राष्ट्रीय

**धराली में बादल फटा… चारों तरफ चीख-पुकार, मलबे में दबे घर… राहत में जुटा पूरा देश**

PM मोदी लगातार ले रहे अपडेट, CM धामी पहुँचे ग्राउंड जीरो; सेना-बीआरओ समेत सभी एजेंसियां मैदान में

Amar sandesh धराली, उत्तरकाशी। अगस्त) दोपहर करीब 1:30 से 2:00 बजे के बीच उत्तरकाशी ज़िले के धराली क्षेत्र में आसमान से कहर बरपा। घने बादल उमड़े और अचानक जोरदार बारिश के साथ पहाड़ों से मलबा, पत्थर और पानी का सैलाब टूट पड़ा। देखते ही देखते नाले उफान पर आ गए, खेत मलबे में दब गए, सड़कें कट गईं और कई घर ढह गए।

गाँव में चारों ओर सिर्फ चीख-पुकार सुनाई दे रही थी। महिलाएँ अपने बच्चों को सीने से लगाकर ऊँचाई की ओर भाग रहीं थीं, बुजुर्ग सहमे हुए दरवाज़ों के पीछे खड़े थे। कई लोग जान बचाने के लिए पेड़ों और चट्टानों का सहारा लेने लगे। स्थानीय निवासी भगवान सिंह कहते हैं, “ऐसा मंजर जिंदगी में पहली बार देखा… सब कुछ पलक झपकते बह गया।

मलबे में दबे घर, टूट गई ज़िंदगी की बुनियाद

घटना के बाद गाँव की गलियों में सिर्फ गाद, पत्थर और टूटी-फूटी लकड़ियाँ बचीं। कई परिवारों के घर पूरी तरह बह गए, लोग खुले आसमान के नीचे आ गए। बिजली और फोन नेटवर्क ठप हो गया। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार कुछ लोग लापता हैं, कई घायल हैं जिन्हें तत्काल अस्पताल भेजा गया।

घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन, पुलिस, एसडीआरएफ और आईटीबीपी की टीमें तुरंत रवाना हो गईं। रातभर बचाव अभियान चलता रहा। घायलों को दून मेडिकल कॉलेज और एम्स ऋषिकेश भेजा गया। स्वास्थ्य विभाग ने विशेष बेड आरक्षित कर दिए हैं और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम मौके पर भेज दी गई है। मानसिक सदमे से जूझ रहे

के लिए मनोचिकित्सक भी भेजे गए हैं।

बुधवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फ़ोन पर बात कर आपदा की स्थिति और राहत-बचाव कार्यों की पूरी जानकारी ली। उन्होंने हरसंभव मदद का भरोसा दिया।

मुख्यमंत्री धामी मौसम की चुनौती के बावजूद आज बुधवार सुबह धराली पहुँचे। उन्होंने पीड़ितों को सांत्वना दी और कहा—”राज्य सरकार आपके साथ खड़ी है, हर ज़रूरी मदद आपके दरवाज़े तक पहुँचेगी।” उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसी भी पीड़ित को राहत सामग्री से वंचित न रहने दिया जाए।

केंद्र सरकार की त्वरित मदद से चंडीगढ़, सरसावा और आगरा से 2 चिनूक और 2 MI-17 हेलीकॉप्टर जौलीग्रांट पहुँचे। इनसे भारी मशीनरी और खाद्य सामग्री प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचाई जा रही है। सेना के 125 जवान, आईटीबीपी के 83 जवान और बीआरओ के इंजीनियर 100 से अधिक मजदूरों के साथ सड़कों को खोलने में जुटे हैं।

हर्षिल, झाला और जीएमवीएन में राहत शिविर शुरू हो गए हैं, जहाँ प्रभावित परिवारों को अस्थायी ठिकाना और भोजन मिल रहा है। एनआईएम और एसडीआरएफ लिम्चागाड़ में अस्थायी पुल का निर्माण कर रही हैं। बिजली और संचार बहाली युद्धस्तर पर जारी है।

धराली आज मलबे में दबा है, लेकिन उम्मीद जिंदा है। राहत और बचाव में जुटी टीमों के चेहरे पर थकान है, मगर हिम्मत अडिग। केंद्र और राज्य सरकार, सेना और स्थानीय लोग—सभी एकजुट होकर इस त्रासदी को मात देने में लगे हैं।

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