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खदान जल को लाभकारी रूप से उपयोग में लाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण पहल की जा रही हैं- श्री जी किशन रेड्डी 

अमर संदेश दिल्ली।कोयला मंत्रालय अपने सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (पीएसयू) जैसे कोल इंडिया लिमिटेड (CIL), एनएलसी इंडिया लिमिटेड (NLCIL) और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (SCCL) के माध्यम से कोयला और लिग्नाइट खनन क्षेत्रों में जल संरक्षण और पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों के अनुरूप खदान जल के सतत और सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा दे रहा है। इसके तहत पीने, सिंचाई और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए उपचारित खदान जल को लाभकारी रूप से उपयोग में लाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण पहल की जा रही हैं।

 

पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप जल गुणवत्ता की जांच

 

उपचारित खदान जल की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए इसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986, जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) तथा संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (SPCB) के दिशा-निर्देशों के अनुसार परखा जाता है। इसके अतिरिक्त, कोयला और लिग्नाइट क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनियों ने अपनी स्वयं की मानक संचालन प्रक्रियाएं (Standard Operating Procedures – SOPs) भी तैयार की हैं, ताकि खदान जल का सुरक्षित और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

 

पीने योग्य जल के लिए गुणवत्ता नियंत्रण उपाय

 

खदान से प्राप्त उपचारित जल को पीने योग्य बनाने के लिए विभिन्न गुणवत्ता नियंत्रण उपायों को अपनाया जाता है। इसमें भारतीय मानक ब्यूरो (BIS IS 10500:2012), केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) और अन्य लागू मानकों के अनुसार मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में समय-समय पर जल परीक्षण किया जाता है।

 

जल को आपूर्ति से पहले अवसादन (Sedimentation), निस्पंदन (Filtration) और कीटाणुशोधन (Disinfection) जैसी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, ताकि यह सभी स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों को पूरा कर सके।

 

झारखंड सहित विभिन्न राज्यों में खदान जल प्रबंधन का विस्तार

 

देशभर में खदान जल प्रबंधन पहलों का विस्तार किया जा रहा है, विशेष रूप से झारखंड जैसे राज्यों में। सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL), भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) और ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ECL) के खनन क्षेत्रों में बसे गांवों को इस योजना का लाभ देने के लिए झारखंड सरकार और कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

 

इसके तहत सामुदायिक उपयोग, सिंचाई और औद्योगिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खदान जल के पुनः उपयोग को सुविधाजनक बनाया जाएगा।

 

सरकार की प्रतिबद्धता और आगे की योजना

 

केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने राज्य सभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से यह जानकारी दी कि कोयला मंत्रालय इस दिशा में कई योजनाओं पर काम कर रहा है। खदान जल के सतत उपयोग से जल संकट को कम करने, पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और स्थानीय समुदायों की पानी की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।

 

सरकार का यह कदम जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन और टिकाऊ विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जिससे न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों को भी जल संकट से राहत मिलेगी।

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