसीआर में समाजसेवा और सांस्कृतिक धरोहर का पर्याय बने कुलदीप भंडारी

कामधेनु रामलीला कमेटी के संस्थापक और विनोद नगर के समाजसेवी कुलदीप भंडारी का समर्पित व्यक्तित्व

Amar sandesh नई दिल्ली। देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरा से निकलकर दिल्ली प्रवास करने वाले श्री कुलदीप भंडारी आज समाजसेवा, सांस्कृतिक धरोहर और मानवीय रिश्तों के पर्याय बन चुके हैं। विनोद नगर के लोकप्रिय समाजसेवी, आप पार्टी के नेता और कामधेनु रामलीला कमेटी के संस्थापक श्री भंडारी की पहचान अब केवल एक राजनीतिक चेहरे तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे दिल्ली-एनसीआर में एक ऐसे मिलनसार और संवेदनशील व्यक्तित्व की है, जो हर वर्ग के सुख-दुख में साथ खड़ा नजर आता है।

कुलदीप भंडारी ने वर्षों पहले कामधेनु रामलीला कमेटी की स्थापना की और इसे जन-जन की आस्था से जोड़ा। उनकी अगुवाई में विनोद नगर की रामलीला केवल धार्मिक आयोजन न रहकर सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन चुकी है। स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि “भंडारी जी की वजह से आज रामलीला सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लोगों को जोड़ने वाला उत्सव बन गई है।”

समाज में किसी की शादी-ब्याह हो, बीमारी की समस्या हो या फिर किसी परिवार की अचानक आई विपत्ति—भंडारी जी हर वक्त मदद के लिए तैयार रहते हैं। स्थानीय निवासी बताते हैं कि जब भी किसी जरूरतमंद को सहायता की आवश्यकता होती है, “कुलदीप भंडारी सबसे पहले मदद के लिए सामने आते हैं।” उनकी यही आदत उन्हें एक अलग पहचान देती है।

श्री भंडारी का मानना है कि समाज तभी आगे बढ़ सकता है, जब युवा दिशा और बुजुर्ग आशीर्वाद दोनों साथ हों। इसी सोच को आधार बनाकर उन्होंने खेल, शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के कई प्रयास किए। युवाओं को वे आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं और बुजुर्गों को सम्मान देते हुए उन्हें हर कार्यक्रम का मुख्य आधार मानते हैं।

लोगों की नजर में कुलदीप भंडारी

“कुलदीप भंडारी राजनीति से पहले इंसानियत को प्राथमिकता देते हैं।” – स्थानीय व्यापारी

“रामलीला की परंपरा को जिस तरह से उन्होंने जीवित रखा है, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।” – समाज के बुजुर्ग सदस्य“उनका मिलनसार स्वभाव ही उन्हें सबका अपना बना देता है।” – युवा निवासी

आज कुलदीप भंडारी का नाम केवल विनोद नगर तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे दिल्ली-एनसीआर में उनके समाजसेवी कार्यों की गूंज है। वे उस धारा के प्रतिनिधि हैं, जो राजनीति में रहकर भी समाजसेवा को प्राथमिकता देते हैं।

Share This Post:-
👁️

Views: 92

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *