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चार दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन आबू रोड (राजस्थान) 2019 सम्पन्न

सी एम पपनैं
आबू रोड (राजस्थान), 20 से 24 सितंबर चार दिवसीय ‘राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन 2019’ ब्रह्मकुमारी राजयोग एजुकेशन और रिसर्च फाउंडेशन, शांतिवन परिसर, आबू रोड, राजस्थान मे नेपाल व भारत के सोलह सौ प्रिंट, इलेक्ट्रानिक, साइबर, वेब, सोशल मीडिया तथा मीडिया शिक्षण से जुड़े पत्रकारों व मीडिया विशेषज्ञयो की उपस्थिति मे ‘शान्ति और सदभाव के लिए आध्यात्मिक मीडिया की भूमिका’ विषय पर सारगर्भित चर्चा व कार्ययोजना प्रस्ताव पास कर सम्पन्न हुआ।
सम्मेलन मे इन्डियन फैडरेशन ऑफ विर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्लूजे) से जुड़े 17 राज्यो के करीब 350 पत्रकारों ने फैडरेशन अध्यक्ष डॉ के विक्रम राव व महासचिव विपिन धूलिया के नेतृत्व मे प्रतिभाग किया। फैडरेशन का 76वा राष्ट्रीय सैशन आईएफडब्लूजे राजस्थान इकाई अध्यक्ष उपेंद्र राठौर के सहयोग से पत्रकारो की विभिन्न समस्याओं से जुड़े विषयों व संगठन की उपलब्धियों पर सारगर्भित चर्चा व अनेक प्रस्ताव पास कर सम्पन्न हुआ।
दिल्ली इकाई के राजीव रंजन नाग, बिहार के मधुकर, छत्तीसगढ़  दीपक राय, झारखंड दीपक कुमार, कर्नाटक वी नारायण, उड़ीसा वेणु पांडव, केरल  ए माधवन व वी प्रताप चन्द्रन, मध्य प्रदेश सलमान खान, महाराष्ट्र मुकेश सेठ, बंगाल अमित राय, तेलंगाना मालिदी सोमैया, उत्तरप्रदेश हसीब सिद्धकी, राजस्थान विष्णु दत्त शर्मा व उत्तराखंड के प्रदीप फुटेला इत्यादि ने अपने राज्यो से जुड़े पत्रकारो व संगठन की उपलब्धियों का व्योरा दिया। महासचिव विपिन धुलिया ने कार्यवाही का संचालन किया।
इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी के करुणा भाई व फैडरेशन के अध्यक्ष डॉ के विक्रम राव तथा फैडरेशन के अन्य पदाधिकारियों के हाथों तेलंगाना की के शांता कुमारी की कन्नड़ पुस्तक “लग्नेश स्मीलिए” का लोकार्पण भी किया गया।आईएफडब्लूजे बिहार यूनिट कीओर से पत्रकार दिनेश (सिरोही) राजस्थान तथा गुजरात यूनिट के विजय बालोटिया का शाल ओढा कर सम्मान किया गया।
आयोजित चार दिवसीय सम्मेलन के सात खुले सत्रो के माध्यम से दो संवाद सत्र, पांच आध्यात्मिक व्याख्यान और राजयोग सत्र के साथ-साथ पत्रकारों के आत्म ध्यान व मनोरंजन के लिए आध्यात्म से जुड़े गीत-संगीत-नृत्य व सांस्कृतिक कार्यक्रम व क्षेत्र भ्रमण के कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।
पत्रकारो के लिए प्रतिदिन प्रातः कालीन राजयोग-व्यायाम सत्र का शुभारंभ ब्रह्मकुमार डॉ दिनेश के सानिध्य मे आयोजित किया गया। आधे घंटे के व्यायाम सत्र व राजयोगी दादियों के एक घंटे के राजयोग कार्यक्रम मे भाग ले पत्रकारों ने अपने तन-मन को एकाग्र कर आध्यात्म की ओर कदम बढ़ाया।
20 सितंबर ब्रह्मकुमारी  वरिष्ठ दादियों व विशिष्ठ आमंत्रित अतिथियो द्वारा दीप प्रज्वलन की रश्म अदायगी के पश्चात शान्ति एवं सदभाव मे मीडिया की भूमिका, पत्रकारिता के महत्व, पत्रकारिता से समाज मे पड़ रहे दुष्प्रभावो इत्यादि से सम्बद्ध विषयों पर 22 सितम्बर तक एस एस त्रिपाठी, प्रो.कमल दीक्षित, कवि राज विवेक, डॉ के विक्रम राव, संदीप चौहान, सूरज प्रकाश (विधायक बलदेव, मथुरा), एस पी महिंद्रा, डी डी मित्तल, कमलेश मीणा, डॉ एस पी महेंद्र, राजकुमार द्विवेदी, सरला आनंद, राजीव नाग, प्रो.यू के चौधरी, प्रो.संजीव द्विवेदी, डॉ गोपाल मिश्रा, डॉ बनारसी, डॉ वी के युधिष्ठिर, आशीष गुप्ता इत्यादि ने सशक्त सारगर्भित विचार संबद्ध विषय पर व्यक्त किए।
सभी वक्ताओं ने ओम शांति का उच्चारण कर खचाखच भरे दो हजार सीटों वाले सभागार मे बैठै पत्रकारो को संबोधित करते हुए कहा, ब्रह्मकुमारी परिसर शांतिवन मे सभी धर्मों का समावेश है। यहां सिखाए जा रहे योग व व्यक्त आध्यात्मिक विचारो का विश्व मे शान्ति व सदभाव बनाए रखने मे बड़ी भूमिका है। पत्रकारो का यहां आकर योग साधना व आध्यात्मिक विचारो की ओर ध्यान आकर्षित हुआ है। सामाजिक वातावरण को स्वस्थ व मजबूत दिशा देने के लिए पत्रकारो को आत्मचिंतन कर पत्रकारिता के उच्च मूल्यों व मापदंडो को कायम रख, दायित्व निर्वाह करने की जरुरत आ पड़ी है।
वक्ताओ ने कहा, पत्रकारिता मे प्रतिस्पर्धा को अच्छे मूल्य मे स्वीकार नही किया गया। प्रतिस्पर्धा ने नफरत पैदा की। साथ चलने वाले सामाजिक मूल्यों को विपरीत रूप मे स्वीकार किया गया।
वक्ताओं ने प्रश्न साधा, प्रतिस्पर्धा मे कोई स्वस्थ समाज सदभाव वाला बन सकता है? समाज बदल गया है! पत्रकारिता से इसका मतलब? परिवार जब खंडित हो रहे थे, तब पत्रकारिता क्या कर रही थी? तब ये प्रतिस्पर्धा का समर्थन कर रही थी! मूल्यों के आधार पर पत्रकारिता समर्थन दे रही थी, जो परिवर्तन की धार पर थी।
वक्ताओं ने कहा, पत्रकारिता बाजार समर्थ लोगो के साथ अस्सी के दशक के बाद हास के कगार पर खड़ी हुई। पत्रकारिता गलत लोगों का कवच बन गई। पत्रकारिता का आधार मूल्य फायदा बन गया है। पत्रकारिता कैरियर बन गई है।
व्यक्त किया गया, पत्रकारिता मे सामान्य जन आज भी पत्रकारिता को परिवर्तन का आधार मानते हैं। ऐसे मूल्यों के बदलाव के खिलाफ कार्य आंतरिक शक्तियों की पहचान कार्य करना होगा। आम लोगो की पत्रकारिता पर विचार करना होगा। आध्यात्म के अलावा कोई उपाय नही। आप क्या हैं? कौन हैं? पहचानना होगा। अपने आप को पहचान किए जाने पर, परिवर्तन आम समाज के हित मे होगा। मूल्य परिवर्तन बदलेंगे। आत्म शक्ति जरूरी है।
वक्ताओं ने कहा, एक ही अखबार मे नकारात्मक व सकारात्मक दोनों पहलू छपते हैं। एक पहलू छपने पर विचार करना होगा। मूल्य चेतना के बारे मे विचार करना जरूरी है।
कहा गया, सोशल मीडिया के दौर मे कितनी ही अच्छी खबर हो, ज्यादा महत्व नही रखती। बुरी खबर ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है।मानसिकता जो पल-बढ़ रही है, उसकी पसंद बदल गई है।जो लोगो को ज्यादा पसंद है वह दिखाना जरूरी हो गया है, मानसिकता परख कर।
इलैक्ट्रोनिक मीडिया पत्रकारिता के उच्च मापदंडो को त्याग, बिना परख टीआरपी बढाने की होड़ मे व्यस्त है। उसे कतई परवाह नही कि समाज मे क्या सन्देश जा रहा है। खबर मे कितनी ईमानदारी, पारदर्शिता व सत्यता है। यह सब अनैतिक है, मीडिया व पत्रकारिता के विपरीत है। पत्रकारिता मे खरोचै आई है। लेखनी मे कमी आई है। पीत पत्रकारिता हावी हो रही है।मनोरंजन को फीचर से जोड़ा जाने लगा है। खबरो को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है। खबरो का विस्तार कम विज्ञापनों का विस्तार ज्यादा हो रहा है। तीन स्तम्भो के न सुनने पर व्यक्ति चौथे स्तंभ के पास पहुचता है, उम्मीद के साथ। वह भी निर्थक या स्वार्थ परख हो जाए तो क्या होगा?
वक्ताओ ने कहा, व्यक्ति कमजोर हो गया है। जो परोसा जा रहा वह जन की मांग या चाहत नही, यह सब जबरन कुछ लोगो की चाहत पर समाज के लोगो पर थोपी जा रही है।अच्छे समाज का निर्माण नही, विघटन हो रहा है। आज ‘गुड़ न्यूज इज नो न्यूज’ है।
वक्ताओ ने कहा, मीडिया का प्रभाव खतरनाक ढंग से पड़ता है। अच्छे सुशासन के लिए अच्छे लोग चाहिए। आध्यात्मिकता का धर्म से कोई सम्बन्ध नही है।
वक्ताओं ने आंचलिक पत्रकारिता को बेहतर बताया। कहा, उसमे नैतिकता है, अध्यात्म है। पत्रकार बुद्धिजीवी नही बुद्धिकर्मी है, श्रमजीवी है।
व्यक्त किया गया, पत्रकारिता के गिरते दौर मे हम ही उत्तरदायी हैं। भ्रान्ति के दौर से गुजर रहे हैं। प्रैस काउंसिल आफ इंडिया (पीसीआई) नपुंशक व निरर्थक हो गई है।
समाज मे शान्ति, सदभाव जगाने के लिए ब्रह्मकुमारी कार्य कर रहा है। कहा गया, विश्व शान्ति दिवस एक दिन मनाता है, ब्रह्मकुमारी प्रति सैकंड वर्षभर शान्ति हेतु प्रयासरत रहता है।
आध्यात्म मे मीडिया का रोल ईमानदारी व पारदर्शिता से लोगो तक खबर पहुचाना है, जिससे सदभाव बना रहे राजयोग अष्ट शक्तिया देती हैं। पत्रकार पर यह शक्ति आने पर वह सारे दवाब सह कर समाज हित में कार्यशील हो जाता है, नुकसान की परवाह किए बिना।
वक्ताओ ने विश्वास भरे लब्जो मे व्यक्त किया,पत्रकारिता विचार और सूचनाओ का दायित्व निभाने मे सक्षम है। वर्तमान मे शान्ति और सदभाव की बहुत जरुरत है। आध्यात्म से मीडिया को जोड़, विवादो का हल संभव है। आध्यात्मिक शक्ति से यह बदलाव लाया जा सकता है, पत्रकारिता का गौरव लौटाया जा सकता है।
आध्यात्मिक व्याख्यान व ध्यान सत्र मे राजयोगिनी डॉ जानकी, ब्रह्मकुमारी मुन्नी बहन, शशि बहन, भ्राता आत्म प्रकाश, भ्राता डेविड, भ्राता विवेक, भ्राता शांतनु, दादी दिक्षा, ब्रह्मकुमार निर्वेद, राजयोगिनी शीलू बहन, राजयोगी भ्राता करुणामयी, बहन सुधा रानी, राजयोगी गंगाधर, राजयोगी गिरीश, राजयोगिनी डॉ निर्मला दीदी, राजयोगिनी चंद्रकला, राजयोगिनी हंसा, डॉ सविता बहन, डॉ दादी जानकी, डॉ निर्मला दीदी, राजयोग शिक्षिका गीता दीदी, भ्राता सुशांत, भ्राता विजया, दीदी डॉ रतनमनी, राजयोगिनी सुनीता, मृत्युंजन भाई इत्यादि ने अपने आध्यात्मिक उदबोधन मे व्यक्त किया-
हम सब परमपिता परमेश्वर की संतान हैं, शिव बाबा की संतान हैं। हम भाई-भाई हैं। परमात्मा ने एक ऐसा रास्ता बनाया है जिसमे सभी खुश रहेंगे, कार्य ठीक करेंगे, आर्ट सीखने को मिलेगा।
व्यस्थ जीवन होते हुए भी पांच मिनट जीवन को खुशहाल बना देता है। प्रातः टेलीविजन चैनल खोलने से पहले हमारे मन का चैनल आरम्भ होता है, जिसमे सुबह से सांय तक कितने ही विचारआते हैं। हमे श्रेष्ठ विचारो व कार्यो को प्रमुखता देनी है। मन के चैनल द्वारा उसे सोचे प्रस्तुत करे। तनाव के चैनल मे क्या करूँ? कैसे करू? निगेटिव बाते आती हैं। निगेटिव छोड़ सकारात्मक सोच बनाऐ।
मानव को महान बनाने की कला मीडिया मे है। मीडिया दौड़ता रहता है। प्रातः उठ पहले परमात्मा से शक्ति ले, फिर कलम का प्रयोग करे। पूर्ण शक्ति बन, ईश्वर की शक्ति जीवन मे लाकर आगे बढ़े, लोगो को आगे बढ़ाए। जीवन मे खुश रहे। स्वस्थ रहे। लोगो को श्रेष्ठ मार्ग दिखाए। समय के महत्व को जानना जरूरी है। समय बर्वाद न करे। समय को सब पहचान रहे हैं। दुनिया विचलित हो रही है।
ईश्वर ज्ञान दे रहा है।हम कहां आए हैं? क्यों आए हैं,? क्या करना है? यह ज्ञान यहां प्राप्त होता है। उस ज्ञान को धारण कर उसे अपने मूल स्थानों पर जाकर, ज्ञान बाट कर जीवन को तनाव मुक्त बनायें। आध्यात्मिक जीवन को मजबूती दै।
बाबा का संदेश है, दस लाख लोगो को नित अभ्यास कराया जा रहा है। बाबा का ज्ञान दे रहे हैं। वसुदेव कुटुम्बकम की भावना को साकार करने के लिए 140 देशो मे बाबा के ज्ञान की गंगा बहाई जा रही है। शिक्षा, संस्कृति, योग इत्यादि का प्रशिक्षण आठ हजार सेवा केंद्रों मे चालीस हजार समर्पित बहनों व दस हजार भाइयो के सहयोग से निस्वार्थ प्रदान किया जा रहा है।
मीडिया से सेवा भाव उभरे तब कल्याण सम्भव है। आध्यात्मिक पत्रकारिता के मिश्रण से सेवा भाव जगेगा, जो एक समाज को नई दिशा देगा। मूल स्वभाव देने मे है, जो बृद्धि करता है। पुनरुत्थान करना होगा, परमार्थ के लिए। मीडिया के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेवारी आ गई है। आप मीडियाकर्मी नही, आत्माए हैं। मीडिया के लोगों को ही आम जन को आध्यात्म से जोड़ने का प्रयत्न करना होगा।
लोग इस वक्त मानवता के धर्म को भूले हुए हैं। ईश्वरीय ज्ञान की शिक्षा, विश्व की आध्यात्मिक सेवा की शिक्षा स्वामी विवेकानंद विजन के आधार पर दी जा रही है,  सब इसका हिस्सा बने तो जग कल्याण होगा। ब्रह्मकुमारी दादी प्रकाशमयी को सन 1982 मे युनाईटेड नेशन द्वारा शान्ति का संदेश देने को आमंत्रित किया गया था। ब्रह्मकुमार निर्वेर ने इसमे हिस्सा लेकर विश्व के नेताओ व लोगो को शान्ति व सदभाव का संदेश दिया था।
संसार की रचना सुख, शान्ति के लिए हुई है। शान्ति की शक्ति बढ़ाने के लिए परमपिता परमेश्वर पर मन लगाए। युद्ध नही होगा, शान्ति स्थापित होगी।
शान्ति की परिभाषा है- युद्ध का अभाव ही शांति है।आवाज का अभाव शान्ति है। मंदिरों मे शान्ति का माहौल होता है। रोटी कपड़ा मिल जाए शान्ति है। जिसके पास सब कुछ है वे अशांत है। विश्व शान्ति की बात हो। विश्व की शान्ति व्यक्तिगत शान्ति पर होगी। बूंद-बूंद से शांति होगी। विश्व मे शान्ति चाहते हैं तो व्यक्तिगत मन मे शान्ति जरूरी है।
शान्ति शक्ति का श्रोत है। प्रकाश का स्रोत सूर्य है। प्रकाश का अभाव अंधकार है। अंधकार का स्रोत नही है। शान्ति का स्रोत है आत्मा। परमात्मा को पहचानना जरूरी है। आत्मा को नही पहचाना तो शान्ति नही मिल सकती। शान्ति को अनुभव करना जरूरी है। शान्ति सोच मे है, शान्ति विचारो मे है। उसी विचार से शांति का अनुभव होगा। भीतर जाकर स्वयं की पहचान करो।
मनुष्य के लिए आध्यात्मिक ज्ञान जरूरी है। आत्मा की समझ आ जाने पर, अपने आप को आत्मा मान लिए जाने पर, जीवन उद्धार का क्रम शुरू हो जाता है। नकारात्मक बातों को त्याग कर सकारात्मकता आरम्भ हो जाती है। जाति-धर्म, ऊंच- नीच, अमीर-गरीब की चट्टानों को दूर कर हम आत्मीयता व आत्मा को पहचान जीवन का उद्धार कर सकते हैं। जीवन मे बदलाव देख सकते हैं। आध्यात्मिकता की ज्योति जलने लगती है, सुंदरता दृष्टिगत होती है।
आध्यात्म मे भारत विश्वगुरु बनेगा यह प्रधानमंत्री भी कहते हैं। इसमे मीडिया की जवाब देही ज्यादा है। भारत मे कुछ भी हो रहा है, एक स्थान ऐसा है, जहां शान्ति है।यह स्थान है, जहां हजारो जन देश के कोने-कोने से शान्ति व सदभाव का प्रवचन सुनने आते हैं, जहां आज देश के सैकड़ों पत्रकार बैठै हैं।
भारत विश्वगुरु बनेगा भारतीय संस्कृति का। ब्रह्मकुमारियो व कुमारों को सहज राजयोग की शिक्षा विगत 83 वर्षों से दी जाती रही है। यही इस संस्था की शक्ति है।
प्रवचनों के मध्य बज रहे आध्यात्मिक गीत-संगीत की धुने मन को शांत कर व्यक्ति को अलौकिक संसार की यात्रा का अहसास करा रही थी।
गीतो के बोल थे-
1- ए खुदा बता तेरा क्या नाम है…तू रहता कहा, तेरा क्या काम है…हर मजहब मे हैं तेरे चर्चा बया…ना समझ समझे ना, झगड़े यहा…तूने जन्नत बनाने की मेहनत भी की…खेल कैसा गजब ढा दिया, लेना तुझको सभी का इम्तहान है।
2- कर लो अनुभव करो ज्ञान का….करुणा का सागर स्नेह सबको समा रहा है…सुबह हुई जब आंख खुली जब…करलो आनंद दिव्य लला…।
3- जब ऐसा जीवन होगा, वहा हमारा मन होगा…मुझ से लगा लो अपना मन…यहां हमारा तन होगा, वहा हमारा मन होगा…हम धन्य तभी हो पायेंगे…।
आयोजित आध्यात्मिक ज्ञान गीत-संगीत व नृत्य कार्यक्रम नटराज नृत्य शाला बंगलुरू के निर्देशक राजू भाई के निर्देशन मे मंचित किए गए।अन्य कार्यक्रम डायमंड डांस ग्रुप विलासपुर की नृत्यांगना कुमारी गौरी, ब्रह्मकुमारी मधुमिता तथा अर्चना बहन ने प्रभावशाली अंदाज मे मंचित कर श्रोताओं की वाहवाही लूटी। सांस्कृतिक कार्यक्रमो का प्रभावशाली मंच संचालन ब्रह्मकुमारी मंजू व ब्रह्मकुमार विवेक ने बखूबी किया।
आमंत्रित सभी व्याख्यान दाताओं का मंच पर स्वागत ब्रह्मकुमारियों द्वारा पुष्पगुच्छ भेट कर किया गया। पत्रकारों को संस्था द्वारा ईश्वरीय भेट प्रदान की गई।
आध्यात्मिक व्याख्यानो के कार्यकर्मो का मंच संचालन ब्रह्मकुमारी निर्मला, चंद्रकला बहन, योगिनी बहन, मंजू बहन, नीता बहन, पूनम बहन, चन्दा बहन, नंदनी बहन, कोमल बहन, भ्राता विवेक तथा भ्राता शशिकांत ने बहुत सूझ-बूझ के साथ संचालित किया।
राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन 2019 के समापन से पूर्व ब्रह्मकुमारी सरला आनंद द्वारा पत्रकारिता से जुड़े छः प्रस्ताव पेश किए गए, जिन्हे सर्वसम्मति से पास कर, धन्यवाद के साथ आयोजन के समापन की घोषणा की गई।
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